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चैत्र नवरात्रि आज से शुरू / मां कात्यायनी की करें आराधना/११० वर्षों बाद बना अद्भुत संयोग


वैदिक पंंचांग के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है जो व्यक्ति व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा- अर्चना करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही आदिशक्ति की पूजा करने से नवग्रह भी शांत रहते हैं। 

इस बार मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आ रही हैं, जिसे सुखद और शुभफलदायी रहेगा।
पंचांग के अनुसार इस साल मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आ रही हैं।  जिसे सुख-समृद्धि कारक कहा जाता है। वहीं इस साल 110 साल बाद शुभ योग बन रहा है। क्योंकि इस बार नवदुर्गा पूरे 9 दिन की रहेंगी। वहीं प्रतिपदा के दिन 5 राजयोग (नीचभंग, बुधादित्य, गजकेसरी, हंस और शश) बन रहे हैं। 

शुभ मुहुर्त में ही कलश की स्थापना करनी चाहिए। इसलिए दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। साथ ही साफ सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद मंदिर की साफ- सफाई कर लें। फिर एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें। साथ ही एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। साथ ही  कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें। आपको बता दें कि कलश में ब्रह्रा, विष्णु और महेश तीनों का निवास माना जाता है। कलश आफ मिट्टी या चांदी का ले सकते हैं।

कात्यायनी मंत्र: 
शुद्ध और साफ मन से नियमित रूप से मंत्रों का जाप करने से जातक को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है क्योंकि मंत्रों में अत्यधिक आध्यात्मिक ऊर्जा होती है। मंत्रों का जाप करते समय उचित दिशा-निर्देशों का पालन करने से जातक के चारों ओर एक प्रकार का कंपन उत्पन्न होता है, जो जातक को प्रसन्न करता है और शांतिपूर्ण माहौल पैदा करता है। कात्यायनी मंत्रों का उपयोग मांगलिक दोषों का सामना कर रहे लोग कर सकते हैं। साथ ही जिनके विवाह में विघ्न आ रहा है, वे भी इन मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं। आपको बताते चलें कि मांगलिक दोष, वह दोष होता है जब किसी को मंगल ग्रह से संबंधित समस्या होती है।

इस मंत्र का निरंतर जाप करने से रिश्तों में आई बाधाओं को दूर किया जा सकता है। मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन में विकृति पैदा कर सकते हैं और सद्भाव को भी बाधित कर सकते हैं। कभी-कभी यह जीवनसाथी की असमय मृत्यु का कारण बन जाता है। माँ कात्यायनी की भक्ति मंगल दोष के बुरे प्रभावों को दूर करती है और सुखद वैवाहिक जीवन का आश्वासन देती है।

कात्यायनी मंत्र का जाप कैसे करें
कात्यायनी मंत्र के जाप की प्रक्रिया शुरू करने के लिए लाल रंग की चंदन जप माला तैयार करें।
प्रक्रिया शुरू करते समय माता कात्यायनी की तस्वीर या मूर्ति अपने सामने रखना अच्छा माना जाता है, क्योंकि उन्हें लाल फूल अर्पित करना फायदेमंद होता है। लेकिन अगर कोई चित्र उपलब्ध नहीं है, तो अपनी आंखें बंद करके मां कात्यायनी का स्मर्ण करें।
मंत्र जाप करने से पहले लाल रंग के वस्त्र धारण करना अच्छा होता है, क्योंकि इससे देवी प्रसन्न होती हैं।
सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए जप माला के उपयोग से कुल 1,25,000 बार मंत्रों का जाप करने का प्रयास करें। चूँकि किसी भी मंत्र को एक बार में इतनी बार जपना बहुत कठिन होता है, इसलिए व्यक्ति को 12 दिनों में इस संख्या को तोड़ देना चाहिए, जिससे मंत्र जाप करना आसान हो जाता है।
कल्पना करें कि मंत्रों के जाप के अंतिम दिन के दौरान आप अपने सपनों के राजकुमार से शादी कर रही हैं। इससे विवाह और जीवनसाथी प्राप्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

महत्वपूर्ण कात्यायनी मंत्र
1. कात्यायनी मंत्र
कात्यायनी मंत्र की देवी, कात्यायनी हैं। वह नव दुर्गा का छठा रूप हैं। कात्यायनी का अर्थ है अहंकार और कठोरता का नाश। बृहस्पति ग्रह पर देवी कात्यायनी का शासन है। विभिन्न कथाओं में देवी की 18 भुजाएँ या 4 भुजाएँ बताई गई हैं। जो लोग माता-पिता या समाज के दबाव के चलते अपने प्रेमी से विवाह नहीं कर पाते, उन्हें इस मंत्र का जाप बताए गए नियमों के अनुसार करना चाहिए। ऐसा करने से भक्त को सौभाग्य प्राप्त होता है, विवाह में आई अड़चनें दूर होती हैं।

कात्यायनी मंत्र  इस प्रकार हैं:

कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।

नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥


कात्यायनी मंत्र के जाप के लाभ:

पूरे भक्ति भाव के साथ कात्यायनी मंत्र का जप करने से कुंडली पर मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता और विवाह के अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं।
माता कात्यायनी, नारी शक्ति की प्रतिमूर्ति और नारी शक्ति की प्रतीक हैं। मां कात्यायनी की आराधना करने से प्रेम जीवन बेहतर होता है और स्त्रीत्व में भी वृद्धि होती है।

नवविवाहित जीवन में समस्याएं आने पर कात्यायनी मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे पति-पत्नी का मन शांत होता है और आपस में बेहतर सामंजस्य स्थापित कर पाते हैं।

(प्रस्तुति: आचार्य अजय मिश्र जी, मुख्य पुजारी: विहिप संचालित  समर्थ हनुमान टेकडी, सिद्धपीठ, सायन कोलीवाडा, सायन मुंबई)

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