0 मालेगांव ब्लास्ट केस में भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी ७ आरोपी बरी/ मुंबई की विशेष अदालत ने सुनाया फैसला - Khabre Mumbai

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मालेगांव ब्लास्ट केस में भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी ७ आरोपी बरी/ मुंबई की विशेष अदालत ने सुनाया फैसला

तारीख: २९ सितम्बर २००८
स्थान: भिखु चौक, मालेगांव( मुंबई से लगभग २०० किमी दूर)
घटना: मोटरसाइकिल से बम ब्लास्ट, ६ की मौत, १०० से ज्यादा घायल
पहला अरेस्ट: अक्टूबर २००८, आतंकवाद निरोधी दस्ते ATS द्वारा जिसके प्रमुख हेमंत करकरे थे।
मुंबई की विशेष अदालत ने आज सातों आरोपियों जिनमें भाजपा से पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी हैं, को बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति ए के लाहोटी की बेंच ने यह पाया कि प्रॉसिक्यूशन अब तक यह साबित नहीं कर सका कि मोटरसाइकिल जिससे बम ब्लास्ट किया गया वह प्रज्ञा ठाकुर का था, बाइक के इंजिन नंबर स्पष्ट नहीं थे, चेचिस नंबर भी मिट गया था।  आरोप लगा कि मोटर साइकिल प्रज्ञा ने उन लोगों को किराए पर दिया जिन्होंने ब्लास्ट को अंजाम दिया। 
प्रज्ञा ठाकुर के अलावा जो अन्य छह आरोपी रहे:
लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ( मिलिट्री दक्षता विभाग में पोस्टेड थे)
सेवानिवृत मेजर रमेश उपाध्याय
अजय राहिरकर 
सुधाकर द्विवेदी
सुधाकर चतुर्वेदी
समीर कुलकर्णी
सभी पर unlawful activities prevention act UAPA एवं अन्य आईपीसी धाराओं। के तहत कार्रवाई की गई।  हेमंत करकरे जी उस समय केस देख रहे थे।मामलें को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को सौंपा गया था। आपराधिक षडयंत्र, हत्या, हत्या की साजिश जैसे कई संगीन धाराओं में इन सातों ओर मामला चलाया गया था।
कांग्रेस की UPA सरकार ने २०११ में मामला NIA को दिया।उससे पहले ATS कार्रवाई कर रही थी।कर्नल और मेजर ने भी बयान दिया कि ATS अधिकारी बहुत टॉर्चर करते थे और उन्हें डरा धमका कर बयान लिए गए थे।
NIA ने मकोका हटा दिया लेकिन UAPA और अन्य धाराएं चलती रहीं।
NIA ने ३२३ गवाहों के बयान दर्ज किए, ४० गवाह मुकर गए। १३०० पन्नों का रिकॉर्ड तैयार किया गया। २०१८ से २०२३ तक ट्रायल चला। २०२३ में जस्टिस लाहोटी के पास मामला आया और अप्रैल २०२५ तक उन्होंने कई महीने तक मामले को समझने, कई गवाहों को सुनने, पीड़ित और प्रॉसिक्यूशन को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
न्यायमूर्ति लाहोटी ने कहा कि बेनिफिट ऑफ डाउट दिया जाएगा क्यों कि विपक्ष यह साबित नहीं कर सका कि धमाके में जिस RDX का इस्तेमाल हुआ वह कर्नल साहब के घर में  रखा गया था।  प्रज्ञा ठाकुर के वकीलों की टीम ने बताया कि वह बाइक जिसके शक में उन्हें मामले में अरेस्ट किया ,वह मालेगांव ब्लास्ट से काफी पहले बेचा जा चुका था।
पीड़ितों के वकील शहीद नदीम ने कहा कि यह १७ साल बाद का फैसला जो आज स्पेशल कोर्ट ने दिया वह पीड़ितों के लिए एक और जख्म दे गया।
८ डिफेंस गवाहों के बयान भी दर्ज किए गए थे।
२०१८ से २०२३ तक कोर्ट ट्रायल चला और आखिर तक यह साबित ही नहीं हो सका कि सातों की सच में इस भीषण ब्लास्ट हादसे में कोई भूमिका रही। अभिनव भारत संगठन जिससे प्रज्ञा जुड़ी रहीं, उसकी भी कोई भूमिका साबित नहीं हो सकी।
साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि वह तो पहले से यही कहती रही कि निर्दोष होने के बावजूद उनकी जिंदगी नर्क बन गई।जितनी यातनाएं दी गई, जल्लादों की तरह अधिकारी रोज पीटते थे। ATS के अधिकारियों ने मौत से भी बदतर जिंदगी जीने पर मजबूर कर दिया था।आज मैं जिंदा हूं तो सिर्फ इसलिए क्यों कि साध्वी हूं वरना कब का खत्म हो चुकी होती।
ईश्वर सभी के साथ न्याय करेंगे।

अब बड़ा प्रश्न यह है कि मालेगांव ब्लास्ट किया किसने था और पीड़ित पक्ष अगला इस फैसले के बाद  क्या कदम उठाएगा।











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