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सावधान...कहीं आपका बच्चा प्लेग्रूप स्कूल में मारा पीटा तो नही जा रहा/कांदिवली प्ले स्कूल टीचरों के खिलाफ पुलिस ने भेजा नोटिस

अभिभावक अपने नन्हे मुन्नों को 1.5 साल की उमर में हंसने खेलने, दूसरे बच्चो के साथ दोस्ती करने, बेसिक पढ़ाई की आदत लगाने, क्लास में बैठने , पॉटी ट्रेनिंग इत्यादि के लिए प्ले स्कूल भेजते हैं।

पर कई बार क्या हम यह जान पाते है  कि 2 घंटे के इस प्ले स्कूल में हमारे बच्चे के साथ क्या होता है।
कई बार बच्चा प्ले स्कूल से घर पर आने के बाद अपने व्यवहार से अलग दिखता है, लेकिन पेरेंट्स इग्नोर कर देते हैं। उन्हें लगता है कि डेढ़ से 2 साल की उम्र के बच्चे के साथ यह सब होना सामान्य है जबकि जरूरी नहीं कि हर बार हम अभिभावक सही सोचते हैं।

एक ऐसा ही मामला कांदिवली की प्ले स्कूल से जुड़ा है। जहां पर 1 मार्च से 27 मार्च के बीच लगभग 1 महीने तक  प्ले स्कूल के  28 बच्चों के साथ शिक्षिकाएं मारपीट , प्रताड़ना कर रही थी। पहले तो किसी को इसका पता ही नहीं चला। कुछ समय के बाद कुछ अभिभावकों ने महसूस किया कि उनके बच्चे चिड़चिड़ापन का शिकार हो रहे हैं ।घर पर आने के बाद उदास से रहते हैं और कुछ बच्चों में क्रोध भी देखा गया। कई बार पूछने पर बच्चों ने कुछ नहीं बताया तो अभिभावक प्ले स्कूल के पास पहुंच गए और प्रबंधक से पूछा तो प्ले स्कूल की प्रबंधक समिति भी कुछ बताने से आनाकानी करती रहीं।

बच्चो को उठाकर जमीन पर पटक रही थी टीचर्स

अभिभावकों के बहुत जोर दिए जाने के बाद कि उन्हें 1 महीने का सीसीटीवी फुटेज दिखाया जाए जिस पर प्ले स्कूल की प्रबंधक समिति तैयार हुई और 1 महीने का फुटेज दिखाया गया।
प्लेस्कूल प्रतीकात्मक इमेज


अभिभावकों ने देखा कि 2 शिक्षिकाएं किस तरह 1 साल से ढाई वर्ष के इन नन्हे-मुन्ने बच्चों को उठा उठा कर जमीन पर पटक रहे हैं। किस तरह उन्हें मारपीट रही हैं और बच्चे रो रो कर अपना बुरा हाल किए हुए हैं। कई बच्चों ने तो डर के मारे रोना ही बंद कर दिया था।
यह फुटेज देखने के बाद अभिभावकों ने कांदिवली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। पुलिस अधिकारियों ने दोनों शिक्षिकाओं को गिरफ्तार करने से पहले प्ले स्कूल मैनेजमेंट को नोटिस भेजा है और जल्द ही दोनों शिक्षकों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है।

 स्वामी विवेकानंद रोड, कांदिवली पश्चिम स्थित इस प्ले स्कूल की टीचरों भक्ति शाह और  जिनल छेड़ा को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2000 के सेक्शन 23 के तहत FIR दर्ज कर कांदिवली पुलिस ने बुक किया है।

ऐसी पहली घटना नहीं है जब प्ले स्कूल बच्चों के साथ मारपीट की खबरें आई है। इसके पहले भी बेबीसिटिंग से जुड़े हुए संस्थान भी बच्चों के साथ ज्यादती करते हुए कई बार पकड़े गए हैं । कुछ प्ले स्कूलों का भी नाम इस तरह की गैर जिम्मेदाराना घटनाओं से जुड़ चुका है।

   खबरे मुंबई नजरिया

अभिभावकों को अपने बच्चे को प्ले स्कूल में भेजने से पहले उसके बैकग्राउंड,  शिक्षक शिक्षिकाओं का व्यवहार,  परिसर और हो सके तो पहले से पढ़ रहे बच्चों के बारे में उनके अभिभावकों से जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए उसके बाद ही उन्हें उस प्ले स्कूल में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहिए।

प्ले स्कूल के प्रबंधकों को भी यह ध्यान देने की जरूरत है कि वह जिन बच्चों को पढ़ा रहे हैं , वह बच्चे सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं आते । खेलने के लिए,  नए दोस्त बनाने के लिए , पॉटी ट्रेनिंग के लिए और एक क्लास का माहौल महसूस करने के लिए प्ले स्कूल में आते हैं। इसलिए उनका मानसिक विकास ज्यादा से ज्यादा हो सके , शिक्षा के माहौल की आदत धीरे-धीरे लग सके ऐसे प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

बहुतेरे प्ले स्कूल कुकुरमुत्तों की तरह हर नुक्कड़ में खुल गए हैं, मोटी मनमानी रकम वसूल रहे हैं और किसी भी प्रकार स्वयं को बड़े निजी स्कूल से कम नहीं समझते।
उनके इस रवैए को बदलने की जरूरत है।
राज्य सरकार के शिक्षा , महिला एवम बाल विकास मंत्रालय को प्ले स्कूल शुरू करने से संबंधित नियमो और जरूरी शर्तो को लागू करने पर सोचना चाहिए। जो प्ले स्कूल पहले से चल रहे हों वह किस संस्था के माध्यम से चलाए जा रहे हैं यह सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

जिन प्ले स्कूलों की इस तरह बच्चो से मार पीट की शिकायते आएं उन्हे चलानेवाली संस्थाओं को ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए और दूसरी बार शिकायत आने पर संस्थान को भारी जुर्माने के साथ संस्था का पंजीकरण निरस्त कर दिया जाना चाहिए।मासूमों के साथ मार पीट करनेवाले शिक्षक शिक्षिकाओं को नौकरी से निकालने के साथ ही भारी जुर्माना /सश्रम कारावास का प्रावधान सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी गलती दुहराई न जाए।

खबरे मुंबई शिक्षण विभाग एवम प्रशाशन से अपील करता है कि प्ले स्कूल से जुड़े ऐसे संवेदनशील मामलों में गंभीर तरीके से जांच करे और उनकी बच्चो के प्रति जवाबदेही तय करवाए।


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