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डोंबिवलीकर गजानन माने को पद्म श्री सम्मान/नौसेना अधिकारी रहे माने ने दिया 35 साल से अधिक समय कुष्ठ रोगियों की सेवा में

(डोंबिवली निवासी एक्स  इंडियन नेवी मैन गजानन माने)

भारत सरकार देश भर से ऐसे ऐसे विभूतियों को राष्ट्रीय सम्मान देने के लिए नामांकित करती है जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं या जो पहले से चर्चा में नहीं रहे  हैं।  इसी कदम के चलते उस राष्ट्रीय सम्मान का भी अपने-अपने सम्मान हो जाता है जब वह अपने असली हकदार तक पहुंचता है।  हाल ही में गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय पुरस्कारों के सम्मान की घोषणा की गई जिसमें सर्वोच्च सम्मान की श्रृंखला में चौथे सबसे बड़े सम्मान पद्मश्री के लिए 91 लोगों को चयनित किया गया है। 

देश भर से पद्मश्री सम्मान के लिए पुरस्कृत किए जाने वालों 91 लोगों में से 1 नाम मुंबई के उपनगर डोंबिवली से 74 वर्षीय गजानन जगन्नाथ माने जी का है। गजानन माने भारतीय नौसेना में अपनी सेवा दे चुके हैं। 1971 में  उन्होंने भारत पाकिस्तान के युद्ध में भाग लिया था। अपने युद्ध पराक्रम के चलते उन्हें युद्ध पदक से सम्मानित भी किया गया था। 

 देशभर में अब तक पिछले 35 सालों के समाज सेवा के विशेष कार्य में अब तक 13 सम्मान उन्हें दिए जा चुके हैं । नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद 1976 में उन्होंने प्राइवेट कंपनी ज्वाइन की थी लेकिन समाज सेवा नहीं छोड़ी।

 वह खुद बताते हैं कि हनुमान नगर मुंबई के उपनगर कल्याण का एक ऐसा क्षेत्र है जहां कई लोग कुष्ठ रोग से ग्रसित है।  ऐसे में उन्होंने महसूस किया कि यह कुष्ठ रोगी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और यहीं से उनके समाज सेवा की शुरुआत हुई ।

उन्होंने इन रोगियों के जीवन को ऊपर उठाने के लिए विशेष प्रयास किया। दवाएं , क्लीनिक,  रोजगार,  साफ सफाई , हनुमान नगर के क्षेत्र में इंफ्रा से जुड़ी सड़कों का निर्माण,  रोगियों के घर तक सरकारी पानी की सप्लाई , महिलाओं के लिए सिलाई मशीन का वितरण,  इस क्षेत्र में शिक्षा के प्रति जन जागरण इत्यादि कई कार्य गजानन माने ने किए।

 इस आर्थिक रूप से शोषित समाज का जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिए  अनाज में भी इन्हें किफायती दर मिल सके इसके लिए सरकार से अधिकृत राशन की दुकान स्थापित करने में भी उन्होंने अथक प्रयास किया। 65 रोगियों के लिए तो हर महीने 2500 रूपये की सहायता राशि भी उन्होंने ग्रांट करवाई। ये ऐसे मरीज है जो विभिन्न कारणों से दिव्यांग हैं।

गजानन माने जी ने देखा  कि जो कुष्ठ रोग से  पीड़ित हैं,  उनके पास न तो रहने की समुचित व्यवस्था है और न ही उपचार का कोई माध्यम । इसलिए उन्होंने कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका से बार-बार फॉलो किए और एक समर्पित अस्पताल उन्हीं के क्षेत्र हनुमान नगर के आसपास बन सके जिससे उन्हें अपना उपचार कराने में सहायता हो सके यह सुनिश्चित किया।

 वह अपने क्षेत्र में माने अंकल के नाम से चर्चित हैं।
 उनके जीवन का उन्होंने एक प्रमुख उद्देश्य बनाया है। वह चाहते हैं कि भारतीय युवा भारतीय सेनाओं के प्रति आकर्षित हो और उन्हें ज्वाइन भी करें ।

वह बताते हैं कि समाज सेवा में वह पिछले 35 सालों से सक्रिय हैं। इसके पहले वह भारतीय नौसेना में थे और इस बात का गर्व उन्हें आज भी है। उनका विजन है कि आज की युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित किया जाए ताकि वह लोग भारतीय सेनाओं को ज्वाइन कर सके।

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