पेटीएम को वित्तमंत्री, रिजर्व बैंक ने सहयोग देने से किया इनकार/ अब क्या विकल्प बचेगा शर्मा के पास?
पेटीएम पेमेंट बैंक के मालिक सीईओ विजय शेखर शर्मा कल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से शाम को 4:00 बजे के आसपास दिल्ली स्थित कार्यालय में मिल आए लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। 10 मिनट की इस मीटिंग में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा आर्थिक सचिव भी मौजूद थे। वित्त मंत्रालय ने दो टूक में कह दिया कि पेटीएम पर रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने एक्शन लिया है जो कि भारत की अर्थव्यवस्था की रेगुलेटर है, ऐसे में वित्त मंत्रालय उनके लिए कुछ नहीं कर सकता।
वैसे भी पिछले डेढ़ सालों में बहुत सारी चेतावनी रिजर्व बैंक ने पेटीएम को दी है और पर्याप्त समय दिया ताकि कंप्लायंस संबंधित अपनी गलतियों को सुधार ले ,इंतजार भी किया लेकिन पेटीएम पर्याप्त समय दिए जाने के बावजूद अपनी गलतियों में सुधार नहीं ला सका। इसलिए रिजर्व बैंक ने कड़ा रुख अपनाते हुए 29 फरवरी की एक अंतिम समय सीमा दे दी है इसके बाद पेटीएम पेमेंट बैंक लिमिटेड का लाइसेंस सस्पेंड हो जाएगा।
दर असल रिजर्व बैंक ने पिछले 4 सालों में कई बार खतरे की घंटी पेटीएम के लिए बजाई है जिसमें उसने कहा कि जितने भी मर्चेंट्स पेटीएम के ऐप पर पंजीकृत हैं और पेटीएम पेमेंट बैंक का इस्तेमाल यूपीआई के रूप में पैसे के लेनदेन के लिए कर रहे हैं उनकी केवाईसी यानी नो योर कस्टमर का कंप्लायंस पूरी तरह नहीं किया गया है।
जानकारी के लिए बता दें पेटीएम पेमेंट बैंक के लगभग 3 करोड़ ग्राहक मर्चेंट के रूप में मौजूद है जो पेटीएम यूपीआई से सीधे तौर पर जुड़े हैं ,इसमें से 20% यानी 60 लाख के लगभग ऐसे खाताधारक हैं जो पैसों का हस्तांतरण करते हैं।
यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस एक ऐसी ऑनलाइन सरकारी व्यवस्था है जिसे नेशनल पेमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया यानी एनपीसीआई संचालित करता है।
पेटीएम के मालिक एवं प्रबंधन समिति की वरिष्ठ टीम के लोग जनवरी 2024 में भी रिजर्व बैंक से दो बार मुलाकात कर चुके हैं जिसमें उन्होंने अधिक समय मांगा था कि वह केवाईसी से संबंधित वैधानिक त्रुटियों को दूर कर सकें । रिजर्व बैंक का तर्क है कि डेढ़ सालों में कई बार वह समय दे चुका है ।पिछले 4 साल में आरबीआई कई बार चेतावनी दे चुका है लेकिन पेटीएम पेमेंट बैंक ने आरबीआई की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया।
इसलिए इस बार एक्शन जरूर लिया जाएगा और सप्ताह भर पहले आखिरकार रिजर्व बैंक ने 29 फरवरी की अंतिम समय सीमा तय कर दी।
मुकेश अंबानी प्रणित जियो फाइनेंशियल सर्विसेज ने पेटीएम पेमेंट बैंक को किसी भी तरह का सहयोग देने से मना कर दिया है। हालांकि एक दिन पहले ही ऑनलाइन पेमेंट ट्रांसफर के मेकैनिज्म से जुड़े हुए कई नॉन बैंकिंग वित्तीय संस्थानों ने आरबीआई को लेटर जारी कर पेटीएम पेमेंट बैंक को सहयोग करने की अपील की है।
पेटीएम देश के बहुत ही उच्चतम ब्रांड में से है ।छोटी-छोटी सड़कों ,गलियों में उपलब्ध दुकानों से लेकर बड़े-बड़े मर्चेंट भी पेटीएम ऐप का इस्तेमाल करते हैं।
पेटीएम में एक करोड़ से ज्यादा साउंड बॉक्स भी मर्चेंट्स के पास सेटअप किए हैं जिन पर पेटीएम का ही QR कोड लगा हुआ है।
ऐसे में यदि 29 फरवरी के बाद किसी तरह की राहत नहीं दी जाती है जिसकी संभावना प्रबल है क्योंकि रिजर्व बैंक ने भी किसी सहयोग की संभावना से इनकार कर दिया है । दो टूक कह दिया है कि व्यक्तिगत रूप से रिजर्व बैंक किसी भी बैंक को पेटीएम को सहयोग देने के मुद्दे पर सुझाव नहीं देगा।
