0 कल से महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र, विरोधी पक्ष नेता की कुर्सी खाली; विरोधी नेता बने सरकार में मंत्री/ जनता के मुद्दे पर कैसे हो सकेगी बहस? - Khabre Mumbai

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कल से महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र, विरोधी पक्ष नेता की कुर्सी खाली; विरोधी नेता बने सरकार में मंत्री/ जनता के मुद्दे पर कैसे हो सकेगी बहस?

महाराष्ट्र विधान मंडल में कल से शीतकालीन सत्र शुरू किया जा रहा है। 
परंपरा के अनुसार सत्ताधारी पक्ष सत्र शुरू होने से पहले पूर्व संध्या पर विरोधी दलों के भी सभी नेताओं को चाय पार्टी पर आमंत्रित करता है।

पिछले कुछ समय से यह भी देखा जा रहा है कि सत्ताधारी पक्ष चाय पान के लिए निमंत्रित करता जरूर है पर विरोधी पक्ष इनकार कर देता है। शायद इस बार भी ऐसा देखने को मिले लेकिन विपक्ष बहुत ही कमजोर हो चुका है।

राज्य सरकार के विश्वस्त सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र विधानमंडल के 288 विधायकों में से 208 विधायक तो सरकार के साथ ही हैं। इस हिसाब से ऐसे में सिर्फ 80 विधायक ही विरोध में खड़े हैं और यह भी नहीं कहा जा सकता है कि इनमें से कितने विधायक कब अपना पाला बदल लें और सरकार में शामिल हो जाए।

हाथ कंगन को आरसी क्या... इस कहावत के अनुसार पिछले 4 सालों में महाराष्ट्र की जनता ने लगभग सभी पक्ष के मंत्रियों को ,उनके द्वारा चलाया जा रहे सरकार को देख लिया है। पहले महाराष्ट्र विकास आघाडी की सरकार चली। जिसमें तीनों दल आपस में विरोधी विचारधारा के होते हुए भी सरकार चलाते रहे और आखिर में शिवसेना में फूट पड़ गई और 39 विधायकों के साथ कभी एमवीए सरकार में मंत्री रहे एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल ली और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली।

इस मौजूदा शिंदे सरकार  को अभी 1 वर्ष पूरे हुए ही थे कि तब तक महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार की प्रमुख सूत्रधार रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के भतीजे और पार्टी में दूसरे नंबर का महत्व रखने वाले पूर्व उप मुख्यमंत्री रह चुके अजित पवार ने बगावत के सुर छेड़ दिए और अपने 8 विधायकों को लेकर भाजपा की फडणवीस और शिवसेना के शिंदे की संयुक्त सरकार में शामिल हो गए।


अजित पवार के राज्य सरकार में शामिल हो जाने के बाद सदन में विरोधी पक्ष नेता की कुर्सी खाली हो गई है। हालांकि शरद पवार के नेतृत्व में राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल के द्वारा प्रस्तावित नाम कलवा मुंब्रा विधानसभा से विधायक व पूर्व राज्य मंत्री रहे जितेंद्र आव्हाड पर मोहर लगाई गई कि उन्हें विरोधी पक्ष नेता बनाया जाए लेकिन विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने यह कहकर मना कर दिया विरोधी पक्ष नेता वही बनता है जिसके पास पार्टी में बहुमत होता है। यानी कुल मिलाकर शरद पवार समूह की किरकिरी हो गई ।

हाल ही में कुछ दिनों पहले शक्ति प्रदर्शन भी हो गया जहां चाचा शरद पवार के समर्थन में सिर्फ 16 विधायक दिखाई दिए जबकि 32 विधायक अजीत पवार के समर्थन में नजर आए । इस तरह से राकांपा में गुटबाजी होना, विधायकों का बागी बनना और राज्य सरकार में शामिल होना , यह सारे घटनाक्रम इसी तरह  दुहराए गए  जैसे शिवसेना में हुआ था।

सवाल यह है कि जनता से जुड़े बहुत सारे मिलते हैं पर उन्हें उठाएगा कौन? जो फडणवीस  शिंदे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे, वह लोग बीजेपी सरकार में मंत्री बन चुके हैं। इसी बीते शुक्रवार को मंत्रालय विभाग भी बांट दिए गए। कांग्रेस भी अनिश्चितताओं के चलते चुप है। उसे यह डर सता रहा कि कहीं उसके विधायक न फूट जाएं। ऐसे में विरोध के नाम पर शायद ही कोई हंगामा हो।

 उपसभापति नीलम गोहरे भी शिवसेना UBT का साथ छोड़ अभी अभी शिंदे समर्थित शिवसेना में शामिल हो गईं हैं।

हां , विधान परिषद में विरोधी पक्ष नेता अंबा दास दानवे हैं लेकिन अभी तक उनकी उपस्थिति दर्ज करानी बाकी है।

 विरोधी पक्ष के नाम पर ८० विधायक हैं जिनमें मौके की तलाश में कई विधायक अपना राजनीतिक कैरियर तलाश रहे हैं और मंत्री बनने की इच्छा किसे नहीं है।
राज्य मंत्री मंडल का विस्तार और होना है और पालक मंत्री भी बनाने हैं। शिंदे फडणवीस सरकार अपने ही विधायको को मनाने में लगी रहती है। एक को मंत्री बनाओ तो दूसरा नाराज हो जाता है
कुछ दिन पहले खबर यह भी थी कि रूठे विधायको को मनाने के लिए एकनाथ शिंदे सभी  विधायको को होटल ले गए थे।

कभी सरकारी योजना शासन आपल्या दारी का विरोध करने वाले अजीत दादा, वर्तमान में अब वित्त मंत्रालय देख रहे हैं और इस मुहिम का हिस्सा बन गए हैं।
शिवसेना UBT के चीफ व्हिप ने सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसले को लेकर याचिका दायर की थी। उस याचिका पर बीते शुक्रवार यानी परसों ही सर्वोच्च न्यायालय ने विधान सभा अध्यक्ष नार्वेकर को नोटिस देकर २ हफ्ते के अंदर फैसला लेने का निर्देश दे दिया है। शिवसेना के बागी विधायको की अपात्रता का संकट एकनाथ शिंदे व अन्य विधायको पर मंडरा रहा है।





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