सर्वोच्च न्यायालय ने दी अर्नब को अंतरिम जमानत/ राज्य सरकार को कड़ी फटकार/ मुम्बई उच्च न्यायालय पर भी उठाई उंगली/ तलोजा पुलिस को तुरंत रिहाई के दिये आदेश/ तलोजा मध्यवर्ती कारागृह के बाहर सैकड़ो का जनसमर्थन / भारी पुलिस बल के बीच हुई अर्नब की रिहाई/ अर्नब ने लगाए नारे -भारत माता की जय ! वंदे मातरम !! माना सर्वोच्च न्यायालय का आभार।
आज सुबह लगभग 10.40के लगभग शुरू हुई सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में दो वरिष्ठ न्यायाधीशों जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और श्रीमती इंद्राणी बैनर्जी की अगुवाई में विस्तृत चर्चा हुई।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पीड़ित पक्ष के और महाराष्ट्र राज्य सरकार के वकील वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल, व अर्नब के वकील वरिष्ठ हरीश साल्वे के समक्ष कई बातें रखी।
जैसे 83 लाख के बकाए में अर्नब द्वारा आंशिक राशि पहले ही दिया जाना, अर्नब का रिश्ता सीधे तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए साबित न होना इत्यादि। माननीय न्यायाधीश ने कहा कि क्या बकाया राशि किसी की आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित हो सकते हैं?
मृत अन्वय नाइक की कम्पनी कॉनकॉर्ड पिछले 7 सालों से वित्तीय संकट की समस्या से जूझ रही थी।
यदि अन्वय ने आत्महत्या की तो उनकी माँ के मरने के पीछे क्या वजह है। श्री चंद्रचूड़ ने कहा कि पुलिस एफआईआर 59/2018 में कहा गया है कि अन्वय मानसिक प्रताड़ना से पीड़ित थे। तब यह कैसे कह सकते हैं कि उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया गया।
जस्टिस ने कहा कि उन्होंने मुम्बई उच्च न्यायालय द्वारा दिये 56 पेज के नोट को पढ़ा पर इसमें बेसिक बातों को नही रखा गया।
हरीश साल्वे ने बताया कि किस तरह अर्नब की गिरफ्तारी असंवैधानिक तरीके से हुई है। 2018 के अन्वय नाइक आत्महत्या मामले में अर्नब को सबूतों के अभाव में अलीबाग कोर्ट द्वारा बाइज्जत बरी कर दिया था।हरीश साल्वे ने कहा कि पीड़ित परिवार पिछले दो वर्ष तक क्यों चुप था।
सुप्रीम कोर्ट को यह बताया गया कि किस तरह अर्नब पर केस पर केस हो रहे हैं। बिना न्यायालय के आदेश के राज्य गृहमंत्री के द्वारा राज्य के डीजीपी को इस केस में जांच के आदेश देना, केस की जांच फिर से शुरू करना, अर्नब को कोई नोटिस न दिया जाना यह संवैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत नही आता।
कोर्ट में न्यायाधीश ने राज्य सरकार को कहा कि यदि आपको चैनल नही पसंद है तो मत देखिए।
वह भी रिपब्लिक टीवी कभी नही देखते।
आप रिपब्लिक टीवी पर दिए जाने वाले तानों को नजरअंदाज कर दीजिए। किसी नागरिक की अभिव्यक्ति की आजादी पर आप अंकुश नही लगा सकते।
उन्होंने चेताया कि राज्य सरकारें राजनीति से प्रेरित होकर नागरिक के अधिकार न छीने।
न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि आज हम इस मामले में कुछ नही कर पाते तो निश्चित ही हम विनाश की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
जस्टिस ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय आज कल अंतरिम जमानत नही देते हैं ,वह यह न भूलें की नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय मौजूद है।
सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि अंतरिम जमानत दिया जाना चाहिए था। इस मामले में पुलिस कस्टडी की मांग , कस्टोडियाल पूछताछ की मांग ही नही बन रही थी।
जस्टिस ने यह भी कहा कि दोषी व्यक्ति सबूतों से छेड़छाड़ नही करेंगे।अर्नब समेत अन्य दो को 50 हजार के बांड पर अंतरिम जमानत दे दी गई ।
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