भारत के लाल शास्त्री जी ने जब किया पूरे देश से एक दिन उपवास का आग्रह
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जीवन काफी संघर्षमय ,सादगीपूर्ण और सद्चरित्र से भरा है।महज डेढ़ साल की उम्र में अपने पिता उप तहसीलदार श्रीवास्तव जी को खो देनेवाले और तीसरे बच्चे के लिए गर्भवती माँ के साथ अपने नाना मुंशी हजारी लाल के यहां मुगलसराय(वर्तमान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर) में पालन पोषण, दो बहनों की जिम्मेदारी अल्पायु में, नाना के जाने के बाद जीवन संघर्षमय , हालांकि नाना के भाई जो सरकारी रैवेन्यू विभाग में थे उन्होंने काफी सहयोग दिया। शास्त्री जी नेहरू से काफी प्रभावित थे, 1920 से ही आंदोलन में सहभागी हुए, स्वतंत्र भारत मे 1951 से 56 तक रेलमंत्री, 61 से 63 तक गृहमंत्री रहे उसके बाद वे देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने ।उनके ही समय मे 1965 में हुए भारत पाक युद्ध मे भारत के इस लाल ने पूरी ताकत झोंक दी और पाकिस्तान को झुकने पर मजबूर कर दिया, ताशकंद समझौता हुआ और दूसरे दिन ही हृदय गति रुकने (अनुमानित) से निधन हो गया। जब देश अनावृष्टि के चलते अनाज की कमी और अकाल की परिस्थिति से जूझ रहा था , शास्त्री जी ने 1 दिन उपवास रखने का आवाहन किया था। उन्होंने ही जय जवान जय किसान का नारा दिया था। बतौर रेल मंत्री ,एक रेल के पटरी से उतरने और घटना घट जाने पर उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था, इतनी सादगी थी उनमे। पद का कोई लोभ नही।
लालबहादुर शास्त्री वाकई बहुत कुछ सीखा गए। मरणोपरांत शास्त्री जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
हम उनकी जयंती पर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। शत शत नमन।।
लालबहादुर शास्त्री वाकई बहुत कुछ सीखा गए। मरणोपरांत शास्त्री जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
हम उनकी जयंती पर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। शत शत नमन।।
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