0 ॐ नाम की राखियाँ बांधकर मनाया गया रक्षा बंधन पर्व/ ॐ में समाया है सम्पूर्ण ब्रह्मांड का सार- ॐ मंडली शिवशक्ति अवतार सेवा संस्थान - Khabre Mumbai

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ॐ नाम की राखियाँ बांधकर मनाया गया रक्षा बंधन पर्व/ ॐ में समाया है सम्पूर्ण ब्रह्मांड का सार- ॐ मंडली शिवशक्ति अवतार सेवा संस्थान

धूमधाम से मनाया गया 'रक्षा पर्व'

मुंबई: माहिम के कॉजवे और बोरीवली में भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व बड़ी धूमधाम और श्रद्धा से मनाया गया।

'ओम मण्डली शिवशक्ति अवतार सेवा संस्थान' द्वारा आयोजित 'रक्षा पर्व' कार्यक्रम में भाई-बहनों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी कलाई पर ‘ॐ’ नाम की राखियां बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना की गई। अंजू दीदी के सानिध्य में उपस्थित भाई-बहनों को 'ओम ध्वनि' का महात्म्य और रक्षाबंधन का आध्यात्मिक महत्व बताया गया।

वहीँ इस मौके पर बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को ‘ॐ’ शब्द की विशेषता व उच्चारण के बारे में सही जानकारी दी गई। अंजू दीदी ने प्रवचन में कहा कि बिना ओम (ॐ) के सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ‘ॐ’ शब्द नहीं है, बल्कि ध्वनि है। जब हम इसका जाप करते हैं तो बोलते समय उत्पन्न हुई उस ध्वनि से ही हमें कई तरह के अचूक फायदे होते हैं। ये एक ऐसा चमत्कारिक शब्द है जो कुछ ही दिनों में आपकी तमाम मानसिक व शारीरिक परेशानियों को धीरे-धीरे दूर कर देती है। ‘ॐ’ के नियमित जाप से तनाव, डिप्रेशन, गुस्सा, अनिद्रा जैसी कई समस्याएं नियंत्रण में आ जाती हैं

‘ॐ’ में समाया है सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का सार

सरला दीदी ने कहा कि ‘ॐ’ शब्‍द का उच्‍चारण करते वक्‍त एक विशेष ध्‍वनि उत्‍पन्‍न होती है जिससे शरीर के अलग-अलग भाग में कंपन होता है।
 ॐ के प्रत्येक अक्षर का शरीर पर प्रभाव:

 जब आप उ बोलते हैं तो आपके शरीर के मध्‍य भाग में कंपन होता है। इससे आपके सीने, फेफड़ों और पेट पर बहुत अच्‍छा असर पड़ता है। वहीं जब आप म बोलते हैं तो इसकी ध्‍वनि से मस्तिस्‍क में कंपन होता है। इससे दिमाग की सारी नसे खुल जाती हैं।शरीर के महत्‍वपूर्ण ऑर्गेंस इन्‍हीं दोनों हिस्‍सों में होते हैं। ‘ॐ’ के स्‍वर से जो कंपन होता है वह शरीर को अंदर से शुद्ध करता है। इतना ही नहीं यह आपकी स्‍मरण शक्ति और ध्‍यान लगाने की क्षमता को बढ़ाता भी है।

(आदरणीया अंजू दीदी की उपस्थिति में ॐ मंडली शिवशक्ति अवतार सेवा संस्थान के तत्वाधान में उक्त कार्यक्रम)

ओम शब्‍द तीन अक्षरों से मिलकर बना है। यह अक्षर है अ, उ और म. इसमें अ का अर्थ है उत्‍पन्‍न करना, उ का मतलब है उठाना और म का अर्थ है मौन रहना, यानी जब यह तीनों शब्‍द मिलते हैं तो उसका अर्थ होता है ब्रह्मलीन हो जाना। इसलिए आप जब भी ‘ॐ’ का उच्‍चारण करें तो इन तीन अक्षरों को ध्‍यान में रखकर करें। कारण इसी में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का सार समाया है।

क्या है सर्वोचित समय ॐ की ध्वनि उच्चारण का?

 वैसे तो ॐ का उच्चारण कभी भी किसी भी समय कर सकते हैं लेकिन सर्वोत्तम लाभ के लिए सर्वोचित विधि निम्न प्रकार है:

कहते हैं कि अगर आप ‘ॐ’ का उच्‍चारण कर इसके लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको सुबह सूर्योदय होने से पूर्व किसी शांत जगह पर सुखासन मुद्रा में बैठकर ‘ॐ’ का उच्‍चारण करना चाहिए। ध्‍यान रहे कि जब आप ॐ का उच्‍चारण करें तो इसकी संख्‍या 108 होनी चाहिए।


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