0 नीतीश कुमार ने रचा इतिहास / लगातार चौथी बार ली बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ/ बीजेपी कोटे से तारकिशोर प्रसाद और पांच बार की विधायिका रेणु देवी ने ली उप मुख्यमंत्री पद की शपथ/ समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ,भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,बिहार चुनाव प्रभारी व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत कई दिग्गज रहे मौजूद/ कुल १५ विधायको ने ली मंत्री पद की शपथ/ - Khabre Mumbai

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नीतीश कुमार ने रचा इतिहास / लगातार चौथी बार ली बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ/ बीजेपी कोटे से तारकिशोर प्रसाद और पांच बार की विधायिका रेणु देवी ने ली उप मुख्यमंत्री पद की शपथ/ समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ,भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,बिहार चुनाव प्रभारी व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत कई दिग्गज रहे मौजूद/ कुल १५ विधायको ने ली मंत्री पद की शपथ/

बिहार में हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद जनता दल यूनाइटेड जो एनडीए दल का बड़ा हिस्सा है, उसे भले ही भाजपा से 31 सीटे कम मिली हों, भाजपा को जहां 74 सीटे मिली वही जदयू को 43 पर संतोष करना पड़ा, लेकिन भाजपा ने नीतीश के नाम पर ही मुहर लगाई। हालांकि नीतीश ने साफ कह दिया था कि वह मुख्यमंत्री की रेस में नही हैं और जो एनडीए तय करेगा वही मान्य होगा। 


आज ४.३० बजे शाम पटना में हुए  शपथग्रहण समारोह में नीतीश कुमार ने लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। जबकि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी इस बार वंचित रह गए हैं। नीतीश को राज्यपाल फागु चौहान ने शपथ दिलाई।

बता दें कि २४३ सीटों वाली विधानसभा में एन डी ए को १२५ सीटे मिली जबकि विरोधी दल को ११० सीटें मिली थी। कांग्रेस को सिर्फ १९ सीटें मिली जबकि लालू यादव के सुपुत्र तेजस्वी यादव के नेतृत्व में  राष्ट्रीय जनता दल को 75 सीटों के साथ राज्य में सबसे बड़े दल के रूप में नई पहचान भी मिली है।

इस बार भाजपा कोटे से  दो  लोग उपमुख्यमंत्री बने हैं।
तारकिशोर प्रसाद कटिहार से तीसरी बार लगातार विधायक बने हैं।इस बार लगभग 10 हजार के अंतर से राजद के राम प्रकाश महतो को हराया है। 64 वर्षीय तारकिशोर सहरसा जिले के तहलखा ग्राम के मूल निवासी हैं।उनके पिता कपड़े की दुकान चलाते हैं। बारहवीं पास तारकिशोर प्रसाद को मेडिकल स्टोर चलाने का अनुभव भी रहा है और वह पूर्व में बिहार राज्य चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष भी रहे हैं। प्रसाद कलवार समाज से आते हैं जिसे राज्य में पिछड़े वर्ग का दर्जा मिला हुआ है।

(तारकिशोर प्रसाद, रेणु देवी- उपमुख्यमंत्री)

रेणु देवी को भी उपमुख्यमंत्री पद दिया गया है ।वह ५ वी बार विधायिका बनी हैं। १२ वी पास रेणु देवी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महिला इकाई दुर्गा वाहिनी की सक्रिय सदस्य भी रही हैं।बेतिया क्षेत्र से पांचवी बार जीतने और राजनीति में खासा अनुभव होने के चलते भाजपा ने उन्हें बिहार में पहली महिला उपमुख्यमंत्री का तमगा दे दिया है।
वह पहले नीतीश कैबिनेट में कला एवं संस्कृति मंत्रालय संभाल चुकी हैं।62 वर्षीय रेणु 1988 से ही सक्रिय राजनीति में रही हैं और उनके ननिहाल में भी भाजपा का प्रभाव रहा है।
रेणु देवी नोनिया जाति की अतिपिछड़े समाज से आती हैं। 

इसके अलावा मंगल पांडेय(विधान परिषद सदस्य, कद्दावर भाजपा नेता, 1987 से ही भाजपा से संबंध, 2005 में  बिहार भाजपा  के महासचिव , 2012 में विधान परिषद सदस्य) ,अमरेंद्र प्रताप सिंह(आरा से चौथी बार विधायक), 
जीवेश मिश्र (दूसरी बार  दरभंगा के जाले से विधायक, जिन्ना वाले मक़सूर उस्मानी को हराया, मक़सूर उस्मानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं। उस्मानी पर अपने कार्यालय में जिन्ना की तस्वीर लगाने का आरोप लगा था।) ,
 रामसूरत राय  ( औराई विधायक, प्रतिद्वंदी आफताब आलम को 45 हजार के अंतर से हराया)  इन सभी ने आज शपथ ली है।रामसूरत यादव बिरादरी से आते हैं। 
जदयू के ६ लोगो को आज कैबिनेट में जगह मिली है।
सुशील मोदी पर चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस( महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री) ने कहा है कि सुशील मोदी उनके लिए वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं। भाजपा उनके बारे में भी जरूर सोच रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सुशील मोदी को केंद्रीय स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

सुशील ने स्वयं ही ट्वीटर एकाउंट से उपमुख्यमंत्री पद का टैग निकाल दिया था और कहा था कि भाजपा ने ४०वर्षो से उनका बहुत सम्मान किया है और आगे भी जो जिम्मेदारी मिलेगी उसे वह सहर्ष स्वीकार करेंगे।

नीतीश कुमार पहली बार वर्ष २०००में मुख्यमंत्री बने थे पर एक हफ्ते के बाद सरकार गिर गई थी। विश्वास मत न मिल सका और वाजपेयी सरकार में उन्हें मंत्री बनकर लौटना पड़ा था।
बहरहाल , नीतीश ने सर्वाधिक  वक्त तक मुख्यमंत्री रहे श्रीकृष्ण सिंह का रिकॉर्ड तोड़ दिया है जो  १९६१ में अपने देहांत तक इस पद और बने रहे। नीतीश को २०१४-१५ में जीतन राम मांझी की वजह से मुख्यमंत्री पद से दूर होना पड़ा था।

इस बार चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी एक महीने के बीच ४ बार आए और नीतीश के साथ मंच भी साझा किया था। भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिए शुरू से ही नीतीश के नाम पर मुहर लगा चुकी थी। भाजपा समेत एनडीए को सरकार बनाने के लिए जरूरी १२२ सीटों के बजाय तीन सीटें और मिली और सरकार बनाने के लिए स्थिर जनादेश मिला।




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