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श्रावण मास में कामिका एकादशी का विशेष संयोग, हरि और हर दोनों को करें प्रसन्न

21 जुलाई को सावन सोमवार व कामिका एकादशी का संयोग है।

श्रावण मास में 21 जुलाई, सोमवार को एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन श्रावण सोमवार के साथ-साथ कामिका एकादशी भी पड़ रही है। ऐसी स्थिति में भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर बन रहा है, जिसे धर्मशास्त्रों में अत्यंत पुण्यदायी और फलदायी बताया गया है। 

धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रावण मास का प्रत्येक सोमवार शिवभक्तों के लिए विशेष होता है और एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस बार दोनों दिन एक साथ होने से भक्तों को शिव और विष्णु दोनों की आराधना का दुर्लभ लाभ मिलेगा। शिव जी और विष्णु जी की संयुक्त उपासना से व्यक्ति के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो सकते हैं और जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि का वास होता है। 

यह योग वर्षों में एक बार ही आता है। इसलिए श्रद्धालु इस दिन उपवास, व्रत और पूजा अवश्य करें।
( संकलन: आचार्य अजय मिश्र जी, विहिप संचालित समर्थ हनुमान टेकडी सिद्धपीठ, सायन, मुंबई )
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण ने स्वयं पांडवश्रेष्ठ युधिष्ठिर को इस एकादशी का महत्व बाते हुए कहा है कि कामिका एकादशी के महात्म्य को सुनने मात्र से मनुष्य मात्र के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कैसे करें पूजन:
१: स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त हों, तन मन शुद्ध करें।
2. सूर्य नारायण को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें।

3. घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में एक चौकी रखें, उस पर पीला कपड़ा बिछाएं।

4. श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और घी का दीपक जलाएं।

5. भगवान को पीले पुष्प, पीले फल, पीले वस्त्र और पीले मिष्ठान अर्पित करें।

6. तुलसी का पत्ता ज़रूर अर्पित करें, ये विष्णु जी को सबसे प्रिय होती है।

7. पूजा के बाद विष्णु जी की आरती करें और सबमें प्रसाद बांटें।

पूजा में आप विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। 
भगवान नारायण का ध्यान करने में निम्न मंत्र कहें..
शान्ताकारम भुजगशयनम
पद्म नाभम सुरेशम 
विश्वाधारम गगन सदृशम
मेघ वर्णम शुभांगम
लक्ष्मीकांतम कमलनयनम
योगी विर्धान गम्याम,
वन्दे विष्णु भवभय हरम
सर्व लोकेक नाथम।।
भगवान नारायण के साथ ही भोलेनाथ की पूजा अर्चना जरूर करें। श्रावण मास के सोमवार के दिन यह एकादशी होने से इसका महत्व कई हजार गुना बढ़ जाता है।



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