आज के दिन ही गांधी के हत्यारे नाथूराम को हुई थी फांसी/ राज्यसभा सदस्य और प्रख्यात वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने संसद में गांधी हत्या पर चर्चा कराने की दी अपील/
जगजाहिर है कि महात्मा गांधी ने जितने आंदोलन किए जैसे चंपारण सत्याग्रह, नमक कानून भंग आंदोलन, सविनय अवज्ञा, असहयोग आंदोलन, अंग्रेज़ो भारत छोड़ो ,साइमन वापस जाओ जैसे कई आंदोलन के नेतृत्व महात्मा गांधी के नाम रहे हैं।
गोलमेज सम्मेलन में उनका हिस्सा लेना, भारत की स्वतंत्रता की बात रखना और सबसे अहम स्वदेशी आंदोलन सरीखे कदम भी गाँधीजी की अगुवाई में उठे। फिर ऐसा क्या हुआ कि जिन्ना और नेहरू के बीच समझौते के स्वरूप में भारत माँ के दो टुकड़े हों गए और पाकिस्तान स्थापित हुआ।
आज धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में संवैधानिक तौर पर भारत मे सभी धर्म के लोगों को समान रूप से रहने की आजादी है लेकिन पाकिस्तान में ऐसा नही है।
वहां रह रहे गैर मुस्लिम धर्मावलंबियों पर हो रहे अत्याचार के कई समाचार अक्सर पढ़ने को मिल ही जाते हैं।
नाथूराम गोडसे जिसने महात्मा को 30 जनवरी 1948 के दिन गोली मारी थी, जिसके बाद गिरफ्तारी हुई और नाथूराम के भाई गोपाल को भी सह अभियुक्त के नाते गिरफ्तार किया गया।
हालांकि गोपाल गोडसे को फांसी नही मिली। गोपाल की पुस्तक 'गांधी वध क्यों' में बहुत से कारण गिनाए हैं कि किन परिस्थितियों में नाथूराम ने गांधी जी को मारा। नाथूराम गोडसे ने मोहनदास करमचंद गांधी को सीने में तीन गोलियाँ दागी थीं। वह गाँधीजी को राष्ट्र विभाजन और हजारो लाखों हिंदुओ के नरसंहार का जिम्मेदार मानते थे।
नाथूराम हिन्दुस्तान के बँटवारे का कारण महात्मा गांधी को मानते थे।
वक्त था नाथूराम के संपादन के अखबार हिन्दू राष्ट्र के पुणे कार्यालय के उदघाटन का - 1 नवम्बर 1947 के दिन।
इस कार्यक्रम में पुणे के दिग्गज लोग भी आए थे। शाम के इस समारोह में नाथूराम ने गरजते हुए गांधी को भारत विभाजन का दोषी करार दिया। नाथूराम ने कहा कि अगर गाँधी चाहते तो विभाजन नही होता। आखिर कब तक कोई चुप रहेगा। वे लोग मातृभूमि की बोटियाँ नोच रहे हैं।
नाथूराम का जन्म 1910 में बारामती,महाराष्ट्र के एक कस्बे में हुआ था।
(दैनिक हिन्दू राष्ट्र की एक प्रति- प्रकाशन दिनांक- ४ नवम्बर १९४७)
आज इस धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में जब अफजल गुरु जैसे आतंकी की भी बरसी मनाने वाला एक समाज है तो फिर नाथूराम गोडसे जैसे अनुभवी शिक्षित लोगों की विचारधारा का समर्थन करनील संस्थाओं, समुदाय पर आश्चर्य नही किया जाना चाहिए।
आश्चर्य तो तब हुआ जब गांधी जी को गोली मारने के बाद उन्हें वही कुछ अशिक्षित लोगों द्वारा वही मरता छोड़ दिया गया था पर उन्हें कोई अस्पताल नही ले गया । आमतौर पर गोली, या किसी आत्मघाती घटना से आहत पीड़ित को अस्पताल ले जाया जाता है, ताकि इलाज त्वरित हो या डॉक्टर उसे आन अराइवल अथवा डेथ बिफोर एडमिशन घोषित कर देते हैं। पर महात्मा गाँधी के मामले में ऐसा कुछ नही हुआ ।
बहरहाल, प्रतिष्ठित भाजपा नेता, राज्यसभा सदस्य और प्रख्यात अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने संसद में महात्मा गांधी हत्याकांड पर चर्चा कराने की अपील की है ताकि देश के सामने उन अनछुए पहलुओं ओर चर्चा हो, सभी को सच्चाई पता चल सके कि महात्मा गांधी हत्याकांड के पीछे असली वजह क्या थी।
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