महाराष्ट्र को १.४ वर्ष बाद मिला राहुल नार्वेकर के रूप में विधानसभा अध्यक्ष/ ध्वनि मत से मिले १६४मत/ शिवसेना के राजन सालवी १०७ मतों पर सिमटे/ आज होगा शिन्दे- फडणवीस सरकार का सदन में फ्लोर टेस्ट
३-४ जुलाई की दो दिवसीय विधानसभा विशेष सत्र में नई नवेली ४ दिन पहले बनी शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिन्दे वाली वर्तमान राज्य सरकार ने कल अपना विधानसभा अध्यक्ष चुन लिया है।
कोलाबा के पहली बार भाजपा कोटे से विधायक राहुल नार्वेकर को भाजपा- सेना के गुट नेता शिन्दे के संयुक्त उम्मीदवार बने थे और उन्हें शिवसेना के राजन सालवी के विरोध में खड़ा किया गया। शिवसेना के राजन सालवी महाविकास आघाडी गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार रहे और उन्हें ध्वनि मत द्वारा दिये विधायको के 107 मत प्राप्त हुए। राहुल नार्वेकर को १६४ मत मिले।
कौन हैं राहुल नार्वेकर-
नार्वेकर पहले शिवसेना से जुड़े रहे पर शिवसेना पार्टी ने उन्हें २०१४ के लोकसभा चुनाव में टिकट नही दिया जिससे नाराज होकर उन्होंने राकांपा की शरण ले ली। यहां उनको मावल संसदीय क्षेत्र से टिकट तो मिल गया पर जीत नही सके। राहुल नार्वेकर को महाराष्ट्र की विधान परिषद में पहले तत्कालीन राज्यपाल ने २०१६ में नामांकित किया था।
राहुल नार्वेकर वरिष्ठ राकांपा नेता रामराजे नाइक निम्बालकर के दामाद हैं। निम्बालकर महाराष्ट्र के उच्च सदन यानी विधानपरिषद के सभापति भी हैं। राहुल के पिता सुरेश नार्वेकर कोलाबा से ही नगरसेवक रहे हैं। वर्तमान में उनकी सिस्टर इन लॉ हर्षिता नार्वेकर वार्ड २२६ से नगरसेविका हैं।
ध्वनि मत से वोट देनेवाले विधायको में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिन्दे भी शामिल रहे।
आश्चर्य जनक रूप से समाजवादी पार्टी के विधायक, एमआईएम के विधायक बैठे रहे पर मतदान करने से बचे रहे।
फरवरी 2021 में कांग्रेस के नाना पटोले द्वारा यह पद छोड़ने के बाद से ही सदन का अध्यक्ष पद रिक्त था और उप अध्यक्ष नरहरि जिरवाल कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्यभार चला रहे थे।
जिरवाल ने कहा कि शिवसेना के विधायको ने व्हिप के विरोध में वोटिंग किये हैं। पूरा घटना क्रम वीडियो रिकार्डेड है और जिन शिवसेना विधायको ने व्हिप के विरुद्ध में वोटिंग किया है ,उनका नाम लिखा जाएगा और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
क्या होता है व्हिप
एकनाथ शिंदे ने विधायक भरत गोगावाले को पार्टी विधानमंडल का नया प्रतिनिधि नियुक्त किया है। इससे पहले शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभू ने एक आदेश जारी किया था , जिसमें पार्टी के सभी विधायकों को बुधवार शाम होने वाली मीटिंग में आने के लिए कहा गया था. इस पत्र के मुताबिक अगर कोई विधायक मीटिंग में नहीं पहुंचता तो ये माना जाता कि उसने पार्टी छोड़ दी है। शिवसेना के बागी विधायक इस मीटिंग में उपस्थित नही थे।
व्हिप एक राजनीतिक पक्ष का अधिकारी है जो सदन में सुशासन की व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होता है। व्हिप यह सुनिश्चित करता है कि पार्टी के विधायक पार्टी के नियमो का पालन करें और उसी हिसाब से काम करें , न कि अपनी स्वेच्छा से। फ्लोर टेस्ट के समय व्हिप ही आदेश जारी करता है कि पार्टी के विधायक (विधान भवन में )या सांसद(संसद में ) एकत्रित हों।
व्हिप के आदेश का पालन नही होने की स्थिति में पार्टी अपने विधायको के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई कर सकती है। इस कार्रवाई के तहत उस विधायक या सांसद को जिसने व्हिप का आदेश नही माना , उसे पार्टी से निकाला जा सकता है लेकिन वह सदन में विधायक या सांसद बना रहेगा।
सदन में शिन्दे सरकार को बहुमत साबित करना है।
मुख्यमंत्री शिन्दे के अनुसार उनकी सरकार को 170 विधायको का समर्थन है और यह संख्या अधिक भी हो सकती है।
जानिए किस पार्टी के कितने विधायक हैं सदन में :
भाजपा- १०६
शिवसेना- ५५
राकांपा- ५३
कांग्रेस- ४४
बहुजन विकास आघाडी-३
समाजवादी पार्टी-२
एआईएमआईएम-२
प्रहार जनशक्ति-१
सीपीआई(एम)-१
पीडब्लूपी-१
स्वाभिमान पक्ष-१
राष्ट्रीय समाज पक्ष-१
जनसुराज्य शक्ति-१
क्रांतिकारी शेतकरी पार्टी-१
