मुंबई हाय कोर्ट ने मुंबई ट्रेन धमाकों 2006 मामले में 12 दोषियों को बरी किया, सबूत पर्याप्त नहीं, सरकारी वकील नहीं कर पाए दोषियों की संलिप्तता: मुंबई उच्च न्यायालय
दिनांक: ११ जुलाई २००६
समय: शाम ६:२४ से शाम ६:३५ तक
घटना: सात ट्रेनों के फर्स्ट क्लास डब्बों में अलग अलग सात रेलवे स्टेशन पर बम धमाका
हमले का असर: ८९ यात्रियों की मौत, ८०० से ज्यादा घायल।
लोवर टाडा कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए २०१५ में १२ अभियुक्तों को दोषी करार दिया ,जिनमें ५ को फांसी, ७ को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। फांसी पर मुहर लगाने के लिए राज्य सरकार ने हाय कोर्ट का रुख किया था जहां अब न्यायमूर्ति अनिल किलोर एवं श्याम चंडक की बेंच ने सभी दोषियों को बरी कर दिया है।
न्यायमूर्तियों का कहना है कि सरकारी वकीलों ने गवाहों का बयान १०० दिन के बाद रिकॉर्ड किया , अदालत यह मानती है कि किसी घटना के बारे में १०० दिन बाद ठीक ठीक याद रखना बहुत मुश्किल काम है। वकील यह भी नहीं तय कर पाए कि किस तरह का बम आतंकियों ने इस्तेमाल किया था। घटना स्थलों से मैप , विस्फोटकों के अवशेष आदि जो मिले जिसका दावा किया गया वह घटी घटना से बिल्कुल संबंध नहीं रखती।
बारहों अभियुक्त जिन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया ,उनके नाम इस प्रकार हैं:
फैसल शेख
आसिफ खान
कमल अंसारी
एहतेशान सिद्दीकी
नवीद खान
इन पांचों को महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट मकोका के तहत
सजाए मौत सुनाया गया था।
साजिद अंसारी
मोहम्मद अली
डॉक्टर तनवीर अंसारी
मजीद शाफी
मुजम्मिल शेख
सोहेल शेख
जमीर शेख
ये वह दोषी हैं जिन्हें आजीवन कारावास की सजा मकोका कोर्ट ने २०१५ में सुनाया था लेकिन उन्हें भी अब उच्च न्यायालय ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि यह लोग किसी और मामले में वांटेड नहीं हैं तो उन्हें तत्काल रिहा कर दिया जाए।
११ जुलाई की शाम सात स्टेशन में चर्चगेट से विरार जानेवाले लोकल में फर्स्ट क्लास के डब्बो में प्रेशर कुकर में बम धमाके किए गए थे। माटुंगा रोड, बांद्रा, खार रोड , माहिम, जोगेश्वरी, बोरिवली, भयंदर में धमाके हुए थे।
राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना रही है।
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