वसंत पंचमी एवं महाकवि निराला जयंती के सम्मान में राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न
आज वसंत पंचमी और विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती पूजन दिवस है। आज ही के दिन हिंदी साहित्य के महानतम कवियों में शीर्ष नेतृत्व कहे जानेवाले कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की जयंती भी है।
उपरोक्त सुअवसर पर महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य परिषद की ओर से जॉन विल्सन एजुकेशन सोसाइटी द्वारा संचालित विल्सन कॉलेज एवं एचएसएनसी बोर्ड संचालित मुम्बई के ही प्रसिद्ध के सी कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान में आज राष्ट्रीय ई संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया।
यह संगोष्ठी वसंत के अग्रदूत महाप्राण निराला- विषय पर केंद्रित रही।
इस राष्ट्रीय ई गोष्ठी में कई गणमान्य और हिंदी साहित्य -अध्यापन और महाविद्यालय से जुड़े वरिष्ठ ज्ञान वृद्धों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में सरस्वती वंदना एवं गायन की जिम्मेदारी उभरती गायिका नेहा सक्सेना ने संभाली।
मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश प्रशाशन में उच्च शिक्षा के अतिरिक्त संचालक के रूप में सेवानिवृत्त हुए डॉक्टर सत्येंद्र शर्मा रहे। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के निवर्तमान अध्यक्ष डॉक्टर शीतलाप्रसाद दुबे जी प्रस्ताविकी की भूमिका में रहे।
जलगांव के उत्तर महाराष्ट्र विश्व विद्यालय के विद्यार्थी विकास विभाग संचालक व हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ सुनील बाबूराव कुलकर्णी, लखनऊ विश्वविद्यालय से हिंदी प्रोफेसर डॉ अलका पांडेय विशेष अतिथि रहे।
आयोजन का संयोजन विल्सन कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ सत्यवती चौबे ने किया जबकि के सी महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ सुधीर चौबे और डॉ अजीत कुमार रॉय ने सह संयोजक के रूप में भूमिका निभाई।
इस संगोष्ठी के माध्यम से वसंत ऋतु के आगमन से प्रकृति के बदलते स्वरूप, वसंत उत्सव का प्रारूप, महाप्राण निराला एवं वसंतोत्सव के सम्बंध से अवगत कराना मुख्य उद्देश्य रहा।
इस तरह की संगोष्ठी आयोजन आज के विद्यार्थियों में काव्य और संगीत के अद्भुत सामंजस्य से परिचय कराना और उसके जीवन महत्व को दर्शाने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इस राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी में जॉन विल्सन एजुकेशन सोसायटी की सचिव और विल्सन महाविद्यालय,मुंबई की प्राचार्या प्रो.अना प्रतिमा निकालजे ने देश के विभिन्न हिस्सों से आये अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया और इस कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए वसंतोत्सव और निराला जयंती पर सबके प्रति अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की। गौरतलब है कि प्राचार्या प्रो.अना प्रतिमा निकालजे विल्सन महाविद्यालय के 190 वर्षों के इतिहास में जॉन विल्सन एजुकेशन सोसायटी की पहली महिला सचिव और पहली महिला प्राचार्य के पद को बखूबी संभाल रही हैं।
महाकवि निराला हिंदी साहित्य के आधार स्तंभ छायावादी कवियों की श्रेणी में आते हैं। 21 फरवरी १८९६ में तत्कालीन ब्रिटिश भारत के बंगाल रियासत में जन्मे निराला लेखक ,कवि, निबंधकार, उपन्यासकार रहे। सरोज स्मृति, राम की शक्तिपूजा, ध्वनि,परिमल, अनामिका, कुकुरमुत्ता, अर्चना, नए पत्ते, आराधना, तुलसीदास, तोड़ती पत्थर, भिक्षुक इनकी कुछ विशेष कृतियाँ हैं।
इनके कुछ उपन्यास जैसे प्रभावती, निरुपमा, इंदुलेखा, काले कारनामे आदि बहुत चर्चित रहे।
आखिरी दिनों में निराला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में रहे। हिंदी साहित्यिक विधा में छायावादी युग को प्रसुमन काल के रूप में जाना जाता है।प्रसुमन काल मे चार महाकवियों का उल्लेख हैं जिनमे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का समावेश है।
निराला की रचित कविताएं कोलंबिया यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई जाती हैं। निराला की रचनाओं का एक सूक्ष्म विश्लेषण भारत भारती सम्मान से अलंकृत लेखक दूधनाथ सिंह ने भी किया है।
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