वडोदरा के सूरसागर तालाब में हो रहा १११फीट ऊंचे सोने से प्लेटेड भगवान शिव की मूर्ति का अनावरण मुख्यमंत्री पटेल द्वारा आज
आज महाशिवरात्रि के महान पर्व पर भारत सहित विश्व भर में भगवान भोलेनाथ एवम शक्ति स्वरूपा पार्वती के विवाह दिवस के रूप में भक्तो द्वारा विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। देश के छोटे बड़े शिव मंदिरों में भक्तो द्वारा मध्य रात्रि से आज रात्रि तक लगातार लाखों करोड़ों भक्तों द्वारा भगवान शिव लिंग पर जल ,दुग्ध, घी, हल्दी, गन्ने के रस , शहद और अन्य पदार्थों का अभिषेक किया जाता है।
गुजरात के वडोदरा में स्थित सूरसागर तालाब में १११ फीट लगभग ३७ मीटर ऊंची भगवान शिव की मूर्ति को स्थापित किया गया है। यह पहले चंद तालाब के नाम से प्रसिद्ध रहा है। अठारहवीं सदी में इस तालाब का निर्माण फिर से किया गया था। इस सूरसागर झील में मौजूद पानी पूरे वर्ष रहता है। यह झील गुजरात राज्य के वडोदरा में मध्य में स्थित है।
कितना आया खर्च- मदद के लिए देश विदेश से लोगों ने किया दान
पिछले एक वर्ष से इस मूर्ति को सोने से प्लेटेड किया जा रहा था, इसमें १२ करोड़ तक का खर्च आया है। वडोदरा से भाजपा विधायक योगेश पटेल ने भोलेनाथ के इस मनमोहक मूर्ति की आधारशिला रखी, जो सत्यम शिवम सुंदरम संस्थान के प्रणेता भी हैं।
इस खर्च में कई विदेश में रहने वाले भारतीयों ने भी सहयोग दिया है। मुख्य रूप से अमेरिका में डॉक्टर किरण पटेल, श्रेयस शाह, पियूष शाह, मयंक पटेल, नीलेश शुक्ला जैसे कई शिव भक्तों ने आर्थिक दान दिया है।
इस मूर्ति को गोल्ड में रूपांतरित करने का काम २०२० ,५ अगस्त को उसी दिन शुरू हुआ जिस दिन अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू किया गया ।
यह सर्वेश्वर महादेव की मूर्ति पहले जिंक यानी जस्ते की धातु में थी जिसे बाद में अब स्वर्ण धातु में परिवर्तित किया गया है। इसे साकार रूप उड़ीसा के मूर्तिकारों ने दिया है।
आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर इस स्वर्ण भूषित मूर्ति का अनावरण इस समय मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल एवम अन्य कई गणमान्य हस्तियों की मौजूदगी में संपन्न हो रहा है। इसमें लगभग १७.५० किलो सोना इस्तेमाल में लाया गया है।
आज दोपहर ३.३० बजे से प्रतापगंज के रणमुकेतश्वर महादेव मंदिर से शोभा यात्रा भी निकाली गई। ७:१५ बजे शाम को आज भगवान शिव की महाआरती का कार्यक्रम सूरसागर झील में सुनियोजित हुआ।
सूरसागर झील में अंदर कई दरवाजे बने हैं जिसके माध्यम से यदि पानी का प्रवाह मानक स्तर से अधिक होने पर जल की निकासी आसानी से हो सके, इसका ध्यान रखा गया है। यह मूर्ति सर्वेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है और आज से जनता के लिए समर्पित किया जा रहा है। वडोदरा के स्थानीय निवासियों के बीच कार्यक्रम संपन्न हो रहा है। पहले सूरसागर झील में लोग नौका विहार किया करते थे।
इस मूर्ति के पास साउंड सिस्टम एलपीएस गैस संयत्र हैं जो पक्षियों को मूर्ति की एरिया से दूर रखने में सहायक है, लाइटनिंग के प्रभाव से भी मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। अल्ट्रासाउंड सिस्टम भी यहां मौजूद है। मूर्ति की स्थापना, आधारशिला ,डिजाइन करते समय अष्टसिद्धि तकनीक का प्रयोग किया गया है। मुंजलपुर के भाजपा विधायक योगेश पटेल के नेतृत्व में सत्यम शिवम सुंदरम समिति इसका संचालन देख रही है।
भगवान शिव की महान मूर्ति की स्थापना होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
महाशिवरात्रि पर विशेष
मान्यता है कि भगवान शिव और हिमालयराज की सुपुत्री माता पार्वती का विवाह आज ही के दिन हुआ था। भगवान शिव त्रिनेत्रधारी और चंद्रशेखर हैं। श्रद्धा और शक्ति के प्रतीक होने के नाते इन्हे अर्धनारेश्वर भी कहा जाता है।
ॐ शब्द महामंत्र और सभी मंत्रो का बीज मंत्र माना गया है, जिसकी उत्पत्ति भगवान शिव के डमरू से हुई है। संगीत के सात सुरों का उद्गम भगवान शिव के डमरू नाद से ही है।
भगवान शिव अवढरदानी हैं। सबसे शीघ्र प्रसन्न होनेवाले हैं, भक्त को बिना सोचे जो मांग ले वह दे देते हैं।
भोलेनाथ धरती पर ६४ स्थलों पर प्रकट हुए थे, जिसमे से १२ स्थल ज्योतिर्लिंग के रूप में भारत में प्रख्यात हैं।
ज्योतिर्लिंग मंत्र सहित इस प्रकार है।
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥1॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
॥ इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति संपूर्णम् ॥
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥1॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
॥ इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति संपूर्णम् ॥
भोलेनाथ की पूजा आज रात्रि में चारो प्रहर होती है।
भगवन शिव का मंत्र ॐ नमः शिवाय का जप विशेष फलदायी हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जप बड़े से बड़े रोग के नाश और रोगी को नया जीवन देने में सर्व समर्थ है।
शिव पुराण में वर्णित है कि किस प्रकार जब रावण जो महान शिवभक्त भी था, ने कैलाश सहित भगवान को लंका ले जाने की इच्छा से उठाने की कोशिश की, भगवान शिव द्वारा पैर के अंगूठे के प्रभाव मात्र से वह रसातल लोक की ओर धंसने लगा, तदुपरांत देवर्षि नारद के सुझाव से अपने प्राणों की रक्षा के लिए रावण ने शिव तांडव स्तोत्र का गायन किया जिससे भगवान भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न हुए थे।
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