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महर्षी दयानंद सरस्वती की आज 200 वीं वर्षगांठ /आधुनिक भारत के महान समाज सुधारक रहे , आर्यसमाज के थे संस्थापक

भारतीय इतिहास में  कई संतों , मनीषियों का उद्गम हुआ जिन्होंने अपने अपने तरीके से समाज सुधार का रास्ता अपनाया।


लोगों को कुरीतियों से बचाने के लिए रूढ़िवादी परंपराओं को समाप्त करने के लिए आंदोलन किया जानकारियां दी । इन संतो, समाज सुधारकों जैसे स्वामी विवेकानंद, राजा राम मोहन राय, महादेव गोविंद रानाडे, महात्मा फुले, संत गाडगे महाराज, संत तुकाराम, संत एकनाथ, मीराबाई, नरसी मेहता, गुरु नानक देव, गुरु गोविंद सिंह आदि महान लोगों ने  सत्य से अवगत कराने और प्रखर समाज के सृजन का सफल प्रयास किया है।


इसी कड़ी में 1824 में जन्मे गुजरात के मोरबा क्षेत्र से आने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती जिनका बचपन का  नाम मूल शंकर है, ने अपने समय में मूर्ति पूजा और पाखंड की परंपराओं से समाज को मुक्त कराने का बीड़ा उठाया। स्वामी जी ने आर्य समाज की स्थापना की। बाल विवाह के विरुद्ध आवाज उठाई ।विधवा विवाह को प्रबल किया । विधवाओं के प्रति हो रहे अत्याचार को लेकर आंदोलन किया ।लोगों में जन जागरण चलाया और यह संदेश दिया कि विधवाओं को भी अपना जीवन पूर्व रूप से जीने का पूरा अधिकार है।

 यह वह समय था जब सती प्रथा अपने चरम पर थी और कई बार विधवा महिलाओं को समाज से बहिष्कृत भी कर दिया जाता था। वह अकेले अलग होकर रहती थीं और समाज में कुरीतियों को बढ़ावा देने वाले कई बलिष्ठ लोग उनके साथ कुकर्म भी करते थे।  ऐसे समय में उन्हें जीने का अधिकार देने के लिए सबल आवाज बनकर स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने ना केवल अपनी आवाज उठाई , बल्कि विधवा विवाह को लेकर जनमानस में जागरूकता अभियान चलाया और वह सफल भी हुआ। स्वामी जी ने वेदों पर आधारित सत्य ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया। ऋग्वेद भूमिका पर भी उन्होंने अपने ग्रंथ लिखे।

स्वामी जी बचपन से ही समाज के प्रति कुछ अलग करना चाहते थे ।उन्हें अन्य बालकों की तरह खेलने कूदने का मन नहीं होता था। उस समय बचपन में विवाह करने का रिवाज था । जब परिवार ने इनका विवाह करना चाहा तो यह परिवार से अलग होकर भाग निकले और मथुरा में जाकर स्वामी विरजानंद जी की शरण ली। स्वामी विरजानंद से उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया और उनके द्वारा वेदों का प्राप्त किया हुआ ज्ञान लोगों तक जनमानस में पहुंचाया और कुरीतियों को समाप्त कर जनमानस को प्रकाश की ओर ले जाने का महान काम किया।

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नई दिल्ली में स्वामी दयानंद सरस्वती के 200 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में भाग लिया जनमानस को संबोधित किया । स्वामी जी के द्वारा बताए गए रास्ते पर चलने वाले करोड़ों लोगों के विश्वास को और प्रबल बनाने की बात कही।

उक्त अवसर पर सांस्कृतिक मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, मीनाक्षी लेखी ,केंद्रीय मंत्री जी के रेड्डी भी मौजूद थे।

यह कार्यक्रम नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित किया गया था और प्रधानमंत्री मोदी जी अपार जनसमूह को संबोधित कर रहे थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी जी के बताए गए रास्ते पर चलते हुए जिस तरह से उन्होंने शोषित पीड़ितों और महिला उत्थान से संबंधित महान कार्य किए, आज उसी का नतीजा है कि महिलाएं राफेल जैसी फाइटर विमान भी उड़ा रही हैं।
स्वामी जी ने 1875 में आर्य समाज की स्थापना की जो समाज में फैले विषमता को दूर करने में बहुत सहायक संस्थान बनी। सभ्यता और सांस्कृतिक मूल्यों , शिक्षा को समाज में बलवती करने के लिए आर्य समाज द्वारा बहुत काम किया गया।

मोदी जी ने मंच से कहा कि स्वामी जी द्वारा बताए  रास्ते पर चलते हुए शोषित, पिछड़े वर्ग का विकास हमारी सबसे पहली प्राथमिकता रही है। स्वामी जी ने सामाजिक विषमता, अछूत भेदभाव इत्यादि के विरुद्ध अभियान चलाया था जो समाज के संगठन में सहायक बना।






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