क्या हो रहा महाराष्ट्र की राजनीति मे- परमबीर फरार- जुहू स्थित आवास पर कोर्ट की नोटिस ।
महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी के अंतर्गत चल रही सरकार में काफी कुछ उथल पुथल मची हुई है। राज्य में गृह मंत्री रहे अनिल देशमुख प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा गिरफ्तार किए गए हैं और फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। वही उनके ही सहयोगी माने जाने वाले और 100 करोड़ की हर महीने धनउगाही के आरोप में गिरफ्तार हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सचिन बजे की हुई हिरासत बढ़ा दी गई है।
अब खबर यह भी है कि इन सब मामलों से जुड़े पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह वांटेड हैं और उनका कोई अता-पता नहीं है। जिस पर गंभीरता दिखाते हुए राज्य सरकार ने मुंबई उच्च न्यायालय का रुख किया और उन्हें उन्हें फरार घोषित करने का निवेदन भी दिया। कल मंगलवार के दिन परमवीर सिंह के जुहू स्थित घर के बाहर कोर्ट का नोटिस चिपका दिया गया जिसमें उन्हें फरार बताया गया है।
यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि इस नोटिस के 30 दिन के अंदर यदि परमवीर सिंह प्रवर्तन निदेशालय/ न्यायालय के सामने हाजिर नहीं होते हैं तो उनकी संपत्ति भी कुर्क हो सकती है/
यह सब कुछ इसलिए हुआ क्यों कि होटल व्यवसायी व बिल्डर बिपिन अग्रवाल ने शिकायत दर्ज कराई की सचिन वाज़े ने उनसे ९ लाख रुपये और 2.९२ लाख के दो मोबाइल फोन जबरन लिए ताकि उनके दो रेस्टोरेंट और बार पर छापा न पड़े।
अनिल देशमुख भी पहले कई समन पर प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नही हुए, उनके लिए भी लुकआउट नोटिस जारी किया गया , वह भी कुछ समय तक लापता रहे और अचानक सामने आ गये। अब वह न्यायालय से पूछने लगे कि जिस पूर्व आयुक्त ने मुझ पर आरोप लगाए, वह अब कहाँ हैं।
इतनी फजीहत कम नही थी कि हाई प्रोफाइल आर्यन खान ड्रग मामले समेत अन्य ५ मामले मुम्बई पुलिस की नोरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से हटाकर केंद्रीय एजेंसी को दे दिया गया।
आर्यन ड्रग मामले में राज्य के अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक भी खासी दिलचस्पी लेते हुए वरिष्ठ अधिकारी और जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को
आए दिन ट्विटर पर समीर दावूद वानखेड़े कह रहे हैं।प्रतिदिन मलिक एक सरकारी अधिकारी को गलत साबित करने में लगे हुए हैं जबकि ड्रग मामले पर एक बोल नही बोलते। समीर वानखेड़े ने ही नवाब मलिक के दामाद को भी गिरफ्तार किया था। खबर यह भी है कि समीर की पत्नी ने मराठी कार्ड खेलते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी न्यायिक गुहार लगाई थी।
महाराष्ट्र की राजनीति में इतनी निम्नस्तरीय दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होना अपने आप में ऐतिहासिक है। महा विकास आघाडी सरकार में केंद्रीय जांच एजेंसियां, आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी एक पर एक मामले में अब तक की सबसे कमजोर कड़ी आघाडी सरकार के सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ही स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।
2019 विधानसभा चुनाव होने के बाद एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि महाराष्ट्र सरकार में ४३ राज्य कैबिनेट मंत्रियों में 27 मंत्री किस तरह तरह के अपराध में शामिल है और उनमे भी 18 कैबिनेट मंत्रियों पर गंभीर अपराध के आरोप है। यही नहीं महाराष्ट्र विधानसभा सदन में 288 सदस्यों में से 40% सदस्य अपराधिक मामलों से जुड़े हैं, ऐसे अपराध जैसे हत्या, हत्या की कोशिश, मारपीट , फिरौती जैसे कई संगीन अपराध उनसे जुड़े हैं ।
एडीआर रिपोर्ट चौंकाने वाली जरूर है लेकिन यह भी एक कड़वा सच है कि राजनीति में कोई भी पार्टी ऐसी नहीं है जिसके पास जनप्रतिनिधि के नाम पर बिल्कुल साफ सुथरी छवि वाला कोई नेता मौजूद हो।
1993 में हुए मुंबई में दंगों के बाद एन एन वोरा कमेटी ने सौ पन्ने की रिपोर्ट बनाई थी और संसद को ५ अक्टूबर १९९३ के दिन दे भी दी लेकिन १९९५ में संसद में सिर्फ 11 पन्नों की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जबकि उस रिपोर्ट में एक अनेक्सर में यह भी उल्लेख है कि कुख्यात मोस्ट वांटेड माफिया दावूद इब्राहिम ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के एक रिश्तेदार को 5 करोड़ की दो आर्थिक सहयोग प्रदान किए हालांकि बाद में रिश्तेदार भी राजनेता बन गए थे ।
पूर्व पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने अपनी किताब में उल्लेख किया है कि किस तरह से दाऊद इब्राहिम के संबंध महाराष्ट्र के राजनेताओं से हैं। इसका जिक्र नीरज जी ने बिजनेस स्टैंडर्ड समाचार पत्र को साक्षात्कार में भी दिया है।
महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री व शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने दशहरा रैली के दरमियान इस बार भी कहा उनकी सरकार केंद्र के सामने नहीं झुकेगी। मुंबई के समुंद्र सभागृह में आयोजित रैली में उन्होंने कहा कि जहां भी भाजपा समर्थित राज्य में सरकार है वहां सब कुछ ठीक चल रहा है जहां केंद्र सरकार के समर्थन से राज्य में सरकार नहीं बनी है सारी समस्याएं वही हो रही है महाराष्ट्र इसी का शिकार हो रहा है।
यहां यह उल्लेख करना भी आवश्यक है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो, आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा विभिन्न मामलों में जांच हो रही है । मौजूदा आयकर विभाग की जांच में राज्य के ट्रांसपोर्ट मंत्री अनिल परब, उप मुख्यमंत्री अजीत पवार भी उलझते दिखाई दे रहे हैं।
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