मुख्तार का खेल खत्म/ तीन दशक बाद अवधेश राय हत्याकांड में मिली आजीवन कारावास की सजा
एमपी एम एल ए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम की अदालत ने आज दोपहर २ बजे लंच ब्रेक के बाद डॉन टर्न्ड पॉलिटीशियन बने मुख्तार अंसारी को आखिरकार आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई है। इसके अलावा १ लाख का जुर्माना भी भरने का निर्देश दिया गया है।
अवधेश राय, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व में राज्यमंत्री रहे, पिंडरा क्षेत्र के विधायक रहे अजय राय के बड़े भाई थे, जिनकी हत्या ३ अगस्त १९९१ में दिन दहाड़े घर के बाहर कर दी गई थी। हमलावरों ने अजय राज की मौजूदगी में अवधेश पर कई गोलियां चलाईं थी। उन्हे अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया था।
क्या कहा अजय राय ने :
३२ वर्षों से न्याय की लड़ाई लड़ता रहा। सत्ता, पैसे, बाहुबल , माफिया के सामने नही झुका। बड़े भैया को मारनेवाले मुख्य आरोपी को आज सजा मिली। न्याय के मंदिर में न्याय मिला है। अपराधी ने नृशंश तरीके से बड़े भाई की हत्या की। मेरे इस लड़ाई में मेरे साथियों, वकीलों एवम प्रशाशन से व जनसामान्य लोगों ने जो समर्थन दिया, उसके लिए आभारी हूं।
बता दें कि न्यायालय ने फैसले के मद्दे नजर आज नौ मंजिला इमारत समेत कोर्ट रूम परिसर के बाहर सख्त सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। आने जाने वाले लोगों पर पूरी निगरानी रखी जा रही थी। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बांदा जिले में बंद मुख्तार अंसारी इस समय कोर्ट रूम से जुड़ा था जिस समय न्यायाधीश अवनीश गौतम की कोर्ट में सुनवाई चल रही थी।
मुख्तार ने उम्र का हवाला देते हुए काम सजा सुनाए जाने की गुहार लगाई थी। मुख्तार ने खुद को बेगुनाह बताने की पुरजोर कोशिश की थी।
आपको बताते चलें कि यह वही मुख्तार अंसारी है जिसके आतंक के साए में पूर्वांचल दशकों तक इशारे पर नाचता रहा। ५० से अधिक मामले दर्ज होने के बावजूद किसी भी केस में सजा नहीं मिल सकी।
पिछले साल भर में ही चार मामले में उस पर अदालती कार्रवाई जारी थी। एक अन्य मामले में २०हजार का जुर्माना लगाया गया है।
१९९१ में अवधेश राय की लहुराबीर इलाके में घर के सामने ही की गई हत्या मुख्तार के गले की हड्डी बन गई और आखिरकार गुनाहों का हिसाब आज हो ही गया।
दिन दहाड़े मारुति वैन में आए लोगों ने मंत्री रहे अजय राय के सामने ही उनके बड़े भाई अवधेश को गोलियों से भून दिया था। अजय राय कुछ न कर सके , कुछ दूरी पर मौजूद चेतगंज थाना लावारिस पड़ा था, कोई वर्दी धारी बाहर नहीं आया था। अजय राय ने वैन का पीछा भी किया था, लेकिन वह दरिंदे भाग निकले थे।
अंततः ३२ साल बाद न्याय हुआ और अब मुख्तार की बची खुची जिंदगी जेल में गुजरनेवाली है।
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