माघी गणेश जयंती आज/आज ही के दिन हुआ था गणेश जी का प्राकट्य
पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी के कारण इसे गणेश जयंती के रूप में मनाते है।
गणेश चतुर्थी को गणेश जयंती, माघी गणेशोत्सव, माघ विनायक चतुर्थी, वरद चतुर्थी और वरद तिल कुंड चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल गणेश जयंती का व्रत 25 जनवरी, बुधवार को रखा जा रहा है। गणेश जयंती के दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने के लिए इन चीजों को अर्पित कर सकते हैं। इससे गणपति जी अति प्रसन्न होंगे।
मोदक
मिठाई में भगवान गणेश को सबसे ज्यादा प्रिय मोदक है। इसलिए भगवान गणेश को मोदक का भोग जरूर लगाएं। इसके अलावा आप चाहे तो बूंदी के लड्डू भी चढ़ा सकते हैं। ये भोग लगाने से भगवान गणेश अति प्रसन्न होकर धन-धान्य की बढ़ोतरी का आशीर्वाद देते हैं।
केला
भगवान गणेश को केले अति प्रिय है। इसलिए भगवान गणेश को हमेशा जोड़े में केले ही अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान गणेश अति प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
सिंदूर
भगवान गणेश का एक रूप सिंदूर वर्ण है। इसलिए गणेश जी को सिंदूर जरूर चढ़ाएं। ऐसा करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अक्षत
गणेश जी के प्राण का प्रतीक अक्षत माना जाता है। इसलिए भगवान गणेश को अक्षत जरूर चढ़ाएं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि अक्षत सूखे नहीं बल्कि जल से गीला करके चढ़ाएं। ऐसा करने से मान-प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है।
( आचार्य अजय मिश्र जी, मुख्य पुजारी ; विहिप संचालित सिद्धपीठ समर्थ हनुमान टेकडी, सायन मुंबई द्वारा संकलन )
आज ही साल का पहला पंचक भी लगा है और भद्र का साया भी। हिंदू माह माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को पड़ने वाले इस विशेष दिन को तिलकुंड दिवस भी कहा जाता है।
ऐसे तो पंचक होना अशुभ माना जाता है पर आज राज पंचक है और बुधवार का दिन होने से भगवान गणेश की पूजा का महत्व अधिक बढ़ जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
:११:३४ से १२:३४ तक रहेगा।
भद्रा आज सुबह १ बजकर ५३ मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर के १२:३४ तक रहेगी।
भद्रा के होने से मांगलिक कार्य करने को लेकर मना किया जाता है पर आज राज पंचक और भद्रा दोनो के साथ होने से पूजा पाठ करने में कोई विघ्न नही है। सिर्फ किसी नए कार्य की शुरुआत आज नही करे तो उत्तम है।
माघ शुक्ल विनायक चतुर्थी: दोपहर ०३:२२ से प्रारंभ , २४ जनवरी २०२३
माघ शुक्ल विनायक चतुर्थी समाप्त: १२:३४ दोपहर , २५ जनवरी, २०२३
भगवान गणेश की सफेद तिल से की गई आराधना जीवन की जटिल समस्याओं जैसे नौकरी, व्यवसाय, परिवारिक प्रेम, ग्रह बाधा आदि से छुटकारा दिलाने और ग्रहों के अनुकूल होने में बड़े सहायक होते हैं।
अपनी मनोकामना गणेश जी का ध्यान करते हुए कहें पान के पत्ते पर तिल रखकर गणेश जी के चरणों में समर्पित करें। गाय माता को तिल के लड्डू खिलाएं और हो सके तो तिल का दान अवश्य करें।
इस प्रकार तिलकुण्ड चतुर्थी का व्रत फल भी प्राप्त होता है।
इस दिन चंद्र दर्शन को अशुभ माना गया है क्योंकि चतुर्थी की रात चंद्र दर्शन से कलंक लगता है।
गोस्वामी जी ने मानस में लिखा है
सो पर नारि लिलार गोसाईं,
तजऊ चौथि के चंद की नाई।।
गणेश जयंती से जुड़ी कथा:
एक बार मां पार्वती स्नान करने के लिए गई। उबटन से उन्होंने एक बालक को बनाया और उसमें प्राण डाल दिए । आदेश दिया कि वह नहाने जा रही हैं जब तक बाहर ना आए तब तक किसी को भी अंदर ना आने दिया जाए बालक गणेश ने मां पार्वती के निर्देश का पालन किया ।
कुछ ही समय बाद जब माता अंदर स्नान कर रही थीं, भगवान शिव आ गए और अंदर जाने की जिद करने लगे लेकिन गणेश जी उन्हें जाने नहीं दे रहे थे। काफी समय व्यतीत होने के बाद भगवान शिव को क्रोध आ गया उन्होंने गणेश का मस्तक धड़ से अलग कर दिया और अंदर प्रवेश कर गए ।
माता पार्वती को उन्होंने कहा कि एक बालक अंदर ना आने की जिद कर रहा था , मैंने उसका सर धड़ से अलग कर दिया।
यह सुनते ही माता पार्वती और कोई साधारण बालक नहीं बल्कि उनका पुत्र था। उन्हे उनका बेटा चाहिए।
सभी देवता कैलाश आ पहुंचे और माता पार्वती के विलाप से भयभीत हो उठे थे।
भगवान शिव ने गणों को आदेश दिया कि पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाए और जो माता नवजात शिशु के विपरीत दिशा में सोई हो, उसका सर लाया जाए।
जंगल में एक हथिनी अपने नवजात हाथी से विमुख होकर सो रही थी, उसी नवजात हाथी का सर लाकर भगवान गणेश को लगाया गया और उन्हें पुनर्जीवन मिला।
इस प्रकार भगवान गणेश को गजमुख नाम मिला। माता पार्वती ने सभी देवताओं को अपनी शक्ति का आशीर्वाद देने के लिए कहा। भगवान गणेश को सभी देवताओं की शक्तियां प्राप्त हुईं। उन्हे यह भी वरदान मिला कि किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ में सबसे पहले उन्ही की पूजा की जायेगी। भगवान गणेश को ही भगवान शिव के सभी गणों यानी सेवकों का अध्यक्ष बनाया गया और तभी से उनका एक और नाम गणपति मिला।
भगवान गणेश को मोदक अत्यंत प्रिय हैं। उन्हे मोदक का भोग, हो सके तो जरूर लगाएं। गणेश भगवान रिद्धि और सिद्धि दोनो ही देवियों के स्वामी हैं। उनके प्रसन्न होने मात्र से जीवन के भाग्य बदल जाते हैं।
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