यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के कट्टर समर्थक ,राम मंदिर निर्माण की प्रमुख भूमिका में रहे कल्याण सिंह का शनिवार शाम हुआ निधन ।सोमवार को होगा बुलंदशहर में गंगा किनारे अंतिम संस्कार । पीएम मोदी भी आज करेंगे अंतिम दर्शन।
कल देर शाम भाजपा के कद्दावर व वरिष्ठतम नेताओं में से प्रमुख कल्याण सिंह का ८९ वर्ष की आयु में लखनऊ में निधन हो गया।
कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं राजस्थान के राज्यपाल रह चुके हैं भाजपा में 1 लंबी पारी उन्होंने खेली है। एक कल्याण सिंह ही थे, जिस समय बाबरी मस्जिद का विध्वंस अयोध्या में हुआ था और उनकी सरकार उस वक्त थी।
कल्याण सिंह की हालत पहले खराब होने पर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद लखनऊ के पीजीआई में उन्हें शिफ्ट किया गया था ।कल देर शाम यह खबर आई। उनके शरीर को आज विधान भवन में और फिर भाजपा कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। योगी जी भी लखनऊ में उनके अंतिम दर्शन किये।
बुलंदशहर के नरोरा में होगा अंतिम संस्कार
कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कल सोमवार के दिन बुलंदशहर के नरोरा में गंगा नदी के किनारे किया जाएगा। पूरे राजकीय सम्मान के साथ होने जा रहे इस अंतिम संस्कार के मद्दे नजर कल पूरे राज्य में सार्वजनिक अवकाश रहेगा।
नरोरा घाट पर अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हो चुकी है।
खबर है कि प्रधानमंत्री मोदी उनके अंतिम दर्शन के लिए लखनऊ एयरपोर्ट पहुंच गए हैं। उनके आवास पर पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पहुंचकर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। गृह मंत्री अमित शाह भी श्रद्धाजंलि देंगे।
बसपा सुप्रीमो मायावती भी कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन हेतु पहुंची ।
मुख्यमंत्री योगी ने कल्याण सिंह के जाने पर कहा कि यह न केवल भारतीय राजनीति के लिए बल्कि भाजपा के लिए भी अपूरणीय क्षति है। वह आज की राजनीति के बाबूजी कहे जाते थे।
व्यक्तिगत परिचय(राजनीतिक जीवन यात्रा)
कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, एक बार सांसद रहे। वह २०१५ में हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त कार्यभार के रूप में राज्यपाल भी रहे। अतरौली में ५ जनवरी १९३२ को जन्मे कल्याण सिंह का देहावसान कल लखनऊ पीजीआई अस्पताल में ८९ वर्ष की उम्र में हुआ।
वह राष्ट्रीय क्रांति पार्टी और जन क्रांति पार्टी में भी रहे। वह अभी २०१४ से २०१९ के बीच राजस्थान के राज्यपाल पद पर थे।
वह यूपी के एटा से २००९ से २०१४ के बीच सांसद रहे हैं।
२४ जून १९९१से ६ दिसंबर १९९२ की डेढ़ साल की सरकार में कल्याण सिंह ने बाबरी विध्वंस की जिम्मेदारी ली और राष्ट्रीय हिंदुत्ववाद को प्रखरित किया। इस बड़ी घटना के बाद यूपी में राष्ट्रपति शाशन लगाया गया। हिन्दू मुस्लिम दंगे भी यूपी सहित कई राज्यों में हुए थे।
कल्याण सिंह स्कूली दिनों में ही आरएसएस से जुड़ गये थे। यूपी विधानसभा में १९६७ में अतरौली से ही विधायक बनकर आए।
भाजपा, जनता पार्टी, राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से वह १० बार चुनाव जीते।बाबरी दंगो के चलते देढ़ साल में ही कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। बाद में १९९७में फिर मुख्यमंत्री बने लेकिन भाजपा ने ही उन्हें फिर १९९९ में मात्र 2 साल में ही हटा दिया।जिसके बाद भाजपा छोड़ कल्याण सिंह ने अपनी पार्टी बना ली थी।
२००४ में भाजपा में घर वापसी की और बुलंदशहर से सांसद बने। फिर से दूसरी बार भाजपा छोड़ दी और अबकी बार एटा से २००९ में निर्दलीय संसदीय चुनाव न केवल लड़े बल्कि जीते भी। पांच साल तक सांसद बने रहे।
फिर भाजपा में वापस आए और २०१४में संसदीय पारी के बाद राजस्थान के राज्यपाल बनाये गए।
सक्रिय राजनीति में २०१९ में लौट आये और उन पर बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने के मामले में आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोपी मानकर मुकदमा चला। बाद में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें निर्दोष करार दे दिया।
निश्चित रूप से कल्याण सिंह भाजपा के ही नही देश के कई अनुभवी नेताओं में से एक माने जाते हैं। उनका जाना राष्ट्र के लिए क्षतिपूर्ण है।
उनके सुपुत्र राजवीर सिंह ,कल्याण सिंह की संसदीय सीट एटा से सांसद रहे हैं।
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