0 बाल हक्क आयोग ने लिखा मुंबई आयुक्त को पत्र- पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज करने से पहले उपयुक्त के परमिशन पर जताई आपत्ति/ नया आदेश दो दिन में वापस लेने को कहा। - Khabre Mumbai

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बाल हक्क आयोग ने लिखा मुंबई आयुक्त को पत्र- पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज करने से पहले उपयुक्त के परमिशन पर जताई आपत्ति/ नया आदेश दो दिन में वापस लेने को कहा।

६ जून को मुम्बई पुलिस आयुक्त संजय पांडेय ने बच्चों के छेड़छाड़ से जुड़े पोक्सो एक्ट के अंर्तगत दर्ज होनेवाले मामलों में एक निर्देश लागू किया कि ऐसे मामले अब क्षेत्रीय सहायक आयुक्त के सुझाव और जोनल डीसीपी यानी उपायुक्त के निर्देश के बिना पुलिस थानों में दर्ज नही किये जायेंगे।

आम तौर पर कई बार देखा गया है कि लोग पुरानी रंजिश, प्रॉपर्टी के झगड़े, व्यक्तिगत लड़ाई के चलते दुश्मनी निकालने के लिए पोक्सो एक्ट के तहत जाली मामला दर्ज करा देते हैं, पुलिस भी बिना किसी वेरिफिकेशन के अभियुक्त को गिरफ्तार कर लेती है।
जब तक यह साबित होता है कि अभियुक्त निर्दोष है, उसे बरी करने हेतु क्रिमिनल प्रोसेजर कोड १६९ के तहत कार्यवाही शुरू की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में इतना विलंब हो जाता है कि उस अभियुक्त से जुड़े उसकी प्रतिष्ठा, मान सम्मान, समाज का उसके प्रति तिरस्कार सब सहन करना पड़ता है।
अब इस मामले को लेकर महाराष्ट्र राज्य- बाल हक्क  संरक्षण आयोग ( चाइल्ड प्रोटेक्टशन राइट्स कमिशन- महाराष्ट्र स्टेट) ने आपत्ति जताई है। आयोग की अध्यक्ष शुशीबेन शाह ने आयुक्त संजय पांडेय को पत्र लिखकर कहा है कि पोक्सो एक्ट को इसलिए ही संविधान में लाया गया ताकि बच्चों को बिना समय गंवाए न्याय मिले। 
 बच्चों को सेक्स से जुड़े मामलो में उनके अधिकारों की सुरक्षा हो सके इसीलिए प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफनसेस एक्ट के गठन किया गया । पोक्सो यह भी कहता है कि यदि कोई अधिकारी केस दर्ज करने में असमर्थता दिखाता है तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी।


 जब एसीपी के रेकॉमेंडेशन और डीसीपी की अनुमति के बाद मामले दर्ज होंगें तो न्यायप्रक्रिया कितनी लंबी होगी। हमे आस्चर्य है कि आपने ऐसे निर्देश क्यों दे दिए है।  आपका यह आदेश कानून के नियमो को तोड़ रहा है। आपके इस नए आर्डर को दो दिनों में ही वापस ले लिया जाना चाहिए।

आयुक्त पांडेय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुई कहा है कि उनके नए निर्देश के अनुसार सिर्फ अतिरिक्त सतह रखी गई है ताकि मामले को  प्रथमतया जांच कर दर्ज किया जा सके और ऐसा बिल्कुल नही कहा गया है कि पोक्सो एक्ट के तहत मामले दर्ज नही किये जायेंगे।
हमने तो इन मामलों को दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी के केस को रेफरेंस बनाकर केस रजिस्टर करने के लिए भी कहा है।



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