मन्नापुरम फाइनेंस गोल्ड लोन वाली कंपनी के सीईओ पर ईडी का शिकंजा/ 143 करोड़ की प्रॉपर्टी पेपर जप्त/ कैश डिपोजिट लेकर अचल संपत्ति खरीदने का है मामला
बीते दिनों में कंपनी के मुख्य कार्यालय केरला के थ्रीशूर स्थित ६ विभिन्न स्थानों पर प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की तरफ से जांच शुरू की गई , जहां कई फर्जी दस्तावेज, कर्मचारियों पब्लिक से कैश डिपाजिट मन्नापुरम फाइनेंस के कार्यालयों में लेने एवं उसका प्रयोग सीईओ नंदकुमार द्वारा स्वयं , पत्नी , बच्चे और परिवार के अन्य लोगों के नाम पर जमीन , प्रॉपर्टी खरीदने का मामला उजागर हुआ है।
कैश डिपाजिट के मामले में यह पाया गया है कि कंपनी के कर्मचारियों द्वारा चेक डिपाजिट करवाया गया, इसके ट्रांसफर के लिए सीइओ द्वारा मन्ना पुरम एग्रो फार्म्स नामक निज स्वामित्व यानी प्रोपराइटर शिप कंपनी का इस्तेमाल किया गया।
रिजर्व बैंक अधिकारियों द्वारा पूछे जाने पर कि क्या कैश में लिया गया डिपोजिट कर्मचारियों को वापस किया गया है ? इस पर सीईओ के अनुसार पैसा वापस कर दिया गया है ,ऐसा कहा गया लेकिन इस बात के कोई लिखित दस्तावेज या ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड नहीं है। ५३ करोड़ रुपए कैश में वापस दिए गए हैं ऐसा दावा कंपनी द्वारा किया गया है लेकिन इसके लिए कोई KYC, लिखित सबूत नहीं मौजूद हैं।
उल्लेख कर दें यह ट्रांजेक्शन रिजर्व बैंक के नियमावली के अनुसार आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है जिसे मनी लांड्रिंग की श्रेणी में रखा गया है।
(V P Nandkumar:CEO & MD )
प्रवर्तन निदेशालय इस पर भी जांच कर रही है कि कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी यानी सीएफओ ने महानिदेशक नंदकुमार की इस मनी लांड्रिंग के मामले में किस प्रकार सहायता की है।
प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत ईडी यह कार्रवाई कर रही है।
कुल कैश डिपोजिट 143 करोड़ का स्वीकार किया गया जिसके लिए मुख्य कंपनी मन्नपुरम फाइनेंस कंपनी की शाखाओं का इस्तेमाल हुआ फिर उन्हे निज स्वामित्व वाली कंपनी मण्णापुरम एग्रो फार्म्स में ट्रांसफर किया गया और वहां से वह पैसे रीयल एस्टेट में निवेश किए गए हैं, जिनके दस्तावेज ईडी अधिकारियों को मिले हैं।
मामले की जांच जारी है।मण्णापुरम फाइनेंस लिमिटेड बीएसई/एनएसई में लिस्टेड कंपनी है। आज भी कंपनी के शेयर 12% तक टूट गए। कंपनी का मौजूदा मार्केट कैप 8933 करोड़ का है।
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