0 शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की आज पुण्यतिथि, 2012 में हृदयाघात से हुआ था ८६ वर्ष की आयु में निधन/ - Khabre Mumbai

Breaking News

शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की आज पुण्यतिथि, 2012 में हृदयाघात से हुआ था ८६ वर्ष की आयु में निधन/

भारतीय राजनीति में यदि महाराष्ट्र के मराठा शेर कहे जानेवाले बाळ केशव ठाकरे का नाम आते ही पूरा महाराष्ट्र मानस पटल पर अंकित हो उठता है।
1947 के दिनों में बतौर कार्टूनिस्ट फ्री प्रेस जर्नल में कार्यरत बाळ ठाकरे और उनके मित्र कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण की बेमिसाल दोस्ती सभी जानते हैं।
देखते ही देखते 1966 में अपनी कुशल क्षमता के दम पर मराठा समाज को जोड़ा और शिवसेना की स्थापना कर दी।  १९६० में उन्होंने फ्री प्रेस की नौकरी छोड़ दी और साप्ताहिक मार्मिक का प्रकाशन किया। उन्होंने मराठी दैनिक सामना भी स्थापित किया।बाळ ठाकरे लाखों लोगों के लिए बाळासाहेब हो गए थे। यह वह पहले शख्सियत रहे जिनके कहने पर बिना किसी प्रशाशनिक नोटिस के मुम्बई बंद हो जाती थी।

अपनी स्वतंत्र और निर्भीक विचारों के चलते विवादों में भी रहे। चाहे, अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले का साया हो ,जिस पर बाळासाहेब ने कहा कि यदि अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं के साथ कुछ गलत हुआ तो मुंबई से हज के लिए एक भी फ्लाइट नही उड़ने दी जाएगी। विवादित बाबरी मस्जिद ढहाए जाने पर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया था कि शिवसैनिकों ने यह काम किया है और उन्हें इस बात का गर्व है।

बाळासाहेब का फिल्मी दुनिया से भी गहरा सम्बंध रहा है। संजय दत्त के टाडा मामले में उन्होंने हर संभव मदद की जब संजय के पिता सुनील दत्त कांग्रेस के सांसद और केंद्रीय मंत्री होते हुए भी मजबूर हो गए थे।
बाळासाहेब और दिलीप कुमार उर्फ यूसुफ खान की मित्रता के बारे में सभी जानते हैं।खुद ठाकरे ने एक साक्षात्कार में कहा था कि दिलीप साहब अक्सर मेरे साथ शाम का वक्त बिताते थे पर इन दिनों न जाने वह क्यों दूर हो गए हैं।

राजनीतिक पार्टी के संस्थापक होने के बावजूद अपने व्यस्त समय से फुर्सत निकालकर बाळासाहेब पुणे में अपने सहकर्मी मित्र आर के लक्ष्मण से मिलने चले जाते थे।

बाळासाहेब के पिता केशव ठाकरे समजसेवक थे। 1950 के समय मुंबई को देश की राजधानी बनाने और संयुक्त महाराष्ट्र के लिए उन्होंने काफी प्रयास किए। आज मुम्बई ,देश की राजधानी भले ही न बन सकी हो पर आर्थिक राजधानी जरूर है।

राकांपा प्रमुख सुप्रीमो शरद पवार और साहब की दोस्ती कभी राजनीतिक मतभेदों के बीच नही आई। बाळासाहेब ने अपने व्यक्तिगत सम्बंध को राजनीति की भेंट नही चढ़ने दी। लेकिन दोस्ती के दबाव में अपने सिद्धान्तों से भी कभी समझौता नही किया।

गर्व से कहो हम हिन्दू हैं, जय महाराष्ट्र जैसे जोशीले अन्दाज ने बाळासाहेब की शिवसेना को महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित कर दिया। 19 जून 1966 को शिवसेना की स्थापना बाळासाहेब ने की थी और नाम  सत्रहवीं सदी के मराठा शाशक व हिंदुओं के आराध्यदेव  छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर  रखा गया था। ट्रेड यूनियन चीफ माधव म्हरे, वरिष्ठ नेता  बाळासाहेब पुरंदरे, चार्टर्ड आर्किटेक्ट  माधव गजानन सरीखे लोगों ने भी शिवसेना जॉइन कर ली थी।

पिछले 25 वर्षो से अधिक समय से मुम्बई महानगरपालिका पर शिवसेना की सत्ता रही। मनोहर जोशी सरीखे वरिष्ठ नेता महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से लेकर लोकसभा अध्यक्ष तक का सफर बाळासाहेब के मार्गदर्शन में ही हासिल किया। 

यह अलग बात है कि बाळासाहेब ने खुद कभी चुनाव नही लड़ा पर उनके मार्गदर्शन और सुझाव पर महाराष्ट्र में नारायण राणे, शरद पवार, आनंद दिघे, एकनाथ शिंदे, छगन भुजबल जैसे नेता न केवल चुनाव लड़े बल्कि जीते भी। १९९२ के मुम्बई दंगो के बाद शिवसेना ने भाजपा से गठबंधन किया और १९९५ में भाजपा शिवसेना की गठबंधन सरकार बनी थी। यह सरकार१९९९ तक चली और बाळासाहेब इस सरकार के रिमोट कंट्रोल माने जाते रहे। वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी इस सरकार में मुख्यमंत्री बने थे।

बाळासाहेब का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार शिवाजी पार्क में किया गया था और ३ दिनों तक मुम्बई समेत महाराष्ट्र पूरी तरह ठप पड़ गया था।  

यह कहना बिल्कुल गलत नही होगा कि उन्होंने कोई आधिकारिक पद ग्रहण नही किया और न ही लोकतांत्रिक चुनाव में हिस्सा लिया फिर भी बिना इनकी राय लिए महाराष्ट्र में महत्त्वपूर्ण निर्णय नही लिए जाते थे।

आज इन्ही बाळासाहेब के बेटे उद्धव ठाकरे राज्य में मुख्यमंत्री हैं। बाळासाहेब के भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर  अपने समर्थकों के साथ २००६ में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पार्टी बना ली थी।


No comments