अदानी हिंडेर्नबर्ग मामले में सेबी ने सुकाे से कहा, अभी तक जांच में कुछ भी संदिग्ध विवरण नहीं/जांच के लिए और ६ महीने का वक्त मांगा
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया यानी सेबी ने सर्वोच्च न्यायालय को अदानी मामले में अपनी जांच की रिपोर्ट देते हुए कल कहा कि अभी तक अमेरिका की शार्ट हेयर कंपनी हिंडनवर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने के बावजूद किसी तरह के संदिग्ध मामलों में अदानी ग्रुप को अब तक नहीं पाया जा सका है।
सेबी की तरफ से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा की उन्हें अदानी मामलों में जांच के लिए और ६ महीने का समय दिया जाए।
सेबी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत वह संस्थान है जो कैपिटल मार्केट यानी पूंजी बाजार में होनेवाले सभी तरह के काम काज पर नियंत्रण रखती है।
गौरतलब है कि जनवरी 2023 में अमेरिका की शार्ट सैलर रिसर्च कंपनी हिंडनवर्ग ने अदानी एंटरप्राइजेज और उनकी ग्रुप कंपनियों में संदिग्ध ट्रांजैक्शन और विदेश में कई जगह पर इनके शेल ( फर्जी )कंपनियों के होने के आरोप लगाए थे।
इस आरोप के बाद कांग्रेस पार्टी समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा, संसदीय सत्र में कई बार घेरा। अदानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट भी देखी गई। इस गिरावट के चलते अदानी एंटरप्राइजेज कंपनी का शेयर ४२०० से घटकर १००० रुपए तक आ गया था। अदानी समूह के कुल मार्केट कैपिटल से १४० बिलियन अमरीकी डॉलर कम हो गए।
सेबी ने अतिरिक्त ६ माह का समय इस जांच के लिए मांगा है। तुषार मेहता ने दलील दी कि एप्लीकेशन में १२ संदिग्ध ट्रांजैक्शन के बारे में जांच के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। सेबी द्वारा संदिग्ध यानी सस्पीशियस ट्रांजेक्शन शब्द इसीलिए कहा गया क्यों कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडर्नवर्ग द्वारा उन १२ विवरणों पर आरोप लगाते हुए उन्हें सस्पीशियस कहा गया है।
हालांकि न्यायमूर्तियों ने ६ महीने का समय नकारते हुए अधिकतम ३ माह का समय दिया है और अगस्त तक फिर अपनी रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया है।
न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला इस सुनवाई में कल शामिल रहे।
सेबी की दलीलों का विरोध करते हुए एक जनहित याचिका की सुनवाई में अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सेबी अंतरराष्ट्रीय संस्थान इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन ऑफ सिक्योरिटी कमीशन ( IOSCO) की सदस्य है , इस कारण वह कई देशों की आर्थिक सिक्योरिटीज नियंत्रक विभाग से जानकारी प्राप्त कर सकती है।
प्रशांत भूषण की दलीलों को खारिज करते हुए तुषार मेहता ने कह दिया कि २०१६ के जिस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर भूषण बहस कर रहे हैं वह हिंडर्न वर्ग मामले से अलग है और उस मामले में सेबी ने IOSCO को पत्र भी लिखा है।
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