कुल २८८विधायको वाली महाराष्ट्र विधानसभा में उपरोक्त प्रकार से निश्चित रूप में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी रही है। शिवसेना विधायक रमेश लटके का हृदयाघात के चलते पिछले महीने निधन हो गया था जिसके चलते वह सीट अभी रिक्त है और उपचुनाव कराया जाना बाकी है।
राकांपा के दो विधायक और पूर्व उद्धव सरकार के मंत्री अजित पवार और छगन भुजबल कोरोना संक्रमित हैं। अन्य दो राकांपा के ठाकरे सरकार में मंत्री रहे नवाब मलिक और अनिल देशमुख फिलहाल अब तक जेल में ही हैं। अनिल देशमुख पर १०० करोड़ रुपये हर महीने पुलिस प्रशाशन से वसूली करवाने का आरोप , पदोन्नति, ट्रांसफर में भ्रष्टाचार जैसे आरोप पूर्व मुम्बई आयुक्त परमबीर सिंह ने लगाए थे, यह मामला तब उजागर हुआ जब ठाणे के व्यापारी मनसुख हिरेन की हत्या कर कलवा क्रीक में पॉलिथीन में लपेट कर फेंक दिया गया था। इस हत्या का मास्टरमाइंड ठाणे के क्राइम ब्रांच अधिकारी सचिन बजे बताया गया जो जेल में है। सचिन ने जेल में कई राज उगले और अनिल देशमुख- राज्य के गृहमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा, काफी वक्त तक वांटेड रहे और बाद में जेल पहुंच गए।
नवाब मलिक पर कुर्ला के गोवावाला कंपाउंड में जमीन खरीद मामले में लाखों की लेन देंन कुख्यात मोस्ट वांटेड अंतर्राष्ट्रीय माफिया डॉन दावूद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के जरिये किये जाने का आरोप है। इसके चलते ईडी ने कई बार पूछताछ के बाद चार्जशीट दायर की और मुम्बई उच्च न्यायालय ने जेल भेज दिया।
२०१९ का विधानसभा चुनाव भाजपा- शिवसेना ने मिलकर लड़ा था पर बाद में मुख्यमंत्री के कार्यकाल को ढाई ढाई साल चलाने की बात पर गठबंधन टूट गया और उद्धव ठाकरे ,शरद पवार के नेतृत्व में अन्य दो विरोधी विचारधारा की पार्टियों कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर शिवसेना ने महाविकास आघाडी सरकार का गठन किया और सरकार बनाई। तीनो पक्षों की यह सरकार ढाई साल तक चली। शुरुआत से ही शिवसेना के कई विधायक इस नए गठबंधन से नाराज थे पर पार्टी शीर्ष नेतृत्व के सामने कुछ कह नही पा रहे थे।
शिवसेना के बागी विधायक ने स्वहस्ताक्षरित लेटर लिखा और ट्विटर पर एकनाथ शिन्दे ने उसे पोस्ट भी किया जिसमें विधायको का दर्द बयां किया गया था। पत्र के अनुसार, अपने ही पार्टी के मुख्यमंत्री से विधायक कभी नही मिल पाते थे। वर्षा बंगले में कई बार जाकर भी घण्टो प्रतीक्षा के बाद वापस लौट जाते थे और संदेश यह मिलता की उद्धव ठाकरे - मुख्यमंत्री साहब व्यस्त हैं। जबकि अन्य दलों के विधायक, मंत्री आसानी से उनसे मिल सकते थे। कई महत्वपूर्ण मामलों में जब सीएम से विचार विमर्श नही हो पाता था तब एकनाथ शिन्दे ने उन्हें सपोर्ट किया और समस्याएं भी सुलझाई, इसलिए आज ये सभी विधायक उनके साथ हैं।
पिछली बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फ्लोर टेस्ट करने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निर्देश को सही ठहराते हुए सहमति देने के बाद लाइव फेसबुक के माध्यम से इस्तीफा दे दिया , उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। अगली सुबह राजभवन जाकर राज्यपाल को उन्होंने इस्तीफा सौंपा था।
गुरुवार के ही दिन शाम ७.३० बजे राजभवन में सादे कार्यक्रम के तहत एकनाथ शिन्दे ने मुख्यंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। मंत्रिमंडल का विस्तार होना अभी बाकी है जो इसी हफ्ते जल्द ही होने की संभावना है। शिन्दे गुट के अन्य समर्थित व अपक्ष विधायक (४६+) सूरत से मुम्बई आ चुके हैं और आज फ्लोर टेस्ट में मौजूद रहेंगे, इसकी पूरी संभावना है।
क्या है फ्लोर टेस्ट...
इसमे विधायक ध्वनि मत , बैलट बॉक्स में पत्र या इलेक्ट्रॉनिक मशीन वोटिंग गजट के माध्यम से अपना मत उस पार्टी के पक्ष में देते हैं जिन्हें वे चाहते हैं। दो तिहाई बहुमत से यदि वह बहुमत साबित करने के लिए उपस्थित पार्टी विधायको का मत नही प्राप्त कर पाती तो वह सरकार बनाने से वंचित रह जाती है। यदि ऐसे में अगर वह सरकार चला भी रही हो तो सरकार गिर जाती है। कोई भी पार्टी सत्तासीन तभी रह सकती है जब उसे कुल सदन के विधायकों का दो तिहाई बहुमत मिला हो। महाराष्ट्र में बहुमत का यह आंकड़ा १४४ है।
मुख्यमंत्री शिन्दे ने कहा है कि उनके पास १७० विधायको का समर्थन है जिसमे भाजपा का पूर्ण समर्थन है।
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