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नवाब मलिक की बढ़ी बेचैनी- सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार

1999 में मुंबई में  कुख्यात अंडरवर्ल्ड  मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम से जुड़ी एक प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में प्रीवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के तहत राज्य के अल्पसंख्यक मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक को कल देश की सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है।

 नवाब मलिक के वकील कपिल सिब्बल मुंबई हाई कोर्ट के द्वारा  १५ मार्च को जमानत देने से इनकार किए जाने के बाद यह अपील सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी।

बता दें कि नवाब मलिक ने 1999 में कुर्ला के गोवा वाला कंपाउंड स्थित जमीन में खरीद के लिए कुख्यात माफिया सरगना और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर को पैसे दिए थे , यह पैसे हसीना पारकर की ड्राइवर सलीम पटेल के तहत दिए गए थे ।
 गौरतलब  हो कि माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के अवैध कारोबार को मुंबई में उसकी बहन हसीना पारकर ही अंजाम दिया करती थी।

 प्रवर्तन निदेशालय ने लंबी पूछताछ के बाद और कई दस्तावेज मिलने के बाद पीएमएलए कोर्ट में नवाब मलिक के हिरासत की मांग की थी जिसे स्वीकार भी कर लिया गया।  फरवरी 2022 से ही नवाब मलिक कस्टडी में हैं। नवाब मलिक के जेल जाने के बाद से ही प्रमुख विरोधी पार्टी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने आंदोलन के माध्यम से अपना विरोध जताया और धरना देकर कहा की देशद्रोह में संलिप्त अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक को तत्काल पद से हटाया जाना चाहिए। हालांकि वह अभी भी महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार में अल्पसंख्यक मंत्री बने हुए हैं और उनके मंत्रालय के कामकाज को दो अन्य मंत्रियों में बांट दिया गया है ताकि उनके जेल में होने की वजह से अल्पसंख्यक मंत्रालय का कामकाज प्रभावित ना हो।

 कल जमानत याचिका की सुनवाई पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश सूर्यकांत की मौजूदगी में सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि अभी तक इस मामले की जांच  बिल्कुल प्राथमिक स्तर पर चल रही है ऐसे में मुंबई उच्च न्यायालय के द्वारा जमानत याचिका पर दिए गए इनकार को वह  ओवर रूल नहीं करना चाहते। यदि मलिक चाहे तो विशेष न्यायालय में जमानत की अर्जी लगा सकते हैं लेकिन  केस की जांच अभी चल ही रही है ऐसे में हम उनकी जमानत याचिका मंजूर नहीं कर सकते ।

नवाब मलिक के वकील और कांग्रेस के दिग्गज कानून मंत्री रहे कपिल सिब्बल  जो उनकी याचिका के लिए  पैरवी कर रहे हैं - का कहना है कि नवाब मलिक को ऐसे मामले  में गिरफ्तार किया गया है जो काफी पुराना है। मलिक ने १९९९ में यह जमीन खरीद  का व्यवहार किया था जबकि पीएमएलए कानून 2002 में  लागू हुआ था। संविधान के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उसी कानून के तहत सजा दी जा सकती है  जो अपराध करने के समय मौजूद हो। इस आधार पर नवाब मलिक का मामला प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत नहीं किया जाना चाहिए। 

मलिक के खिलाफ कल ही एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी प्रवर्तन निदेशालय ने 5000 पन्नों का चार्ज शीट पीएमएलए कोर्ट में दाखिल कर दिया है और पीएमएलए कोर्ट ने नवाब मलिक की कस्टडी प्रवर्तन निदेशालय को सौंप दी है।

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