NIA ने आतंकी यासीन मलिक के लिए न्यायालय से मांगा मृत्यु दण्ड
राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने कल दिल्ली हाई कोर्ट में न्याय की मांग करते हुए जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख आतंकी यासीन मलिक के लिए मृत्युदंड की मांग की है।
यासीन मलिक को ट्रायल कोर्ट के द्वारा आतंकी फंडिंग करने के जुर्म में पिछले साल उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।
एनआईए ने हाई कोर्ट में कहा की उम्रकैद की सजा उसके लिए कैपिटल पनिशमेंट नहीं है क्योंकि यह बहुत ही खतरनाक अपराधी है और इसे आजीवन कारावास की सजा देना न्याय के साथ अन्याय करने जैसा है।
25 मई 2022 को ट्रायल कोर्ट ने मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाई थी और उसे पर आरोप लगे थे देश के विरुद्ध राज्य के विरुद्ध जंग चिढ़ाने आतंक को आर्थिक सहायता देने जैसे अपराध थे मलिक के अपराध में भारत के हृदय पर प्रहार किया है लेकिन न्यायालय ने इसे फिर भी रेयरेस्ट ऑफ रेयर वाले अपराध की कैटेगरी में नहीं डाला था।
भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत सबसे कम सजा आजीवन कारावास की होती है जबकि सबसे अधिक सजा मृत्यु दंड की निर्धारित की गई है।
यासीन मलिक कश्मीर के टॉप अलगाववादियों का प्रतिनिधित्व करने वाला है जिसके ऊपर और भी कई मामलों में केस दर्ज हैं 1989 में रुपया शाहिद जो कि तत्कालीन जम्मू कश्मीर के गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद शाहिद की बेटी हैं, उनको मारने का आरोप लगा। 1990 में इसी यासीन मलिक पर यह भी आरोप लगा कि उसने हमारे चार भारतीय वायु सेवा के जवानों को मार दिया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अपने अपील में यह दावा किया कि इस तरह के अपराधी जो एक्ट आफ वर करते हैं उनकी वजह से हमारा देश देश कीमती सैनिकों को खो देता है और हमें बहुत नुकसान सहना पड़ता है हमारे सैनिकों के परिवार आसानी पीड़ा में जीते हैं।
यासीन मलिक जैसे अपराधी को कैपिटल पनिशमेंट ना देना न्याय के साथ अन्याय करने जैसा है उसने सिर्फ आतंक को फंड करने का अपराध ही नहीं किया है
बल्कि यह सिर्फ समाज तक ही नहीं पूरे देश के विरुद्ध किया गया अपराध है जो देशद्रोह की श्रेणी में है ।
अगर अन्य शब्द में कहा जाए तो यह वह युद्ध राष्ट्र की एकात्मता को खतरे में डालने वाला किया गया कार्य है।
मलिक को 2019 में टेरर फंडिंग चार्ज के आरोप में गिरफ्तार किया गया था पिछले ही वर्ष 10 में को आईपीसी की धारा 16 (टेररिस्ट एक्ट) धारा 17 (अपराधिक आतंकी कार्यों के लिए पैसा इकट्ठा करना), धारा 18 (आतंकी कार्य करने के लिए षड्यंत्र रचना), UAPA की धारा 20 (आतंकी संगठन या आतंकी गैंग का सदस्य होना), धारा 120 B( आपराधिक षड्यंत्र रचना) 121 और 121 ए धारा (के अंतर्गत राज्य के खिलाफ युद्ध में आतंकियों को आर्थिक मदद करना,) धारा 124A ( राजद्रोह) जैसी अन्य धाराओं पर सुनवाई हुई थी।
No comments
Post a Comment