सायन के फार्मा एग्जीक्यूटिव विजय सिंह पोलिस कस्टडी डेथ मामले में नया मोड, मुंबई हाय कोर्ट ने केस सीबीआई को किया ट्रांसफर/ १४ नवम्बर तक सीबीआई को देनी है रिपोर्ट
दिवाली के समय २७ अक्टूबर २०१९ की रात वडाला ट्रक टर्मिनल पोलिस की हद में म्हाडा कॉलोनी के निकट २२ वर्षीय फार्मा कंपनी में कार्यरत गरीब मध्यम वर्गीय परिवार का विजय सिंह अपने दो दोस्तों के साथ मोटरसाइकिल पर था, वह मोटरसाइकिल पार्क कर ही रहा था कि फ्लैश लाइट जली और सामने थोड़ी ही दूर पर बैठे एक कपल ( युवा जोड़े) पर लाइट पड़ी जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई, गाली गलौज हुई और इसी समय पेट्रोलिंग कर रही WTT पुलिस की टीम ने महिला की शिकायत पर विजय सिंह को उठा लिया , पोलिस थाने लाई, दंपति भी आए शिकायत दर्ज कराई और पुलिस ने उन्हें जाने दिया।
विजय सिंह फंस गया। उसके बाद की कहानी सब जानते हैं। वह अपनी होनेवाली पत्नी से फोन पर बात करने के लिए यहां वडाला ट्रक टर्मिनल तक आ गया जो सायन कोलीवाड़ा स्थित उसके घर से पैदल महज ७ से ८ मिनिट की दूरी पर है।
देर रात माता पिता को फोन करके पुलिस ने बुलाया और वहां उनके मौजूदगी में भी विजय सिंह की चीख निकलती रही। विजय बाहर निकला और कुछ कदम चलते ही गिर पड़ा। पोलिस ने माता पिता से कहा कि सायन अस्पताल ले जाओ। रात के दो से अधिक बज चुके थे ।आसपास कोई गाड़ी नहीं थी। विजय के पिता हृदय नारायण सिंह भी टैक्सी चलाते हैं। उस वक्त मिन्नत के बाद भी WTT पुलिस ने उन्हें कोई पुलिस गाड़ी उपलब्ध नहीं कराई। काफी समय के आड़ एक गाड़ी मिली जिसमें विजय के मां बाप उसे अस्पताल ले गए जहां डेथ ऑन अराइवल घोषित कर दिया गया।
सूत्रों की माने तो विजय ने कहा पंखा चला दो, उसे बहुत गर्मी हो रही है, बेचैनी बढ़ रही है, सीने में दर्द हो रहा है लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। मां बाप के साथ एक छोटा लड़का और आया था उसने सुना विजय पानी मांग रहा था, वह ग्लास का पानी लेकर उठा और विजय की ओर बढ़ा लेकिन वहां मौजूद एक सिपाही ने टांग अड़ा दी और पानी का ग्लास गिर गया। विजय को पानी भी नहीं मिल सका।
सुबह होने से पहले पुलिस वहां पहुंच गई।स्थानीय विधायक कैप्टेन तमिल सेलवन को भी खबर दी गई।जिसके बाद काफी हंगामा हुआ और जनता का आंदोलन भी हुआ। आनन फानन में मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इस मामले संलिप्त पुलिस अधिकारियों, कांस्टेबल्स को सस्पेंड किया गया। इसके लिए पुलिस ठाणे के सामने भी काफी विरोध प्रदर्शन हुआ था। सरकारी रूप से आर्थिक मदद भी पीड़ित परिवार की मिली। राज्य के कई दिग्गज उत्तर भारतीय नेता कृपाशंकर सिंह, उदय प्रताप सिंह, उत्तर भारतीय संघ के संतोष रामनिवास सिंह जैसे कई दिग्गजों ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और आर्थिक सहायता भी दी थी।
