0 महाराष्ट्र में फिर ट्रिपल इंजन की सरकार/अजीत पवार फिर से उपमुख्यमंत्री/ सुबह ८ बजे पहले ली थी शपथ, दो दिन में सरकार गिरी/आज ली दोपहर में शपथ/९ राकांपा विधायक भी बने मंत्री/ - Khabre Mumbai

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महाराष्ट्र में फिर ट्रिपल इंजन की सरकार/अजीत पवार फिर से उपमुख्यमंत्री/ सुबह ८ बजे पहले ली थी शपथ, दो दिन में सरकार गिरी/आज ली दोपहर में शपथ/९ राकांपा विधायक भी बने मंत्री/

आज आज दोपहर राजभवन में राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में सियासी भूचाल आया; जिसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की तरफ से महाराष्ट्र में विरोधी पक्ष नेता के रूप में मौजूद अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ  ली है। इसके अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के ५३  विधायकों में से ३० विधायक जिन्होंने अजीत पवार को समर्थन दिया हुआ है, वह सभी भी अजित दादा के साथ हैं और ९ विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ले ली है।
छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, धर्मराव आत्राम, अदिति तटकरे, अनिल पाटिल, संजय बनसोडे  यह वह सभी विधायक हैं जो राकांपा से हैं और वर्तमान में आज से महाराष्ट्र कैबिनेट में मंत्री बन गए हैं।

पहले की तरह इस बार भी राकांपा चीफ को आज सुबह हुई अजीत पवार की विधायकों के साथ बैठक को लेकर कोई खास जानकारी नहीं थी। उन्होंने media briefing में यही कहा कि विरोधी पक्ष नेता होने के नाते उन्हें विधायको की मीटिंग बुलाने का अधिकार है, किसलिए बुलाई है, इस पर विशेष जानकारी नहीं है।

महाराष्ट्र में सियासी उठापटक 2019 हुए राज्य के विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार जारी है। पहले बहुमत में भाजपा और तत्कालीन शिवसेना थी जिन्होंने मिलकर चुनाव लड़ा था। बावजूद उसके साथ नहीं आए क्योंकि उस समय लड़ाई थी कि शिवसेना के व्यक्ति को ढाई साल का मुख्यमंत्री बनना है। जबकि भाजपा इसके लिए तैयार नहीं थी और उनका दावा था कि ऐसी कोई डील पहले नहीं हुई थी। शुरू से ही मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस जी का चेहरा सामने रखा गया था और हर जगह सभाओं में उन्हीं को बैनर में भी दिखाया गया था।

इससे आहत होकर शिवसेना ने भाजपा का साथ नहीं दिया।

भाजपा ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जूनियर पवार , जी हां-  अजित दादा पवार के साथ 33 विधायकों का समर्थन पत्र लेकर सुबह 8:00 बजे राजभवन में बिना किसी तामझाम के सरकार बना ली। अजित दादा पवार को उपमुख्यमंत्री, देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए लाइव टेलीकास्ट कर दिया गया।

राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख महाराष्ट्र की सियासी गलियारे के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार ने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है। क्या हुआ है और वह अजीत पवार से बात करेंगे।
 इसके बाद क्या हुआ यह हम सभी जानते हैं । अजित दादा पवार ने अपना समर्थन वापस ले लिया और बीजेपी की फडणवीस सरकार गिर गई।

महाराष्ट्र में पहली बार परस्पर विरोधी विचारधाराओं के बावजूद शिवसेना,  राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस मिलकर  सत्ता में आ गई और इसे नाम दिया गया महा विकास आघाडी।

महा विकास आघाडी की सत्ता महाराष्ट्र में लगभग ढाई वर्ष तक चली और तत्कालीन शिवसेना में बगावत हो गई। लगभग 40 विधायक निवर्तमान शिवसेना से अलग होकर एकनाथ शिंदे जी  के साथ आ गए जो कि स्टेट केबिनेट मिनिस्टर के रैंक पर थे। उन्होंने मोर्चा खोल दिया जिसके बाद केंद्र सरकार के निर्देश के बाद महाराष्ट्र की भाजपा इकाई ने एकनाथ शिंदे व उनके 40 समर्थकों को सहयोग दिया और महाराष्ट्र में भाजपा की पुनः वापसी हो गई , लेकिन स्टाइल अलग था। शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री का ताज पहना दिया गया। जिसके बाद शिवसेना से कई नगर सेवकों, विभाग प्रमुख और तमाम नेताओं के उद्धव गुट को छोड़ने और शिंदे गुट को ज्वाइन करने की बाढ़ सी आ गई।

चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायालय दोनों जगह पर लड़ाई लड़ने के बाद शिंदे गुट को तत्कालीन शिवसेना का नाम और सिंबल दोनों मिल गया।

आज हुए इस राजनीतिक उठापटक के बाद शिवसेना यूबीटी चीफ उद्धव ठाकरे को , कांग्रेस को और खुद राकांपा प्रमुख को अजीत पवार ने चौंका दिया है।

एकनाथ शिंदे , मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए अजीत दादा साथ आए हैं। अब यहां भी ट्रिपल इंजन की सरकार चलेगी। 

उल्लेख कर दें कि राज्य में मुंबई मनपा समेत अन्य नगरपालिकाओं के चुनाव होने जा रहे हैं, जिसकी तारीख निश्चित नहीं हुई है, पर कुछ ही माह में संभावना प्रबल है।

क्या कहा छगन भुजबल ने :
भुजबल ने कहा है कि पार्टी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि देश में मोदी जी ही फिर आनेवाले हैं और यदि ऐसा है तो देश के सर्वांगीण विकास के लिए हमे एनडीए के साथ मिलकर काम करना चाहिए। हमने कोई नई पार्टी नही बनाई है। हमने शिंदे सरकार को राकांपा के तौर पर ही समर्थन दिया है। 

दरअसल राकांपा में सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही अजीत पवार के नाराजगी के संकेत मिल रहे थे। ऐसा माना जा रहा था कि अजीत दादा को सुप्रिया ताई को रिपोर्ट करना पड़ेगा। 
महाराष्ट्र में सियासी उठापटक इतनी तीव्र गति से बदला है और यह सब जानता देख रही है। शिंदे फडणवीस सरकार को १ साल पूरे हुए हैं।



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