राकांपा सुप्रीमो ने 25 वी पार्टी वर्षगांठ पर किया ऐलान: बेटी सुप्रिया और करीबी साथी प्रफुल्ल पटेल बने कार्यकारी अध्यक्ष/ कांग्रेस ने वर्षा गायकवाड को दी मुंबई अध्यक्ष की कुर्सी
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने आज पार्टी की 25 वीं वर्षगांठ पर अहम फैसला लेते हुए घोषणा की है कि उनकी बेटी सुप्रिया सुले जो बारामती से ही सांसद हैं और करीबी साथी वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल दोनों कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाते हैं।
यह कदम इसलिए भी जरूरी था क्योंकि राकंपा प्रमुख पवार सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की कवायद पहले ही कर चुके हैं। उल्लेख कर दें कि 2 मई को उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था, लेकिन 5 मई को पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं, नेताओं के प्रेम के सामने झुक कर उन्होंने सम्मान करते हुए अध्यक्ष पद फिर से ग्रहण किया था। उन्होंने कहा था कि 63 साल की लंबी राजनीतिक पारी खेलने के बाद वह अब थक चुके हैं और संन्यास लेना चाहते हैं । लेकिन पार्टी के तमाम नेताओं के सहयोगियों और असंख्य कार्यकर्ताओं को पवार साहब का इस तरह राजनीति से संन्यास लेना नागवार गुजर रहा था। इसलिए उन सभी के प्रेम के सामने पवार को अपना फैसला बदलना पड़ा।
आपको बता दें कि सुप्रिया सुले शरद पवार की बेटी हैं और पारिवारिक सीट बारामती से ही सांसद रही हैं। वहीं उनके भतीजे अजित पवार सात बार बारामती से ही विधायक रहे हैं, जबकि चार बार वह महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। अजीत पवार ने महीने भर पहले ही यह बयान दिया था कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनना चाहते। वर्तमान में वह राकांपा की ओर से विधानसभा के एवम सदन के विरोधी पक्ष नेता हैं।
सूचना मिलते ही अजीत पवार ने बहन सुप्रिया सुले एवं वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल को अपनी शुभकामनाएं दी है। प्रफुल्ल पटेल पहले नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके हैं।
सुप्रिया सुले ने इस महत्वपूर्ण पद को ग्रहण करते हुए मीडिया से बात करते समय कहा कि वह पवार साहब की बहुत आभारी है कि उन्होंने उन्हें इस पद के लायक समझा है। वह अपनी पूरी इच्छा शक्ति से काम करते हुए पार्टी की विचारधारा को जन जन तक ले जाएंगी, जड़ों को मजबूत करेंगे और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की पूरी कोशिश करेंगी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना 1999 में शरद पवार, तारिक अनवर और पी ए संगमा के साथ की गई थी। पार्टी को २५ साल पूरे हुए हैं और महाराष्ट्र में एक मजबूत पार्टी के रूप में होने के साथ ही मराठा राजनीति में अहम स्थान रखती है।
कोरोना काल में शरद पवार के ही मार्गदर्शन में भाजपा की १०५ सीटें और कई निर्दलीय विधायकों के समर्थन के बावजूद वह सत्ता से दूर रही और शिवसेना का जादुई गठबंधन कांग्रेस के साथ कराकर महा विकास आघाड़ी का जन्म हुआ एवम महाराष्ट्र में तिपहिया सरकार बनी थी।
२०२४ में लोकसभा चुनाव हैं और राज्य में भी विधानसभा चुनाव होने हैं।इन समीकरणों को ध्यान में रखते हुए शरद पवार ने कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में दोनो नामो की घोषणा कर पार्टी में नई जान फूंकने का काम किया है।
कार्यकारी अध्यक्ष बनने के अलावा सुप्रिया को महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब में राकांपा के मामले एवम महिलाओं, युवाओं,छात्रों , लोकसभा से जुड़े मुद्दों की भी प्रभारी बनी हैं। अब अजीत को सीधे तौर पर सुप्रिया को रिपोर्ट करना पड़ सकता है।
वहीं राज्य में राकांपा की सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने भी मुंबई अध्यक्ष के पद से भाई जगताप को हटाकर पहली बार यह जिम्मेदारी एक महिला को देते हुए धारावी से लगातार चार बार विधायक रही वर्षा गायकवाड को अध्यक्ष बनाया है। आर्थिक रूप से शोषित लोगों का प्रतिनिधित्व करनेवाली वर्षा पूर्व में राज्य कैबिनेट में महिला एवम बाल विकास मंत्रालय, स्कूली शिक्षा मंत्रालय संभाल चुकी हैं।
वर्षा प्राध्यापिका भी रह चुकी हैं। दलित होने के नाते दलित समाज में अच्छा वर्चस्व भी है। वर्षा के पिता दिवंगत सांसद एवम पूर्व में महाराष्ट्र राज्य के आरोग्य मंत्री भी रहे एकनाथ गायकवाड की दक्षिण मध्य लोकसभा समेत राज्य में अच्छी पैठ रही है जिसका लाभ वर्षा को निश्चित रूप से मिल सकता है।
क्यों हटना पड़ा भाई जगताप को
भाई जगताप पहले विधायक रहे लेकिन २०१९ की विधायकी हार गए थे। बाद में उन्हें विधान परिषद के सहारे विधायक बनाया गया और यह भी हारते हारते जीते थे। कुल मिलाकर मराठा समाज में इनका प्रभुत्व घटता जा रहा है जिसे भांपते हुए कांग्रेस नेतृत्व आगामी मनपा चुनाव में कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती । राज्य के अध्यक्ष नाना पटोले पिछड़े वर्ग के नेता हैं। कांग्रेस पिछड़े और दलित वोट बैंक को आकर्षित करने की रणनीति पर चल रही है।
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