0 कल है कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंगलकारी हर्षण योग- जानें व्रत से जुड़ी अहम जानकारी - Khabre Mumbai

Breaking News

कल है कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंगलकारी हर्षण योग- जानें व्रत से जुड़ी अहम जानकारी

भगवान विष्णु के आठवें अवतार सभी ६४ कलाओं से परिपूर्ण स्वयं नारायण स्वरूप श्री कृष्ण की जन्माष्टमी कल पूरे देश मे मनाई जाएगी।

जन्माष्टमी कल ३० अगस्त को भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ रही है। हालांकि कोरोना के मद्दे नजर  इस्कोन हरे रामा हरे कृष्णा मंदिर- जुहू, सायन - गीता भवन हरि मंदिर समेत कई प्रमुख मंदिरों से झाँकियाँ, शोभायात्रा सभी के हितों का ध्यान रखते हुए नही निकाली जाएंगी। मुम्बई में श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर- कालबादेवी , श्रीराधा गोपीनाथ मंदिर- चौपाटी,  गुरुवयूर श्री कृष्ण मंदिर- नवी मुम्बई आदि कुछ प्रमुख कृष्ण मंदिर हैं।

इस वर्ष जन्माष्टमी पर हर्षण योग बन रहा है जो कि मंगलकारी है ; इस दिन किये गए कार्य शुभ और सफल होते हैं।

भगवान कृष्ण मध्यरात्रि में मथुरा के कारागृह में अवतरित हुए थे। उनके माता पिता वासुदेव व देवकी माता को उनके ही मामा असुर राज कंस ने विवाहोपरांत ही जेल में डाल दिया था।

कथा यह है कि भाई कंस अपनी बहन देवकी को बहुत मानता था, यहां तक कि राजा होने के बावजूद वह बहन देवकी की विवाह के पश्चात बिदाई के समय खुद ही रथ हांक रहा था, तभी आकाशवाणी हुई, " रे मूर्ख कंस, जिस बहन को तू इतनी प्रसन्नता से विदा कर रहा है, उसी देवकी का आठवां पुत्र तेरा काल होगा।"

इस आकाशवाणी के बाद ही कंस क्रोधित हो उठा और बहन - बहनोई को कारागृह में डाल दिया।
वासुदेव ने वचन दिया कि  आठवां बच्चा पैदा होते ही वह स्वयं कंस को दे देंगे पर कंस भयभीत था, उसने उनकी नही सुनी।

देवर्षि नारद द्वारा आशंकित किया गया कि देवकी का  कोई भी पुत्र आठवां हो सकता है। देवताओं का क्या भरोसा, वह किस तरीके से आठवें पुत्र की गिनती करें, इसलिए कंस के पास एक ही उपाय है कि वह देवकी के हर बच्चे को मार डाले।

६ पुत्रों की हत्या माता देवकी के सामने ही कंस ने पैदा होते ही पत्थर पर पीटकर कर दी थी। सातवे पुत्र बलराम थे जिन्हें योगविद्या से रोहिणी के गर्भ में प्रवेश करा दिया गया और कंस की नजर में सातवां गर्भ कंस से डरकर नष्ट हो चुका था, ऐसी खबर फैली।

आठवें पुत्र के रूप में भगवान कृष्ण जब बाल रूप में मथुरा के कारागृह में आए तो बिजली चमकी, देवकी वासुदेव की लोहे की बेड़ियां टूट गईं। पहरेदार जो जेल की सुरक्षा में थे, सभी सो गए।

आकाशवाणी हुई और वसुदेव को कहा गया कि श्री कृष्ण को उनके मित्र गोकुल के सरपंच नंद बाबा के यहां पहुंचा दें और वहां भगवान कृष्ण की योगमाया ने जन्म लिया है, उन्हें यहां लाएं।
वसुदेव ने ऐसा ही किया। कंस को पता चला कि आठवां पुत्र नही, पुत्री हुई है। उसे नष्ट करने ही जा रहा था कि वह योगमाया के रूप में आकाश में प्रकट हो गई और कंस पर अट्टहास करते हुए बता कर अंतर्ध्यान हो गईं कि उसे मारनेवाला तो जन्म ले चुका है और गोकुल में पल रहा है।

