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श्रावण मास भगवान शिव की आराधना से जुड़ा विशेष काल-जानें :महामृत्युंजय मंत्र जाप की महिमा

वैसे तो चातुर्मास का प्रारंभ भगवान नारायण की हरिशयनी एकादशी से ही प्रारम्भ हो जाता है।मान्यता है कि तीनों लोकों के पालनहार भगवान विष्णु इस समय अपने क्षीरसागर रुपी निज धाम को छोड़कर राजा बलि के साम्राज्य पाताल लोक चले जाते हैं और वहीं विश्राम करते हैं।

 यह कथा भगवान नारायण के वामन अवतार से जुड़ी है, जिसमे भगवान वामन राजा बलि से तीन पग भूमि दान का संकल्प कराकर दो पग भूमि में सारा ब्रह्मांड माप लेते हैं। वचनबद्ध दानवीर राजा बलि जो दैत्य मुकुट मणि भक्त प्रह्लाद के पौत्र हैं, ने भगवान का तीसरा पग अपने सर पर धारण किया।  भगवान ने पाताल लोक का साम्राज्य बलि को दे दिया और प्रसन्न होकर बलि की इच्छानुसार वर्ष के चार महीने उनके पास पाताल लोक आकर विश्राम करने का वचन दिया।

इस चार मास के समय मे ,कहते हैं कि  साक्षात भगवान शिव ही जगत के पालनहार के रूप में इस पावन धरा पर विराजमान होते हैं। श्रावण मास विशेष तः भगवान शिव की आराधना के लिए पवित्रतम व विशेष प्रभावी माना गया है।

कई वर्षों से इसी समय शिव भक्त कांवड़ भी ले जाते रहे हैं।बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए हजारों लाखों श्रद्धालु आते हैं। काशी विश्वनाथ समेत सभी बारह ज्योतिर्लिंगों में जहां भगवान शिव प्रत्यक्ष रूप से प्रगट हुए हैं और ज्योतिपुंज के रूप में विराजमान हैं, वहां भक्तों का तांता लगा रहता है।

श्रावण माह भगवान शिव की आराधाना के लिए समर्पित होता है। ऐसे में आज हम आपको उनके सबसे प्रभावशाली महामृत्युंजय मंत्र के बारे में बता रहे हैं। महामृत्युंजय मंत्र के जाप की विधि क्या है? महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ क्या है? महामृत्युंजय मंत्र के जाप से होने वाले लाभ क्या हैं?

संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

लघु मृत्युंजय मंत्र

ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।

महामृत्‍युंजय मंत्र का अर्थ

इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्‍व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्‍यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।

महामृत्‍युंजय मंत्र जप की विधि

महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप आपको सवा लाख बार करना चाहिए। वहीं, भोलेनाथ के लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार किया जाता है। सावन माह में इस मंत्र का जाप अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है। वैसे आप यदि अन्य माह में इस मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो सोमवार ​प्रदोष शिवरात्रि या शिववास देखकर के इसका प्रारंभ कराना चाहिए, इस मंत्र के जाप में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें  मंत्र का जाप पूर्ण होने के बाद दशांश हवन तर्पण और मार्जन करना चाहिए

महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, सजा का भय, प्रॉपर्टी विवाद, समस्त पापों से मुक्ति आदि जैसे स्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इसके चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।

(संकलन- आचार्य अजय मिश्र जी महाराज- विश्व हिंदू परिषद संचालित समर्थ हनुमान टेकड़ी, सायन, मुम्बई)

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