ऐसे में QR कोड निष्क्रीय हो जाएंगे ,पेटीएम पेमेंट बैंक को दूसरे बैंक का यूपीआई एड्रेस का क्यूआर कोड लगाना पड़ेगा और उससे भी पहले उसे यह तय करना पड़ेगा की किस बैंक का साथ उसे मिलाने वाला है।
बैंकों के लिए क्या है समस्या
बैंकों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि 60 लाख से अधिक मर्चेंट खाता धारकों के केवाईसी का प्रोसेस पूरा करने में उन्हें मेहनत करनी पड़ेगी और यह 3 महीने से ज्यादा का वक्त ले सकता है। दूसरी बड़ी बात है कि रिजर्व बैंक की कृपा के बिना कोई भी बैंक पेटीएम को सहयोग करने की हिम्मत नहीं करना चाहता।
29 फरवरी के डेडलाइन की न्यूज़ बाहर आने के बाद पेटीएम ब्रांड की पैरंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस के शेयर तीन दिनों में लगभग 50% टूट गए ।उसके बाद वित्त मंत्रालय एवं रिजर्व बैंक के अधिकारियों से सीईओ विजय शेखर शर्मा के मीटिंग की खबरों की संभावनाओं के चलते शेयर ने कल लगभग 5% और आज 10% की रिकवरी दिखाई है।
कुल मिलाकर पेटीएम पेमेंट बैंक का यूपीआई ऐड्रेस जो @paytm है उसे किसी अन्य बैंक के UPI एड्रेस में बदलने के लिए जैसे @oksbi; @okicici जैसे एड्रेस में बदलने के लिए एक विकल्प हो सकता है और वह यह है कि पेटीएम के सेल्स फोर्स कर्मचारी मर्चेंट खाताधारको को यह समझाएं कि मर्चेंट स्वयं पेटीएम एप में ऑनलाइन जाकर अपने खाते को मौजूद लिंक यूपीआइ बैंक के बजाय दूसरा बैंक खाते से लिंक करें।लेकिन आज के दौर में लोग एक से अधिक पेमेंट एप का उपयोग करते हैं। जैसे फोन पे, गूगल पे इत्यादि। ऐसे में दूसरा बैंक खाता लिंक करने के बजाय ग्राहक उन दूसरे एप का प्रयोग शुरू कर सकते हैं।
कुल मिलाकर यह भी है कि ऑनलाइन मनी ट्रांसफर के इको सिस्टम में बहुत व्यापक स्तर तक अपनी ब्रांड बना चुका है। पेटीएम यदि २९ फरवरी के बाद सिस्टम से बाहर होता है तो इस पूरे फाइनेंशियल इको सिस्टम की विश्वसनीयता पर भी लोग सवाल खड़े करेंगे।
इससे एक दिन पहले यह भी खबर आई कि पेटीएम पर ईडी की जांच चल रही है। पेटीएम अधिकारियों ने इस खबर का खण्डन किया। सीईओ शर्मा ने कहा था कि पेटीएम के कुछ मर्चेंट ग्राहकों पर ईडी की कार्रवाई हो रही है। अब प्रश्न यह भी है कि क्या जांच एजेंसी ईडी पेटीएम पर भी कोई कार्रवाई करने की तैयारी कर सकती है?
एक ही पैन नंबर से १००० अकाउंट पेटीएम पर खुल गए जबकि केवाईसी प्रक्रिया नही की गई। करोड़ों रूपये ट्रांसफर भी किए गए। इसी वजह से मनी लांड्रिंग की आशंका हो गई और आरबीआई के नजर में पेटीएम आ गया। हालांकि पेटीएम प्रबंधन कह रहा है कि कुछ व्यापारी जो खाताधारक हैं उनके साथ जांच एजेंसी पूछताछ कर रही है लेकिन पेटीएम प्रबंधन समिति या सीईओ विजय शेखर शर्मा इस जांच के दायरे में नहीं हैं।
पेटीएम १८ नवंबर २०२१ को प्राइमरी मार्केट के जरिए स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हुई ,इश्यू प्राइस २१५० रुपए का था ।लिस्ट होते हुए लगातार शेयर में गिरावट का दौर चलता रहा और भाव ४६५ रुपए तक नवंबर २०२२ में पहुंच गया। यहां से स्टॉक ने रिबाउंड किया और कुछ हफ्ते पहले तक ८५० रुपए तक भी गया।
कल कारोबारी सत्र में न्यूनतम स्तर को छूते हुए ४३८ रुपए तक आ पहुंचा था। एलआईसी से पहले देश के सबसे बड़े आईपीओ के रूप में विजय शेखर शर्मा की कंपनी पेटीएम ने १८३०० करोड़ रुपए जुटाने की योजना बनाई थी। लिस्टिंग भी हुई लेकिन निवेशकों को सिर्फ आंसू मिले।
आरबीआई के इस नए फरमान के बाद ऑनलाइन बैंकिंग सर्विस की सुविधा पेटीएम के जरिए बंद हो जाएगी और इसी के साथ fastag, कस्टमर अकाउंट डिपॉजिट, वॉलेट , टॉप अप करने का अधिकार भी नही रह जाएगा।
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