सरकारी बैंकों का दो दिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल - मोदी सरकार के विरोध में ;मोदी सरकार करना चाहती है सरकारी बैंकों का निजीकरण :जानिए ऐसा क्यों
बीते शुक्रवार व शनिवार दो दिवसीय हड़ताल के मद्देनजर सरकारी बैंकों में कामकाज नहीं किया - वजह है मोदी सरकार के द्वारा सरकारी बैंकों का निजीकरण किए जाने की ओर अग्रसर होना। जानकारी यह है कि इसी शीतकालीन सत्र में बैंकिंग अमेंडमेंट बिल 2021 पेश किया जाना है और बहुत ही जल्द इसे कानून का रूप दे दिया जाएगा।
इसके बाद ही मोदी सरकार अपने प्लान के तहत 1.75 लाख करोड़ रुपए का विनिवेश सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन के तहत करेगी। आर्थिक वर्ष 2020 के दरमियान वित्तीय बजट में निर्मला सीतारमन जी ने इस बात का ऐलान किया था कि सरकार बैंकों का निजीकरण करने के माध्यम से 1.75 लाख करोड रुपए का विनिवेश करेगी । मोदी सरकार ने भी कहा है कि देश में सिर्फ 4 सरकारी बैंक बचेंगे और अन्य सभी का प्राइवेटाइजेशन कर दिया जाएगा।
गौरतलब हो कि इस समय कुल १२ सरकारी बैंक हैं क्योंकि इससे पहले २०१८ में कई सरकारी बैंकों का आपस में विलय कर दिया गया था। जैसे केनरा बैंक के अंदर सिंडिकेट बैंक का विलय, यूनियन बैंक के अंदर कॉरपोरेशन बैंक और आंध्रा बैंक का विलय, विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के अंतर्गत विलय कर दिया गया था। बीच में खबर यह भी थी कि इंडियन ओवरसीज बैंक का प्राइवेटाइजेशन किया जाएगा ।
वैश्विक आंकड़ों के अनुसार भारत के पास सरकारी बैंक के नाम पर सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक ऐसा बैंक है जो ग्लोबल रैंकिंग में 55 वें स्थान पर है। अन्य किसी सरकारी बैंक को कोई जगह नहीं मिली है। स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड सभी सरकारी बैंकों का मार्केट केपीटलाइजेशन अकेले एक निजी बैंक एचडीएफसी बैंक के मार्केट केपीटलाइजेशन से कम है। इतना ही नहीं कुछ ही समय पहले शेयर मार्केट एक्सचेंज में लिस्ट हुई राजस्थान की अग्रणी ए यू स्मॉल फाइनेंस बैंक का कैपिटलाइजेशन वैल्यू भी कुछ सरकारी बैंकों के वैल्यूएशन से ज्यादा है।
हम सभी जानते हैं कि किस तरह से सरकारी बैंक बैंकिंग प्रक्रिया में ढिलाई बरतते हैं। चाहे बचत खाता खोलना हो, फिक्स डिपाजिट, यानी जमा खाता या फिर कर्ज लेना हो- उसमें काफी समय लगता है और स्क्रूटनी का वक्त और तरीका काफी लंबा होता है। कई बार इस चक्कर में अच्छे ग्राहकों को भी समय पर मदद नहीं मिल पाती और उन्हें प्राइवेट बैंकों की तरफ रुख करना पड़ता है।
वहीं दूसरी ओर प्राइवेट बैंक अपना शेयर बढ़ाने सेवा में वृद्धि करने के उद्देश्य से बहुत ही सक्रिय रहते हैं और सरकारी बैंकों की तुलना में काम नहीं जल्द और आसानी से होता है। आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, बंधन बैंक, आक्सिस, इंडसइंड, आरबीएल , कोटक जैसे बैंक हैं जिन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में मॉडर्न डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर अपने व्यापार में अतुलनीय वृद्धि की है और ग्राहकों के विश्वास को भी बढ़ाया है।
ऑल इंडिया बैंक एम्पलइज एसोसिएशन के सचिव वेंकटचलम ने कहा दो दिवसीय हड़ताल सिर्फ इसीलिए की गई ताकि मोदी सरकार हमारे विरोध को समझ सके कि हम उनके इस फैसले से उनके साथ नहीं हैं कि सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाए यदि वह इस शीतकालीन सत्र में बैंकिंग अमेंडमेंट बिल 2021 नहीं लाते हैं तो हम स्ट्राइक अभी बंद कर सकते हैं, हालांकि सरकार ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
केंद्र सरकार का कहना है स्टेट बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे लगभग 4 बैंकों का ही सरकारी करण बचा रहेगा। अन्य सभी बैंकों के निजीकरण किए जाने से ही देश के आर्थिक विकास को प्रगति मिल सकती है। भारत व्यापार और आर्थिक दृष्टि से विश्व मे पांचवें पायदान पर है जबकि देश का बैंकिंग सिस्टम उस तरह की रैंकिंग में अब भी मौजूद नहीं है।
कई छोटे-छोटे देश भी अपनी बैंकिंग सिस्टम को मजबूत किए हुए हैं। ऐसे में हमारे यहां आर्थिक रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले बैंकों के सिस्टम में व्यापक बदलाव की आवश्यकता है।
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