८दिसंबर को विवाह पंचमी: जानिए राम-जानकी विवाह की शुभ तिथि से जुड़ी बातें और महत्व
-विवाह पंचमी के दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह संपन्न कराया जाता है. इस तरह कराएं राम-सीता विवाह:
- विवाह पंचमी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- इसके बाद राम विवाह का संकल्प लें.
- अब घर के मंदिर में भगवान राम और माता सीता की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें.
- अब भगवान राम को पीले व मां सीता को लाल वस्त्र पहनाएं।
- अब रामायण के बाल कांड का पाठ करते हुए विवाह प्रसंग का पाठ करें।
- इसके बाद ॐ जानकीवल्लभाय नमः का जाप करें।
- फिर भगवान राम और मां सीता का गठबंधन करें।
- अब राम-सीता की जोड़ी की आरती उतारें
- अब भगवान को भोग लगाएं और पूरे घर में प्रसाद बांटकर आप भी ग्रहण करें।
विवाह पंचमी के दिन नहीं होते विवाह
हिन्दू धर्म में विवाह पंचमी का विशेष महत्व है।लेकिन इस दिन कई जगह विवाह नहीं किए जाते हैं। खासकर मिथिलांचल और नेपाल में इस दिन विवाह नहीं करने की परंपरा ह।. दरअसल, सीता का वैवाहिक जीवन दुखद रहा था, इसी वजह से लोग विवाह पंचमी के दिन विवाह करना उचित नहीं मानते। मान्यता है कि 14 वर्ष के वनवास के बाद भी राम ने गर्भवती सीता को त्याग कर दिया था और उन्हें महारानी का सुख नहीं मिल पाया। इसलिए विवाह पंचमी के दिन लोग अपनी बेटियों का विवाह नहीं करते हैं. लोगों का मानना है, कि विवाह पंचमी के दिन विवाह करने से कहीं सीता की तरह ही उनकी बेटी का वैवाहिक जीवन भी दुखमयी न हो जाए। यही नहीं, विवाह पंचमी के दिन रामकथा का अंत राम और सीता के विवाह पर ही हो जाता है। दरअसल, दोनों के जीवन के आगे की कथा दुख और कष्ट से भरी है और इसका शुभ अंत करके ही कथा का समापन कर दिया जाता है।
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