फर्जी टीआरपी मामला अर्णब गोस्वामी ने 200 करोड़ की मानहानि का केस पुलिस आयुक्त पर करने की किया ऐलान/ पुलिस आयुक्त ने आर्थिक अपराध शाखा को रिपब्लिक टीवी संपत्ति जांच का दिया आदेश। मुंबई उच्च न्यायालय ने अर्नब को सरकारी जांच में सहयोग करने का दिया आदेश
बीते कुछ दिनों से फर्जी टीआरपी यानी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट मामले में सरगर्मी से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कुछ दिनों पहले मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुछ टीवी चैनलों के नाम और एक एंटरटेनमेंट चैनल का नाम लिया था जिनका नाम फर्जी टीआरपी से जुड़ा हुआ है। जिसमें उन्होंने रिपब्लिक टीवी का भी नाम लिया था , हालांकि बाद में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी ने टीआरपी के लिए नियुक्त रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल द्वारा मुम्बई पुलिस को दिए शिकायत पत्र में रिपब्लिक टीवी का नाम नही है यह दिखाया था।उन्होंने एजेंसी की लेटर कॉपी अपने शो में दिखाई थी। बाद में पुलिस द्वारा कार्यकारी संपादक, सीएफओ (मुख्य वित्तीय अधिकारी) को समन जारी कर बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया था।
अर्नब ने रिपब्लिक टीवी को बदनाम करने, झूठे तरीके से टीआरपी मामले में फंसाने को लेकर मुम्बई पुलिस आयुक्त पर 200 करोड़ के मानहानि का दावा न्यायालय में करने का ऐलान किया है।
अब मामले में नया मोड़ यह है कि आयुक्त ने आर्थिक अपराध शाखा( ईओडब्ल्यू) को रिपब्लिक की संपत्ति जांच के आदेश दे दिये हैं।
मुम्बई उच्च न्यायालय ने अर्नब गोस्वामी को सरकारी जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि कांग्रेस के बड़े मंत्री ने यह तक बयान दे दिया था कि अर्नब गोस्वामी का दिमागी संतुलन बिगड़ गया है, वह सुसाइड भी कर सकते हैं। स्टिंग आपरेशन कर अर्नब गोस्वामी ने अपने चैनल पर बताया था कि कांग्रेस द्वारा गठित टीम अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी को फंसाने के लिए काम कर रही है।
मुम्बई पुलिस ने रेटिंग एजेंसी की शिकायत के बाद अभियुक्त चैनलो पर विभिन्न धाराओं 409, 420, 120(बी), 34 धाराएं लगी हैं। अब इनमें नई धाराएं 174, 179, 201,204 भी जोड़ दी गई हैं।
पांच टीवी चैनलो पर फेक टीआरपी का मामला दर्ज है, जिसके पिछले पांच साल के बैंक खातों की जांच मुम्बई पुलिस की क्राइम ब्रांच इनटेलीजेंस यूनिट करेगी। अब तक इस मामले में 8 लोगो की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
रिपब्लिक टीवी के कई पदाधिकारियों से इस मामले में पूछताछ की गई है। गुरुवार को रिपब्लिक के डिस्ट्रीब्यूशन हेड घनस्याम सिंह, कार्यकारी संपादक निरंजन स्वामी से पूछताछ हुई।
सी आई यू ने स्वामी से हंसा रिपोर्ट के बारे में पूछा जो रिपब्लिक चैनल पर दिखाया गया था। हंसा रिपोर्ट की कापी मांगने पर निरंजन स्वामी ने जो प्रति दी उसमे किसे लिखा गया और कब लिखा गया था इसकी जानकारी नही उपलब्ध थी। इसलिए सी आई यु ने फिर से रिपोर्ट मांगी है। इसी के साथ पूछताछ के लिए फिर बुलाया गया है। रिपब्लिक के सी एफ ओ से भी पूछताछ की गई है।
बार्क एजेंसी की शिकायत के बाद 8 अक्टूबर को पुल्स आयुक्त परमबीर सिंह ने प्रेस वार्ता के जरिये जिन चैनलो के इस फर्जी टीआरपी में शामिल होने की बात कही वे फक्त मराठी, रिपब्लिक चैनल, बॉक्स सिनेमा(एंटरटेनमेंट ) हैं। तीन दिन पूर्व वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सचिन वजे की टीम द्वारा दिनेश विश्वकर्मा,रामजी वर्मा की गिरफ्तारी के बाद दो अन्य चैनल का नाम भी इस केस में आ गया है जिनमे एक हिंदी न्यूज चैनल और दूसरा एक म्यूजिक चैनल है।
टीआरपी मामला यह है कि इसमें कुछ चैनलो पर आरोप है कि उन्होंने कुछ दर्शकों के घर मीटर लगाए थे , उन्हें उनका चैनल देखने के एवज में घंटे के हिसाब से पैसे मिलते थे। रेटिंग बढ़ने से चैनलो को विज्ञापन अधिक मिलते है, और उससे चैनलो की कमाई होती है। बार्क एजेंसी द्वारा शिकायत के अनुसार आरोपी चैनलो ने फर्जी तरीके से दर्शकों को पैसे देकर अपनी व्यूअर संख्या दिखाकर रेटिंग बढ़वाई है।
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