0 महाराष्ट्र से ११ , तमिलनाडु से १ किलों को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट में किया गया शामिल। - Khabre Mumbai

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महाराष्ट्र से ११ , तमिलनाडु से १ किलों को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट में किया गया शामिल।

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित १७ वीं शताब्दी से १९ वीं शताब्दी के बीच अत्याधुनिक संस्कृतिक एवं कूटनीतिक संरक्षण से बने ११ किले जो महाराष्ट्र में हैं और एक किला जिंजी जो तमिलनाडु में है ,उन्हें यूनेस्को द्वारा विरोध हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल किया गया है।
यह सूची निम्न प्रकार है:

भारत का दूसरा सबसे ऊंचा ,महाराष्ट्र के नाशिक में स्थित यह साल्हेर किला है , यहां १७६२ में मुगलों एवं मराठों के बीच युद्ध हुआ ,मुगल सेना को हारना पड़ा था।


शिवनेरी किला: शिवाजी महाराज का जन्म यहीं हुआ था। यह किला पुणे के जुन्नर में है और इसके चारों ओर गहरी खाई है, दीवारें बड़ी मजबूत हैं और शिवाई  देवी मंदिर भी है जिनके नाम पर शिवाजी नाम महाराज को मिला था। किले में जाने के लिए सात दरवाजे हैं और सबका अपना महत्व है। पानी का तालाब, सैनिकों को रहने का स्थान आज भी अपनी गौरव गाथा समेटे हुए इस किले में मौजूद है।


लोहगढ़ किला: यह भी पुणे में है और लिए जैसी मजबूत दीवारें हैं। १६४८ में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसे अपने नियंत्रण में लिया था।यह बहुत प्राचीन किला है जो कई राजवंशों का गवाह रह चुका है। बिच्छू की पूंछ जैसे पर्वताकार रूप में इस किले की रचना की गई है। यह लोनावला के पास सह्याद्री पर्वत पर बना है।


खंडेरी किला: १६६० में शिवाजी महाराज के आदेश पर बनाया गया जो रायगढ़ में अरब सागर में अलीबाग के पास स्थित है। नौसेना शक्ति मजबूत करने, मुंबई एवं अन्य तटीय इलाकों की रक्षा के उद्देश्य से उसे बनाया गया था ।

रायगढ़ किला: मराठा साम्राज्य की राजधानी शिवाजी महाराज ने इसी किले को बनाया था।यही उनका राजतिलक भी हुआ था। यह रायगढ़ जिले में स्थित है।
१५ वीं सदी में उसका निर्माण हुआ था। इस किले में शिवाजी महाराज की समाधि भी है, उनके प्रिय कुत्ते की भी समाधि यहीं है।उसके अलावा बाजार पेठ, राजसभा, न्याय विभाग भी यहां मौजूद हैं।

राजगढ़ किला: प्राचीन नाम मुरंबदेव लेकिन जब शिवाजी महाराज ने इसे अपनी राजधानी बनाया तो नाम राजगढ़ मिला। पुणे के सहयाद्रि पर्वत श्रृंखला का यह अहम हिस्सा रहा है। युद्ध स्थल के अलावा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यही शिवाजी महाराज की पत्नी सायबाई का अंतिम संस्कार किया गया और उनकी समाधी स्थल भी है।


प्रतापगढ़ किला: सातारा में महाबलेश्वर में यह मौजूद है।१६५६ में शिवाजी महाराज ने इस किले को बनवाया ताकि दुश्मनों से सुरक्षा मिल सके। सबसे अधिक प्रचलित युद्ध अफजल खान के साथ १६५९ में हुआ जहां शिवाजी महाराज ने उसे मार गिराया था। 

सुवर्ण दुर्ग: रत्नागिरी के दापोली के पास हर हरेश्वर एवं हरने के बीच समुद्र में यह किला है।अरब सागर के एक द्वीप पर निर्मित है जहां किनारे से नाव लेकर पहुंचा जा सकता है। सोने जैसे किला इसीलिए कहा गया क्योंकि दीवारें सोने की तरह चमकीली मजबूत हैं। 


पन्हाला किला: यह कोल्हापुर में सहयाद्रि पर्वत माला में फैला हुआ है, शिवाजी महाराज ने आदिलशाह से यह किला १६५९ में जीता था, कई युद्ध रणनीतियों का यह गवाह रहा है। निर्माण इस तरह से था कि घेराबंदी को काफी समय तक झेला जा सकता था।


विजयदुर्ग: सिंधुदुर्ग में मालवण के पास यह किला है जिसका निर्माण १३ वीं सदी में राजा भोज ने कराया लेकिन सर्वाधिक पहचान छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा मिली।अरब सागर में मौजूद यह किला मराठा नौसेना शक्ति का प्रतीक है।


सिंधुदुर्ग किला: यह सिंधुदुर्ग में मालवण के पास है जहां ३ साल में १६६४ के करीब महाराज ने उसका निर्माण करवाया। १०० किमी दूर से विशेष पत्थर लाए गए और एक पत्थर पर महाराज के हाथ के निशान सुरक्षित रखे गए हैं। समुद्री हमले से रक्षा के लिए इसे बनाया गया था, दीवारें तीस फीट ऊंची हैं और बहुत मजबूत हैं।

जिंजी किला: तमिलनाडु के विल्लीपुरम में है ,लगभग ७ किमी परिसर में फैला मजबूत किला है।
९ वीं सदी में चोल राजाओं ने उसका निर्माण किया था ,बाद में कई राजवंशों ने इसका उपयोग किया।
१६८० के बाद यह शिवाजी महाराज के अधीन रहा। १६९० में मुगलों से बचाने के लिए महाराज ने इसे अपने नियंत्रण में लिया था। तोपखाने,  गुप्त सुरंगे, जलाशय, ऊंची ऊंची दीवारें इस किले की खुबसूरती बढ़ाती हैं।


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