अपराधिक मामलों से जुड़े नेताओं को ताउम्र चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाएगी केंद्र सरकार? सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा
देश की सर्वोच्च न्यायालय ने कल अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल से यह सवाल पूछ लिया है कि क्या केंद्र सरकार की मंशा है कि वह आपराधिक मामलों से जुड़े हुए नेताओं पर किसी भी तरह का चुनाव लड़ने के लिए उम्र भर रोक लगाना चाहती है?
दरअसल सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय के द्वारा दिए गए पीआईएल पर सुनवाई कर रहे थे। अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय और एमएल शर्मा ने दो साल पहले यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दी थी।
(मुख्य न्यायाधीश एन वी रामन्ना- सर्वोच्च न्यायालय)
लगभग 15 महीने पहले सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से इस पर राय मांगी थी की चुनाव आयोग से विचार विमर्श कर विधि पालिका का मार्ग अपनाते हुए रिप्रेजेंटेशन आफ पीपल्स एक्ट के अंतर्गत संशोधन कर यह कानून बनाया जा सके। जिससे किसी भी तरह के आपराधिक पृष्ठभूमि में शामिल हुए नेता को किसी भी तरह का चुनाव लड़ने से जीवन भर प्रतिबंधित कर दिया जा सके।
अधिवक्ता श्री उपाध्याय ने दलील दी कि हमारे देश में यदि किसी नागरिक ने जघन्य अपराध किया हो तो उसे एक कॉन्स्टेबल की भी नौकरी नहीं दी जा सकती है, तो फिर ऐसे में अगर उसी तरह का अपराध एक नेता कर लेता है तो भी उसे चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं है। वह न केवल चुनाव लड़ता है बल्कि वह जीत कर गृह मंत्री भी बन सकता है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उपाध्याय से यह भी पूछा कि उन्होंने बीते समय से कितने पीआईएल दाखिल किए हैं। एक और पीआईएल में वर्तमान व पूर्व में रहे सांसद ,विधायकों पर लंबित मामले अब भी निर्णायक फैसले से दूर हैं। इसके लिए मामलो को फ़ास्ट ट्रैक तरीके से कब निपटाया जा सकेगा। इससे यह प्रतीत हो रहा है कि कुछ ही समय में सुप्रीम कोर्ट को एक स्पेशल बेंच बिठाना पड़ेगा ताकि उपाध्याय और एम एल शर्मा के पीआईएल की सुनवाई की जा सके सुप्रीम कोर्ट के पूछे जाने पर अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि वह केंद्र सरकार से इस पर जानकारी लेने के बाद ही कुछ कह सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए यह प्रश्न किया है कि केंद्र सरकार शीघ्र ही अपनी मंशा साफ करें और न्यायालय यह प्रश्न १५ महीने पहले ही पूछ चुकी है।
खबरे मुम्बई नजरिया:
अपराधिक मामलों से जुड़े नेताओं पर चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंध लगाने की मांग काफी समय से चलती रही है। यदि यह कानून बन जाता है तो निश्चित रूप से न केवल देश हित में बल्कि एक साफ-सुथरे समाज के निर्माण की ओर बहुत बड़ा कदम होगा।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर नाम की संस्था ने अपने सर्वे में पहले भी यह बताया है कि केंद्र में भी 542 सांसदों में लगभग 60% ऐसे लोग हैं जो किसी ने किसी तरह की अपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़े हैं। यही नहीं देश के कई राज्यों में भी विधानसभा में 40% से ज्यादा विधायक किसी न किसी तरह की संगीन अपराधों से जुड़े हैं और उन पर मामले लंबित हैं।
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