SM बिल्डर्स को इनकार, हाउसिंग सोसाइटी के पक्ष में फैसला/मुंबई न्यायालय ने रजिस्ट्रार के फैसले को ठहराया सही- मामला conveyance Deed से जुड़ा
मुंबई उच्च यायालय की एकल न्यायाधीश वाली बेंच ने जूहू के 36 बंगलो वाली सोसाइटी को कन्वेयंस डीड दिए जाने के डिप्टी रजिस्ट्रार के निर्णय को सही ठहराते हुए अपना स्टैंप लगा दिया है।
न्यायमूर्ति आरीफ एस डॉक्टर ने कहा कि बंगलो, महाराष्ट्र ओनरशिप फ्लैट्स एक्ट्स 1963 के अंतर्गत आती है यदि बंगलो का पूरा या आंशिक हिस्सा बनाया और बेचा गया हो तब भी MOFA 1963 के नियम से बाहर नही किया जा सकता।
कन्वेयंस डीड वह दस्तावेज है जो बिल्डिंग की लैंड, प्रॉपर्टी का मालिकाना हक बिल्डिंग सोसाइटी एवम फ्लैट्स के मालिकों को देता है। बिल्डर के अधिकार ट्रांसफर हो जाते हैं।
36 बंगलो के मालिकों ने 1981 में सोसाइटी बनाई थी। बंगलो के 30 वर्ष गुजर जाने के बावजूद SM builders ने उन्हे कन्वियंस डीड देने में समर्थता नही दिखाई, इसलिए सोसाइटी ने डिप्टी रजिस्ट्रार का रुख किया। इस डीड का जिक्र भी सेल्स डीड में था। जांचने के बाद डिप्टी रजिस्ट्रार ने कान्वेयंस डीड अगस्त 2018 में सोसाइटी के नाम जारी कर दिया।
इसके विरोध में बिल्डर ने मुंबई उच्च न्यायालय में अर्जी लगाई थी। गोल्डन बीच को ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी को दिए कन्वेंस डीड को सही ठहराते हुए उच्च न्यायालय ने बिल्डर को फटकार लगाई है।
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