नही देना होगा २ करोड़ तक कर्ज के ब्याज़ पर ब्याज- मोरेटोरियम के समय मे न चुकाए गए कर्ज पर केंद्र सरकार से बड़ी राहत/ सर्वोच्च न्यायालय में दिया हलफनामा/ कल आएगा अंतिम फैसला
मार्च महीने में हुए देशव्यापी लॉक डाउन के बाद से अब तक हुए सितम्बर महीने तक लोन मोरेटोरियम की अवधि में ई एम आई न चुकाने की राहत लोगों को रिजर्व बैंक गवर्नर द्वारा दी गई थी।
हालांकि इस अवधि में लगनेवाली मासिक हफ्ते में जिसमे मूल कर्ज राशि के कुछ प्रतिशत के अलावा ब्याज का भी हिस्सा लगा होता है जिसे प्रति महीना बैंक को चुकाना पड़ता है। इस ब्याज पर भी ब्याज लिए जाने यानी चक्रवृद्धि ब्याज देने की बात भी तय मानी जा रही थी।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप किये जाने के बाद पीठासीन न्यायमूर्तियों ने केंद्र को फटकार लगाई थी। न्यायालय ने कहा कि आप कारोबारी की तरह रिजर्व बैंक की पीठ पीछे नही खड़े रह सकते है।महामारी प्रबंधन कानून के तहत केंद्र सरकार को यह स्वतंत्रता है वह जनहित में फैसले ले सके।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितम्बर तक का समय दिया ताकि केंद्र अपना रुख ब्याज माफी पर स्पष्ट कर हलफनामा दायर करे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला 5 अक्टूबर को सुनाने का फैसला किया ।
शुक्रवार को केंद्र वित्त मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर यह स्पष्ट किया गया कि केंद्र सरकार छोटे कर्जदारों की मदद करना चाहती है और उनके द्वारा लिए 2 करोड़ तक के कर्ज के ब्याज पर लगने जा रहे ब्याज यानी चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करना चाहती है। इस प्रकार केंद्र ने पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड, ऑटो लोन, अफोर्डेबल होम लोन( 45 लाख से कम के होम लोन) एमएसएमई लोन आदि में 2 करोड़ तक के लोन पर यह चक्रवृद्धि ब्याज न देने का फायदा मिलेगा।
बैंकों में कुल लोन का लगभग 40 प्रतिशत तक हिस्सा इन छोटे कर्जदारों का इस केटेगरी में समावेश है। इस प्रकार इस राहत से लगभग 5 हजार से 7 हजार करोड़ तक का नुकसान सरकार को सहन पड़ेगा। इस राहत से लगभग 6 करोड़ ग्राहकों यानी कर्जदारों को लाभ मिल सकेगा।
यह हलफनामा पूर्व कैग (कम्पट्रोलर एवम ऑडिटर जनरल) राजीव महृषि की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय एक्सपर्ट कमिटी की सलाह के अनुसार ही है।इस कमिटी में रविन्द्र ढोलकिया( पूर्व रिजर्व बैंक मोनेटरी पॉलिसी कमिटी सदस्य),बी. श्रीराम( पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर-स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) भी शामिल हैं।
(राजीव महृषि- पूर्व कैग, मोरेटोरियम एक्सपर्ट कमिटी हेड)
सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में अपना अंतिम फैसला कल 5 अक्टूबर को देने जा रही है।
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