ठाकरे सरकार द्वारा महिलाओं को नॉन पीक समय मे मुम्बई लोकल में यात्रा निर्देश को केंद्रीय रेलवे बोर्ड की मंजूरी नही। भीड़ नियंत्रण न हों सकने का पश्चिम रेलवे ने दिया हवाला। राज्य सरकार के अनुरोध को भेजा गया है रेल बोर्ड।
रेल अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन के सचिव निम्बालकर द्वारा महाप्रबंधक पश्चिम एयर मध्य रेलवे मुम्बई को निर्देशित पत्र के अनुसार रेलवे अभी महिलाओं को यात्रा की इजाजत नही दे सकती।
अधिकारियों का कहना है कि ऐसे प्रस्ताव अमल में लाने से पहले उस पर पूर्व तैयारी, भीड़ नियंत्रण के उपाय पर पूर्व योजना होना जरूरी है। राज्य सरकार से इन विषयों पर चर्चा नही हुई।
मुंबई में लगभग 80 लाख लोग( कोविड से पहले) लोकल से सफर करते हैं । महिलाओं की संख्या इस 80 लाख का 30 प्रतिशत यानी 24 लाख है जो लोकल से यात्रा करती हैं।
रेलवे का मानना है कि उन्हें यात्रा करनेवाली एक अंदाज महिलाओं की संख्या का पता होना जरूरी है, ताकि अतिरिक्त सेवाएं कितनी देनी होंगी, भीड़ नियंत्रित करने के लिए कितने कर्मचारी बढ़ाने होंगे, इस पर काम किया जा सके।
ऐसे में इतनी भीड़ का नियंत्रित होना, वैध टिकट की जांच ,सामाजिक दूरी का पालन हो पाना बेहद मुश्किल है। इस पर उचित योजना बनाने की आवश्यकता है।
राज्य सरकार ने पहले मेट्रो रेल 15 अक्टूबर से शुरू कर दिया वह भी अचानक लिया गया फैसला था।
राज्य सरकार के अनुसार, लोकल में महिकाओं को अनुमति मिलने के लिए उच्च स्तरीय मीटिंग हुई जिसमें सचिव संजय कुमार, पश्चिम और मध्य रेल के विभागीय रेल प्रबंधक , कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे,इसके बाद यह फैसला लिया गया था।
हालांकि रेलवे का कहना है कि जिस अधिकारी ने वेस्टर्न रेलवे के लेटर पर हस्ताक्षर किए वह किसी मीटिंग में मौजूद ही नही थे।
बहरहाल, रेल विभाग ने राज्य सरकार के अनुरोध को केंद्रीय रेल बोर्ड के पास भेज दिया है। बोर्ड की मंजूरी मिलने के बाद ही महिलाओं को यात्रा करने की अनुमति पर निश्चित तारीख का फैसला किया जाएगा।
फिलहाल, केंद्रीय, राज्य सरकार के कर्मचारी, सरकारी कम्पनियों के लोग, स्वास्थ्य और अत्यवश्यक सेवा से जुड़े कर्मचारी, सरकारी और निजी बैंक के कर्मचारी, को आप बैंक कर्मचारी आदि लोकल से यात्रा कर रहे हैं।अब तक लगभग 4.5 लाख रोजाना लोकल से यात्रा कर रहे हैं।
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