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श्रावण मास का महत्व/जानिए विशेष

सावन महीना या श्रावण महीना कब से है, इसकी महत्वता के बारे में जानिए।


श्रवण अर्थ:
हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास सभी महीनों की तुलना में सबसे पवित्र महीनों में से एक है। यह हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका नाम श्रवण क्यों पड़ा? श्रवण नक्षत्र को पूर्णिमा या पूर्णिमा के दिन आकाश पर शासन करने के लिए माना जाता है; इसलिए, इसका नाम श्रवण नक्षत्र से लिया गया है। इस महीने में, शिवजी की कृपा चाहने वाले भक्त पत्रम-पुष्पम , फलम-तोयम शिव लिंग को अर्पण करते हैं और दीपदान करते हैं।

श्रावण का महीना अनेक त्योहारों का पर्याय है। आयोजन की दृष्टि से यह सभी शुभ कार्यों को करने का सबसे अच्छा समय है क्योंकि इस महीने के अधिकांश दिन शुभ आरंभ (नई शुरुआत) के लिए आशाजनक होते हैं।

इस महीने में, प्रत्येक सोमवार को सभी मंदिरों में श्रावण सोमवार के रूप में मनाया जाता है, शिवलिंग के ऊपर जलधारा के साथ, दिन और रात में पवित्र जल और दूध से अभिषेक किया जाता है। आइए श्रावण की तिथि और समय और सभी महत्वपूर्ण सोमवारों को समझते हैं!

श्रावण मास 2025 तिथियां:
श्रावण सोमवार व्रत राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड के लिए है।

11 जुलाई 2025, (शुक्रवार) (श्रावण प्रारंभ)
14 जुलाई 2025, सोमवार (पहला सोमवार व्रत)
21 जुलाई 2025, सोमवार (दूसरा सोमवार व्रत)
28 जुलाई 2025, सोमवार (तीसरा सोमवार व्रत)
4 अगस्त 2025, सोमवार (चौथा सोमवार व्रत)
9 अगस्त 2025, शनिवार (श्रावण समाप्त)
श्रावण सोमवार व्रत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु के लिए है।

25 जुलाई (गुरुवार) श्रावण मास का पहला दिन
28 जुलाई (सोमवार) श्रावण सोमवार व्रत
4 अगस्त (सोमवार) श्रावण सोमवार व्रत
11 अगस्त (सोमवार) श्रावण सोमवार व्रत
18 अगस्त (सोमवार) श्रावण सोमवार व्रत
23 अगस्त (गुरुवार) श्रावण मास का आखिरी दिन


पवित्र श्रावण मास सोमवार पर शिव पूजा अनुष्ठान
मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करना आसान है सभी देवताओं के बीच। ऐसे में उनकी कृपा पाने के लिए नीचे बताए अनुसार उपाय करें।

सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
फिर आपको शिव मंदिर जाना चाहिए या उचित अनुष्ठानों के साथ अपने घर में एक प्रामाणिक रुद्राभिषेक पूजा करनी चाहिए।

बेल के पत्ते, धतूरा, गंगाजल और दूध महत्वपूर्ण पूजा सामग्री हैं।
पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।
घी-शक्कर भगवान शिव को चढ़ाया जाता है।
फिर प्रार्थना करें और आरती करें।
पूजा पूरी होने के बाद प्रसाद बांटें।
(संकलन: आचार्य अजय मिश्र जी: विहिप संचालित समर्थ हनुमान टेकडी सिद्ध पीठ, सायन, मुंबई)

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