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परिवर्तिनी एकादशी आज

3 सितंबर 2025 बुधवार को है परिवर्तनी  एकादशी 
एकादशी तिथि का आरंभ- 03 सितंबर, बुधवार प्रातः 03 बजकर 53 मिनट से
एकादशी तिथि का समापन- 04 सितंबर, गुरुवार को प्रातः 4 बजकर 21 मिनट तक
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार एकादशी तिथि का व्रत 03 सितंबर को रखना ही शुभ होगा।

एकादशी व्रत का पारण 04 सितंबर, गुरुवार को सूर्योदय से 2 घंटे बाद किया जाएगा किया जाएगा।
हिंदू धर्म में इस एकादशी का अत्यंत विशेष महत्व है। इसे पद्मा एकादशी और जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। 
मान्यता है कि चातुर्मास के आरंभ में भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शैया पर योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि में सृष्टि संचालन का दायित्व भगवान शिव को सौंप दिया जाता है। चातुर्मास की यह अवधि चार माह तक रहती है और इसमें कुल आठ एकादशियां आती हैं। हर एकादशी का अपना अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। इनमें से परिवर्तिनी एकादशी का स्थान विशेष है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा के दौरान करवट बदलते हैं। इसी कारण इसे “परिवर्तिनी” यानी करवट बदलने वाली एकादशी कहा जाता है। इसे भाद्रपद मास की अंतिम एकादशी भी माना जाता है।

 शास्त्रों के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह व्रत जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करता है। इस दिन व्रत करके भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।

(आचार्य अजय मिश्र जी, विहिप  संचालित समर्थ हनुमान टेकडी सिद्धपीठ, सायन, मुंबई)

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