राकांपा चीफ मराठा चाणक्य शरद पवार की पीएम मोदी के साथ एक घंटे की मुलाकात -क्या बदलेगा महाराष्ट्र में सत्ता समीकरण?
कल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राकांपा प्रमुख व महाराष्ट्र की सत्तासीन महाविकास अघाड़ी सरकार के सूत्रधार शरद पवार की मीटिंग लगभग ५० मिनट तक चली।
राज्य के उपमुख्यमंत्री भतीजे अजित पवार ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट में नए सहकारिता मंत्रालय व सहकारी बैंकों के विषय मे ही इस मीटिंग में चर्चा हुई है।
सवाल यह उठता है कि क्या वाकई ५० मिनट की इस विस्तार पूर्वक हुई मीटिंग में सिर्फ सहकारिता मंत्रालय पर ही चर्चा हुई होगी। शरद पवार महाराष्ट्र ही नही ,पूरे देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं। उनके मष्तिष्क को पढ़ना मकड़ी के जाल जैसा है। वह जो नही कहते, उसे जरूर करते हैं।
संशय के पीछे पृष्ठभूमि भी है।
बीते दिनों भाजपा विधायक अधिवक्ता आशीष सेलार की मीटिंग शिवसेना प्रवक्ता व राज्यसभा सदस्य संजय राउत से फाइव स्टार होटल में गुपचुप मीटिंग हुई थी, जिसके बारे में किसी को कुछ नही बताया गया। संजय राउत ,पार्टी मुखपत्र सामना के संपादक भी हैं। आज यदि मुख्यमंत्री ठाकरे के बेहद करीब किसी का होना यदि तय किया जाए तो निश्चित रूप से संजय राउत का ही नाम सबसे ऊपर है।
(संजय राउत- आशीष शेलार)
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बयान दिया कि शिवसेना- भाजपा दुश्मन नही हैं। उनका यह बयान राजनीतिक हलचल को हवा देने के लिए काफी है।
दरअसल गत दिनों महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेसी नाना पटोले के बयान से अन्य दोनों दल परेशान हैं। नाना पटोले ने कहा था कि उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। उनके काम की जासूसी हो रही है। हालांकि बाद में राकांपा प्रवक्ता व राज्य कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि महत्वपूर्ण पदों पर आसीन नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है, शायद नाना पटोले इन नियमो से अनजान हैं।
(कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले)
नाना पटोले के इन असन्तोषी विरोधी सुरों से अन्य दोनों दल परेशान हैं और किसी अन्य दल के साथ की तलाश में हैं। इधर भाजपा शुरू से तोड़ मरोड़ की राजनीति में लगी हुई है।
हाल ही में कांग्रेस ने यह भी बयान दे दिया कि आगामी महानगरपालिका चुनाव वह अकेले लड़ेगी। नाना ने तो यह भी कह दिया कि आगामी राज्य के विधानसभा २०२४ चुनाव भी कांग्रेस अकेले लड़ेगी। नाना ने यह भी कह दिया कि कांग्रेस चुप नही रहेगी, हम साइलेंट पार्टनर बनकर नही रह सकते। हमारे साथ विश्वासघात हो रहा है। हफ्ते भर पहले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पूर्व मुम्बई अध्यक्ष व गृहराज्यमंत्री रह चुके कृपाशंकर सिंह के भाजपा के खेमे में आ जाने से भी कांग्रेस काफी बेचैन है।
राज्य में ऐसे राजनयिक माहौल के चलते दिग्गज शरद पवार - पी एम मोदी के बीच हुई मीटिंग को राज्य में संभावित बड़े फेरबदल के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि दो दिन बाद ही संसद का मानसून सत्र भी शुरू हो रहा है।
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