श्रमिक एक्सप्रेस निकली वसई से ,जाना था उत्तर प्रदेश के गोरखपुर , पहुंची ओडिशा। भारतीय रेल प्रशाशन की बड़ी लापरवाही
वसई से गोरखपुर के लिए निकली ट्रेन पहुंच गई ओडिशा, गलती किसकी, पता करने में जुटी रेलवे।
राउरकेला : दो महीने से लॉकडाउन खत्म होने की राह देख रहे प्रवासी मजदूरों के लिए इंतजार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है।
कुछ खुशकिस्त थे जो पैदल, बसों, ट्रकों या अन्य माध्यमों से अपने घर तक पहुंच गए।
मजदूरों की दुर्दशा पर तरस खाकर सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने की सोची। इससे शहरों में फंसे श्रमिकों में आस जगी और उन्होंने राहत की सांस ली कि अब सही सलामत अपने घर पहुंच जाएंगे। श्रमिक एक्सप्रेस मो हो रही दुर्दशा से यात्री परेशान हैं।
खाने पीने की कोई सुविधा नही है कितने ही ट्रेनो में। गत दिनों एक ट्रेन भुसावल के आगे एक छोटे स्टेशन पर 9 घंटे से ज्यादा खड़ी रह गई।सुबह 7 बजे के बाद यह ट्रेन शाम के 5 तक खड़ी रह गई। यात्री परेशान हो उठे।बच्चे दूध और पानी के लिए तरसते रहे।
एक और अन्य वाकया वसई से निकली जुंपिर वाली श्रमिक एक्सप्रेस का हुआ जब ट्रेन मानिकपुर स्टेशन पर 7 घंटे से ज्यादा खड़ी रह गई। यात्री परेशान रह गए।
लेकिन लापरवाही की हद तो तब हो गई जब मुंबई से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जाने के लिए निकली ट्रेन ओडिशा पहुंच गई. मुंबई से ट्रेन में बैठे लोग जब आज सुबह उठकर घर जाने के लिए तैयार हुए तो उन्होंने खुद को गोरखपुर नहीं, बल्कि ओडिशा में पाया.
21 मई को मुंबई के वसई स्टेशन से गोरखपुर (यूपी) के लिए रवाना हुई ट्रेन अलग मार्ग पर चलते हुए ओडिशा के राउरकेला पहुंच गई।नाराज यात्रियों ने जब रेलवे से इसका जवाब मांगा तो वहां मौजूद अधिकारियों ने कहा कि कुछ गड़बड़ी के चलते ट्रेन के चालक ने अपना रास्ता खो दिया।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस पूरे मामले में रेल चालक की कोई गलती नहीं है।गंतव्य में परिवर्तन किया गया था.
हालांकि ये सवाल अभी बरकरार है कि रेल में यात्रा कर रहे यात्रियों को रूट में बदलाव को लेकर कोई जानकारी क्यों नहीं दी गई? रेलवे ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
यात्री फिलहाल ये प्रवासी मजदूर मुंबई से निकलकर अब ओडिशा में फंस गए हैं और अभी भी अपने घर जाने का इंतजार कर रहे हैं।
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