कालांतर में भगवान ने किशोरावस्था में ही कंस का अंत कर दिया। उससे पहले भगवान ने कई महा असुरों  जैसे बकासुर, पूतना , काल यमन, आदि का अंत किया। द्वापर युग मे जन्मे भगवान कृष्ण विश्व के सबसे बड़े युध्द  महाभारत के सबसे बड़े सूत्रधार रहे और धर्म रूपी पांडवों को विजय दिलाई। महाभारत के युद्ध मैदान में ही भगवान कृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाया था और उनकी उस वक्त कहे उद्गार आज भगवदगीता के रूप में उपलब्ध है। भगवदगीता पूरे विश्व का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो स्वयं भगवान की वाणी है और किसी भी धर्म, मजहब, सम्प्रदाय के बंधनों से रहित सिर्फ मानवमात्र के कल्याण के लिए स्वयं  श्री कृष्ण द्वारा कहे गए विस्तृत श्लोकमय वचन हैं। भारत के सभी अदालतों में इसी भगवदगीता की कसमें खाई जाती हैं।

  कृष्ण लीला 

श्रीकृष्ण ने जन्म लेने के बाद से ही अपनी चमत्कारिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए अनगिनत असुरों का संहार किया। सभी असुर उनके मामा कंस ने उन्हें मारने के लिए भेजा। सभी असुरों को लगा कि वह कृष्ण को फंसा रहे हैं, जबकि सच यह था कि कृष्ण ने उन्हें ही फंसाकर मार दिया।  इतना ही नही कई देवताओं को भी उनका अहंकार तोड़ने के लिए श्रीकृष्ण ने सबक सिखाया।

पूतना, तृणावर्त, सकटा सुर, कागासुर, अघासुर, बकासुर, प्रलंबसुर, व्योमासुर, केशी, वत्सासुर, धेनुकासुर, अरिष्टा सुर, पांचजन्य, चाणूर, नरकासुर, दंतवक्र, शिशुपाल और उनके मामा कंस को कृष्ण ने मार दिया और धर्म की रक्षा की।

(इस्कोन मंदिरों में भगवान को झूला झुलाते हुए भक्त)

जन्माष्टमी की मध्य रात्रि में बाल गोपाल को नहलाने, वस्त्र पहनाने, झूला झुलाने की परंपरा भी है।  इस दिन देश के सभी कृष्ण मंदिरों में विशेष रौनक होती है।

       कैसे करें पूजन:

 सुबह स्नानध्यान के साथ भगवान के मंदिर को स्वच्छ करें। एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाएं, भगवान के बाल रूप की प्रतिमा स्थापित करें। पुत्रवत ध्यान करें।

 निम्न महामंत्र का जप करें, भजन कीर्तन करें।
'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।'

अर्धरात्रि के समय भगवान की पूजा करें, 
 निम्नलिखित मंत्रों का ध्यान करें। 

भगवान कृष्ण का मूल मंत्र
‘कृं कृष्णाय नमः’

-धन-धान्य में वृद्धि करने वाला मंत्र
‘क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः’

-मनोवाछिंत फल की प्राप्ति के लिए मन्त्र
‘ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा’

तत्पश्चात भगवान को प्रसाद भोग के रूप में खीर, दही, पंचामृत,  घी , मिश्री चढ़ाएं।अंत मे आरती करें।

आरती कुंज बिहारी की, 

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ।

इसके बाद सभी मे प्रसाद वितरित करें।


कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त:
भगवान श्रीकृष्ण का 5248वाँ जन्मोत्सव
पूजा का समय – 11:59  रात्रि से 12:44 सुबह 31 अगस्त तक
अवधि – 45 मिनट
पारण समय – 12:44 सुबह, अगस्त 31 के बाद
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – 29 अगस्त 2021 को रात्रि 11:25 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त – 31 अगस्त 2021 को सुबह 01:59 बजे
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ – 30 अगस्त 2021 को सुबह 06:39 बजे
रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 31 अगस्त 2021 को सुुुबह 09:44  बजे।







No comments