कफ सिरप निर्माता कंपनियों में हड़कंप, राज्य सरकार ने चार कंपनियों का उत्पादन किया बंद, ६ के लाइसेंस हुए निरस्त,१७ को कारण बताओ नोटिस जारी
पश्चिमी अफ्रीका में गमीबा में भारत के हरियाणा स्थित कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के द्वारा भेजे गए कफ सिरप को पीकर 66 बच्चों की मौत हो जाने के मामले में 84 अन्य कंपनियों को तलब किया गया था ,उन पर रेड डाली गई थी। इनमें से कुछ कंपनियां हैं जो महाराष्ट्र में भी हैं और महाराष्ट्र सरकार ने ऐसी कंपनियों पर सख्त एक्शन लिया है।
महाराष्ट्र शासन ने चार ऐसी कंपनियों पर जो कफ सिरप बनाती हैं उनके निर्माण पर रोक लगा दी है । छह अन्य फार्मा कंपनियों के लाइसेंस अधिकारिक रूप से कैंसिल कर दिए गए हैं क्योंकि दवाओं से संबंधित स्टेबिलिटी टेस्ट के मापदंडों को तोड़ने का आरोप उन पर सिद्ध पाया गया।
स्टेबिलिटी स्थिरता टेस्ट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से दवाओं को स्टोर करने और एक निश्चित बारंबार समय पर उसको टेस्ट करने की प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है। उसके मापदंड बनाए गए हैं कि एक दवा या प्रोडक्ट या उसके अंदर मौजूद पदार्थ कितने समय तक के लिए सुरक्षित और प्रभावशाली रह सकते हैं, यदि एक विशेष तरह की स्टोरेज कंडीशन में रखे गए हैं। इसीलिए हर दवा पर उसकी एक एक्सपायरी डेट भी निश्चित की गई है। कई दवाओं को रूम टेंपरेचर यानी 30 डिग्री तापमान से नीचे स्टोर करने के लिए कहा जाता है।
भाजपा विधायक एवं मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा की दो हजार से ज्यादा दवाइयां महाराष्ट्र सरकार के अंतर्गत आने वाली 200 कंपनियों द्वारा निर्यात किया जाता है और यह वह 200 कंपनियां हैं जो तय मानक स्टेबिलिटी टेस्ट के मापदंडों का पालन नहीं करते हैं। यद्यपि इसके वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चेतावनी दी जा चुकी है।
महाराष्ट्र शासन में अन्न एवं औषध प्रशासन मंत्रालय देख रहे राज्य कैबिनेट मंत्री संजय राठौड़ ने बताया है कि 17 अन्य कफ सिरप बनाने वाली दवा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है क्योंकि उन पर भी स्टेबिलिटी टेस्ट के खिलाफ आरोप हैं।
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