0 पूर्व महाराष्ट्र गृह मंत्री अनिल देशमुख पांचवी बार प्रवर्तन निदेशालय की नोटिस पर अनुपस्थित। सर्वोच्च न्यायालय में सीबीआई की एफ आई आर रद्द करने की अर्जी हो चुकी है खारिज। - Khabre Mumbai

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पूर्व महाराष्ट्र गृह मंत्री अनिल देशमुख पांचवी बार प्रवर्तन निदेशालय की नोटिस पर अनुपस्थित। सर्वोच्च न्यायालय में सीबीआई की एफ आई आर रद्द करने की अर्जी हो चुकी है खारिज।

महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री व राकांपा में पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के बेहद करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख पर प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा कसता ही जा रहा है ।कल 18 अगस्त को उन्हें पांचवी बार नोटिस देकर पूछताछ के लिए हाजिर रहने को निर्देशित किया गया था लेकिन पहले चार बार की तरह ही इस बार भी देशमुख निदेशालय के कार्यालय मैं हाजिर नहीं हुए।

 बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी हुई इस मामले में अनिल देशमुख की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में भी एक याचिका दायर की गई है जिस पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। अनिल देशमुख के लिए एक दुर्भाग्यपूर्ण बात यह भी है कि सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई थी लेकिन उसे खारिज कर दिया गया है।

अनिल देशमुख पर गृह मंत्री रहने के दरमियान पुलिस विभाग में कई अधिकारियों पर हफ्ता वसूली को बढ़ावा देने हर महीने 100 करोड़ का टारगेट रखने जैसे कई आरोप लगे हैं। यह आरोप तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त रहे परमवीर सिंह ने लगाए हैं जिसके बाद मामले में काफी जांच हुई। देशमुख के  पर्सनल असिस्टेंट पलांडे भी गिरफ्तार हुए। कुछ अन्य अधिकारी भी गिरफ्तार हुए । अनिल देशमुख के घर, होटल, गेस्ट हाउस, फार्म हाउस और अन्य ठिकानों पर भी रेड हुई।

 कल हाजिर रहने के समन के बाद देशमुख के वकील इंदरपाल सिंह ने ईडी को कहा कि वह जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। विनती यह की गई है कि जब तक सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हमारी याचिका पर निष्कर्ष नही निकल जाता तब तक और समन न भेजे जाएं।

हाल ही में खबर यह भी थी कि अनिल देशमुख ,पूर्व गृहमंत्री जी के लिए लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया था और रिश्तेदारों, फार्महाउस और कई पतों को खंगाला जा रहा था।
उन पर आरोप लगाकर चौकाने वाले पुलिस आयुक्त रहे परमबीर सिंह के लिए भी लुकआउट नोटिस जारी किया गया है।परमबीर सिंह जी का तबादला होम गार्ड्स के निदेशक के पद पर कर दिया गया था जिसके बाद उन्होंने लिखित पत्र देकर यह आरोप लगाए थे।

गौरतलब हो कि मुकेश अम्बानी रिलायंस समूह के चेयरमैन के घर एंटीलिया के पास जिलेटिन विस्फोटक युक्त स्कार्पियो के पाए जाने उसमें एक लिखित पत्र के मिलने , उससे जुड़े थाने के ऑटोमोबाइल गैराज चलनेवाले मनसुख हिरेन की हत्या होने और शव कलवा क्रीक में मिलने, मनसुख की पत्नी द्वारा अपराध शाखा थाने सेल् के प्रमुख सचिन वज़े के उनके पति से संबंध होने और कई महीने वह गाड़ी इस्तेमाल करने जैसे कई राज खोला जाना आदि ने सचिन को कारागार तक पहुंचा दिया।  सचिन वज़े की इस प्रकरण में शामिल होने की पुष्टि भी हो गई। 

सीबीआई की  इस मामले में निष्पक्ष जांच करने की प्रमुख भूमिका रही।  सचिन वज़े की गिरफ्तारी और मुम्बई पुलिस की बदनामी होने को लेकर अनिल देशमुख ने लोकमत के एक कार्यक्रम में परमबीर सिंह की काबिलियत पर सवाल खड़े कर दिए। इसी से आहत होकर परमबीर सिंह ने एक कदम आगे बढ़ते हुए लिखित शिकायत  मुख्यमंत्री  उद्धव ठाकरे को देकर सबको चौका दिया और उच्च न्यायालय में केस भी कर दिया।

परमबीर सिंह ने आरोप लगाए थे कि बतौर गृहमंत्री श्री देखमुख हमेशा पुलिस की कार्यवाही में बाधक बनते हैं, अपने तरीके से प्रशाषन को किसी महत्वपूर्ण केस में काम नही करने दिया जाता, सचिन वज़े और एक अन्य अधिकारी को घर पर बुलाकर वह १०० करोड़ महीने की वसूली करने के लिए निर्देश देते थे।  इसके लिए बार, पब, रेस्तरां से वसूलने के निर्देश दिया था।
हालांकि उनके इन आरोपो पर न्यायालय ने परमबीर से उनके रोल पर भी सवाल उठाए थे और पूछा कि जब वह खुद आयुक्त थे तो उन्होंने विरोध क्यों नही किया।

इस मामले के तूल पकड़ने पर राकांपा प्रमुख से दिल्ली निवास जाकर  उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, अनिल देशमुख,मीटिंग के दौर चले और इसके बाद गृहमंत्री देशमुख ने इस्तीफा दे दिया जिसके बाद  वरिष्ठ नेता दिलीप वलसे पाटिल को गृहमंत्रालय दिया गया है।


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