0 पद्मविभूषण पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन से बॉलीवुड से लेकर संगीत के सितारों तक की आंखें नम। - Khabre Mumbai

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पद्मविभूषण पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन से बॉलीवुड से लेकर संगीत के सितारों तक की आंखें नम।

संगीत की दुनिया मे अपनी अमिट छाप रखनेवाले प्रसिद्ध सन्तूर वादक शिव कुमार शर्मा आज हम सबके बीच नही हैं। हृदयाघात से 84 वर्ष की उम्र में उन्होंने संगीत को आखिरी नमस्कार किया है। वे कई महीनों से किडनी फेलियर की समस्या से भी ग्रस्त थे।

बॉलीवुड के बीच भारत के सुप्रसिद्ध मुरली वादक पण्डित हरि प्रसाद चौरसिया और संतूर के शिव कुमार की जोड़ी शिव- हरी की यह जोड़ी अब टूट गई है। शिव अपने निराकार स्वरूप की यात्रा में चले गए हैं।

पण्डित शिवकुमार शर्मा ने शिव- हरि के रूप में फासले, चांदनी, लम्हे, डर जैसी 90 के दशक की मशहूर फिल्मो में दिया।

कश्मीरी पंडित शिव शर्मा जी जम्मू में 1938 में जन्मे और 10 मई 2022 के दिन उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया है। वह अपने पीछे पत्नी मनोरमा जी और बेटे राहुल समेत परिवार छोड़ गए ।
संतूर के साथ उनकी तबला पर भी मास्टरी थी। 1986 में उनकी कला को सराहते हुए संगीत नाटक एकडेमी ने सम्मान दिया। जिसके बाद उन्हें भारत सरकार से पदम् श्री ,देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान १९९१ में मिला।
2001 में तीसरा बड़ा सम्मान पदम् भूषण और उसके बाद पदम् विभूषण से भी अलंकृत किया गया। अमेरिका से उन्हें नागरिकता का सम्मान भी मिला।

पिता उमादत्त शर्मा जो खुद अच्छे तबला वादक थे, ने शिव जी को पांच वर्ष की उम्र से ही तबले की शिक्षा दी। संतूर वादन उस वक्त कश्मीरी लोक  परंपरागत गीतों में अक्सर प्रयोग में हुआ करता था, शिव जी ने संतूर वादन भी कमाल का सीखा। 13 वर्ष से संतूर की साधना करनेवाले शिव जी ने मुम्बई में 1955 में अपना पहला लाइव परफॉरमेंस दिया था जिसमे जनता मंत्रमुग्ध होकर रह गई।

भारतीय संगीत की दुनिया मे संतूर का परिचय कराने का श्रेय शिव जी को ही  जाता है।

उन्होंने कई एल्बम दिए जिसमे भारत के मशहूर तबला उस्ताद ज़ाकिर हुसैन और बांसुरी वादक पद्म विभूषण हरि प्रसाद चौरसिया के साथ अपनी सफल जोड़ी बनाई।

1967 में कॉल ऑफ वैली(वादियों की पुकार) एल्बम तो भारतीय संगीत जगत में मील का पत्थर साबित हुआ , जिसमे पण्डित शिव जी ने संतूर, हरिप्रसाद जी ने मुरली तो पण्डित ब्रिज भूषण काबरा ने गिटार पर जबरदस्त परफॉरमेंस दिए।

1955 में ही पंडित शिव जी ने वी शांता राम की फ़िल्म 'झनक झनक पायल बाजे' में बैकग्राउंड म्यूजिक दिया।

शिव हरी की जोड़ी ने 1981 में सबसे पहले सुपर डुपर हिट मूवी सिलसिला में अपना लोहा मनवाया।

1965 में देव आंनद की गाइड फ़िल्म में फिल्माए गीत' मो से  छल किए जाए' में लता मंगेशकर की आवाज़ पर शिव जी ने तबले की तान छेड़ी थी।

हालांकि एक सच यह भी है कि शिव फ़िल्म के बजाय क्लासिकल म्यूजिक के ज्यादा करीब थे, उनका मानना था कि क्लासिकल आपको अध्यात्म की ओर ले जाता है। यह तो महसूस करने की चीज़ है।

हृदयाघात से उनका ८४ वर्ष की उम्र में 10 मई को मुम्बई में निधन हुआ और पूरे राजकीय सम्मान के साथ कल जुहू के पवन हंस परिसर में अंतिम संस्कार किया गया।


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