अफगान हुआ हाईजैक- तालिबान का कब्जा, अशरफ घानी पैसे ठूंसकर विमान से भागे। क्या अमेरिका ने ही निभाई मुख्य भूमिका?
पिछले दो हफ्तेभर में जो कोहरम अफगानिस्तान में मचा हुआ है, वह वैश्विक रूप से सुर्खियों में है।
एक आतंकी संगठन जिसकी विचारधारा कट्टर इस्लाम पंथ की है, ने कत्ल -ए- आम मचा दिया, अफगान से लोगों को पलायन करना पड़ा। राष्ट्रपति अशरफ घानी भी पैसे ठूंस ठूंस कर विमान से भागे। १७ के करीब विमान से लटक कर भागे। कई इस चक्कर मे नीचे गिर गए।
अफगान की यह बदली हुई तस्वीर, तालिबान के जबरन कब्जा - इन सबके पूरी दुनिया और विशेषकर भारत के लिए क्या मायने हैं?
तालिबान के क्षेत्र कश्मीर से महज ४०० किमी ही दूर है, ऐसे में सोचनीय जरूर है ,तालिबान जैसे संगठन के बारे में।
तालिबान की शुरुआत १९९४ के लगभग हुई जो दक्षिणी अफगान के काबुल शहर के आसपास उभरा। इसकी भूमिका तब शुरू हो गई थी जिस वक्त अफगान सोवियत संघ के नियंत्रण में था।
१९७९-८९ के बीच अमेरिका का युद्ध सोवियत संघ से था, संघ को हराने के लिए अफगान में कई छोटे मोटे संगठनों को जन्म दिया गया।इन्ही में से एक आतंकी संगठन तालिबान है। सरकार के पतन के बाद अफगान में छिड़े इस गृहयुद्ध में नियंत्रण लेने के लिए तालिबान को मजबूत किया गया।
अमेरिका ,सऊदी अरेबिया जैसे देशों ने तालिबान को समर्थन दिया।
कालांतर में अमेरिका ने ही तालिबान के विरोध किया।और आज जब अफगान को अमेरिका जैसे वीटो पावर राष्ट्र की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो अमेरिका ने अपने सैनिक भी अफगान से वापस बुला लिए। देखते ही देखते मंजर बदल गया। अफगान पूरी तरह तालिबान के नियंत्रण में आ गया। अब यूनाइटेड नैशन्स सचिव ने तालिबान को अफगान में शाशन को लेकर निमंत्रित भी कर दिया है।
ऐसा नही है कि तालिबान, अफगान सेना से ज्यादा शक्तिशाली है।
अफगान सेना में ३ लाख के करीब लोग हैं जिन्हें लगभग २० साल तक अमेरिका ने ट्रेनिंग दी हुई है। जबकि तालिबानी आतंकवादी ८५ हजार से अधिक नही हैं। उन तालिबानियों के पास कोई लड़ाकू विमान भी नही है। अफगान अपनी सेना पर ४५ हजार करोड़ के लगभग खर्च करता है जबकि तालिबान अपने आतंकवादियों पर २०-२२ हजार करोड़।
इसी अफगानी सेना पीठ दिखाते हुए तालिबान के सामना नही किया और नतीजा सबके सामने है।
पिछले १०० दिनों में अफगान ढह गया और तालिबान ने कब्जा कर लिया।
भारत से अच्छे सम्बंध चाहता है तालिबान-
तालिबान के प्रवक्ता ने यह बयान जारी किया है।उसने अफगान के लोगों से कहा कि कहीं भागने की जरूरत नही है। शरिया कानून के हिसाब से लड़कियां पढ़ सकती है। तालिबान ने शरिया के हिसाब से शाशन चलाने की बात कही है।राष्ट्रपति भवन पर कब्जा हो चुका है।अशरफ गनी राष्ट्रपति तजाकिस्तान भाग गए हैं।
१२९ लोग अफगान से भारत विमान द्वारा सुरक्षित आ गए हैं।
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