बाद में विधानसभा में भाजपा से विधान परिषद सदस्य प्रसाद लाड ने SIT बनाकर जांच करने का मुद्दा उठाया। सरकार ने SIT बनाई और जांच में यह रिपोर्ट दिया गया कि पुलिस का कोई टॉर्चर नहीं हुआ , उसे पोलिस ठाणे लाया गया जिसके तुरंत बाद ही विजय ने चेस्ट पेन की शिकायत की और उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया। ठाणे लाने से पहले युवा जोड़े ने उसकी पिटाई की थी ,ऐसा पोलिस का कहना था।
अब इस मामले में मृतक के पीड़ित पिता ने हाई कोर्ट में रिट पेटीशन लगाई और सीबीआई को मामला सौंपने की मांग की थी।
इसी गुरुवार को मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रविंद्र घुघे और गौतम आंखड की बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस केस की निष्पक्ष जांच का जिम्मा अब सीबीआई को सौंप दिया है। सीबीआई को निर्देश दिया गया है कि १४ नवंबर तक वह अपनी रिपोर्ट सबमिट करे।
पिता का आरोप है कि SIT में उन्हीं पोलिस वालों को शामिल किया गया जो कस्टोडियल डेथ में शामिल थे।SIT ने क्लीन चीट दे दी और सभी पुलिस वालों का सस्पेंशन वापस लेकर उन्हें अलग अलग थानों में कोविड काल के दौरान ड्यूटी पर वापस बुलाया गया।
विजय सिंह के हार्ट फैलियर की वजह से मौत हुई और इसके लिए उसके हार्ट को पहले KEM और बाद में जेजे में भेजा गया था।
KEM ने कुछ खास रिपोर्ट में नहीं लिखा, जिसे कोर्ट ने ध्यान दिया है। जेजे की रिपोर्ट में कहा गया कि विजय को पहले भी हार्ट प्रॉब्लम की समस्या हुई थी और वह रिकवर हो चुका था। शायद इसी वजह से उसे दुबारा चेस्ट पेन हुआ हो और अंत में मौत की वजह बनी हो।
यहां KEM के विशेषज्ञों ने यह शक उठाया कि क्या विजय का ही हार्ट हमे और जेजे दोनों को दिया गया या हमे और जेजे को दो अलग अलग इंसान के हार्ट भेजे गए?।
कोर्ट ने यह भी ध्यान दिया कि पुलिस के मुताबिक वाहन सीसीटीवी कार्यरत नहीं था, रेनोवेशन काम चल रहा था इसलिए कस्टडी की कोई सीसीटीवी उपलब्ध नहीं है। पिता का आरोप है कि कांस्टेबलों ने विजय को बहुत पीटा था और यह उसकी मौत की वजह बनी, ऐसा हो सकता है, यह कोर्ट ने माना है।
न्यायाधीश ने नायर अस्पताल से फॉरेंसिक रिपोर्ट मांगी थी जिसमें यह कहा गया कि हार्ट की कंडीशन, दो अस्पतालों जेजे और KEM की रिपोर्ट यह इशारा करते है कि एक कार्डियक पैथोलॉजी रिपोर्ट का दिया जाना जरूरी था, जो इस मामले में नहीं दिया गया।
विजय के दोस्त निर्मल सिंह ने अंत तक कोर्ट में बयान को नहीं बदला है, निर्मल ने कहा कि युवा जोड़े द्वारा पीते जाने के बाद पुलिस ठाणे में पुलिस कांस्टेबलों ने भी बहुत पीटा।
उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार SIT को अपनी पूरी रिपोर्ट, जांच के सारे रिकॉर्ड, सबूत सब कुछ १५ दिनों के अंदर सीबीआई को सौंपना होगा। सीबीआई जो केंद्रीय जांच एजेंसी है इस मामले की पूरी जांच कर रिपोर्ट १४ नवम्बर को हाइ कोर्ट में रखेगी।
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