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संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से लेकर 11 अगस्त तक/ केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने की घोषणा ,एक समान कानून यूसीसी पर हो सकता है बिल पेश

मानसून सत्र की शुरुआत 20 जुलाई से हो रही है और 11 अगस्त तक चलेगी। ऐसी जानकारी कल केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने दी है।  कल हुई केंद्रीय संसदीय समिति की बैठक की अध्यक्षता रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की थी।

जोशी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कुल 23 दिनों में होने वाले इस मानसून सत्र में 17 बैठके होंगी जिसमें उन्होंने सभी पार्टियों से निवेदन किया है इस सत्र को सुचारू रूप से चलाया रखने एक व्यवस्थित डिबेट नीतियों पर चर्चा करने और आगे बिल पेश करने इत्यादि में सहयोग दें।

स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार नई संसद भवन में इस मानसून सत्र का समापन होगा हालांकि शुरूआत पुराने संसद भवन में ही होगी ऐसे भी संकेत मिले हैं।
बीते कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी  एक समान कानून के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने के बाद सभी पार्टियों में इस पर बहस शुरू हो गई है। कुछ ही दिन पहले बिहार की राजधानी पटना में देश की प्रमुख 17 विरोधी पार्टियों ने आपस में एक होने का दम दिखाया है और ऐलान किया है लोकसभा 2024 का चुनाव वह सभी पार्टियां एक साथ मिलकर लड़ने वाले हैं। यह भी दिलचस्प होगा की मानसून सत्र में विरोधी पार्टियां उड़ीसा के बालासोर में ट्रेन हादसे मणिपुर में हो रही हिंसा जैसे मुद्दों पर सरकार को किस करने की योजना बनाए हुए हैं।

(नए संसद भवन में कुछ इस तरह होंगी सेशन की तस्वीरें)

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कल कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी ने अपने दिल्ली के दस जनपथ स्थित आवास पर बैठक बुलाई थी सोमवार को भी इस पर चर्चा होनी है और उसके बाद ही कांग्रेस अपना रुख साफ कर पाएगी यूसीसी को लेकर उसके अपने क्या मत है।

कांग्रेस के लिए यह भी गले की हड्डी बनी हुई है कि उसकी सहयोगी पार्टियां शिवसेना यूबीटी और आम आदमी पार्टी दोनों ने यूसीसी के लिए अपनी सहमति दे दी है। लॉ कमीशन ने भी यूसीसी पर नोटिफिकेशन जारी कर लोगों से राय मांगी है। इस पर कांग्रेस का कहना है कि यूसीसी की बात लाकर मोदी सरकार अपनी नाकामियों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है।

समान नागरिक संहिता( UCC) के अलावा केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली के लिए लाए संशोधित बिल प्रस्ताव पर भी तीखी बहस होने के आसार हैं। केंद्र सरकार ने संघ प्रदेश दिल्ली में प्रशाशन के लिए संशोधित बिल तब लाया जब सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली की सरकार को ही दिल्ली का शासन चलाने के लिए अधिकृत कर दिया। 

कोर्ट के फैसले पर आम आदमी पार्टी मुखर है, अन्य विपक्षी दलों से भी सहयोग मांग कर आप ,भाजपा की मोदी सरकार पर दबाव बनाना चाहती है।
आगामी आम चुनाव भी सर पर हैं,इस लिहाज से भी संसद में हंगामे देखने को मिल सकते हैं।



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