बढ़ रही मुंबई लोकल एसी ट्रेनों की मांग/ इस वर्ष अब तक २ करोड़ से ज्यादा मुंबईकरों ने किया एसी ट्रेन से सफर/ सस्ते दैनिक टिकट, मासिक पास से लोग हुए आकर्षित
मुंबई महानगर में भारतीय रेलवे का एसी वाला ट्रायल दिन प्रतिदिन ग्राफ में ऊपर की ओर संकेत दे रहा है। मुंबईकरों को वातानुकूलित ट्रेने पसंद आ रही है।
महानगरों में बैंक, कॉरपोरेट जगत , केमिकल, टेक्सटाइल, ज्वैलरी, ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स, स्टॉक मार्केट, बैंकिंग इत्यादि विभिन्न समूहों में कार्यरत प्रोफेशनल की संख्या बहुत है और वातानुकूलित ट्रेनों से न केवल समय बचता है, आर्थिक बचत भी होती है। सड़को पर निजी कारों का बोझ भी आनेवाले समय में कम होता देखा जा सकता है।
प्रतिदिन की बात करें तो ऑस्टिन सेंट्रल और वेस्टर्न ट्रैक पर 140000 से ज्यादा लोग एक ट्रेन में सफर कर रहे हैं। वहीं 1 जनवरी से 24 में तक के आंकड़ों के अनुसार 2.02 करोड़ यात्रियों ने एक ट्रेन का सफर किया है । इन आंकड़ों में चर्चगेट से विरार तथा छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से लेकर कल्याण तक जाने वाली वेस्टर्न और सेंट्रल दोनों ट्रैक की एसी ट्रेनों के आंकड़ों को शामिल किया गया है।
1 जनवरी से 24 में के बीच अब तक केंद्रीय और वेस्टर्न दोनों मार्ग पर चलने वाली ऐसी ट्रेनों से रेलवे को 92.47 करोड़ का रेवेन्यू मिल चुका है।
रेलवे के प्रयास में मिली सफलता:
रेलवे द्वारा दैनिक टिक एवं पास में कटौती पिछले साल में में की गई थी जिसके बाद लोगों का रुझान ऐसी ट्रेनों की तरफ ज्यादा बढ़ा।
तीनों कॉरिडोर में मेट्रो रेल लाई गई। कोरोना के कारण जहां एक और यात्राओं की सफर में शिथिलता आ गई थी वहीं कोरोना से राहत मिलने के बाद वर्क फ्रॉम होम के कॉन्सेप्ट में कमी आई और वर्क फ्रॉम ऑफिस की और मुंबई फिर चल पड़ी इसके बाद यात्रियों ने आरामदायक यात्रा के लिए ऐसी ट्रेनों की ओर अपना झुकाव किया।
और क्या किए जाने की आवश्यकता है:
रेलवे को आगे दैनिक टिकटो एवं सीजन पास में और रेट कम करने की आवश्यकता है जिससे अधिक से अधिक लोग एक ट्रेन के किराए को एफर्ट कर पाए इस संख्या और बढ़ेगी।
रेलवे प्रशासन को यह भी ध्यान देना होगा कि ऐसी ट्रेनों के चक्कर में सामान्य यात्री जो मुंबई लोकल से सफर करते हैं उनकी समय सारणी में बाधा ना आने पे यानी रेगुलर ट्रेनों के समय को एक ट्रेन रिप्लेस न करें इस बात का ध्यान देना होगा।
पीक आवर्स में सुबह के समय कल्याण से सीएसएमटी या विरार से चर्चगेट की ओर जाने वाली एसी ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। हर एक घंटे में एसी ट्रेन चलाई जाने के बजाय सुबह के पीक आवर में ३० मिनट के अंतराल समय में चलाई जाए , चाहे तो दोपहर के समय यह संख्या कम की जा सकती है।
अक्सर यह देखा गया है कि कई ऐसी ट्रेन जो दोपहर में चलती हैं वह 15 से 20% ही ऑक्यूपाइड होती हैं, जिससे रेलवे को नुकसान होता है। यदि ऐसे में यह फेरी सुबह के समय बढ़ा दी जाए और दोपहर यानी नॉन पीक आवर के समय कम कर दी जाए तो सामंजस्य अच्छा बैठ सकता है। इसी तरह पीक आवर शाम के समय में भी एसी ट्रेनों की बारंबारता बढ़ाई जा सकती है।
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